गोरखपुर. ब्रज की होली पूरी दुनिया में मशहूर है लेकिन एक बार किसी ने गोरक्षनगरी का रंगोत्सव देख लिया तो फिर उसकी विशिष्टता का मुरीद हुए बिना नहीं रहता. गोरक्षनगरी का रंगोत्सव में यहां ब्रज की तरह फाग ही नहीं बरसता. जातीय भेदभाव और ऊंच- नीच के विचारों पर भाई चारे की पिचकारी से रंग बरसता है. सब भेद मिट जाते हैं. आजादी से कोई तीन साल पहले शुरू हुई इस होली की अनूठी-अलबेली परंपरा का निर्वहन गोरक्ष पीठाधीश्वर करते आ रहे हैं. सम्मत की राख से जब तिलक लगाया जाता है तो ऐसा लगता है मानो बुराइयां खाक हो गयी हों. गोरक्ष पीठाधीश्वर एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 1996 से इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं.
सम्मत की राख के तिलक से होता है होली का आगाज
गोरखनाथ मंदिर में होलिकोत्सव की शुरुआत होलिका दहन यानि सम्मत की राख से तिलक लगाने की साथ होती है. इसके बाद गोरखनाथ मंदिर के महंत मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं. मंदिर से निकलकर घंटाघर पर आयोजित भगवान नरसिंह रंगोत्सव शोभायात्रा में शामिल होते हैं. योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली भगवान नृसिंह शोभायात्रा पांच किमी से अधिक दूरी तय करती है. पथ नियोजन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता करते हैं . गोरक्षपीठाधीश्वर भगवान नृसिंह के रथ पर सवार रहते हैं. बिना भेदभाव सभी को रंगों में बसराबोर करते हैं. लोग श्रद्धा से उन पर भी अबीर- गुलाल रंग हो बिना भेदभाव सबसे शुभकामनाओं का आदान-प्रदान करते हैं.
फूहड़ता दूर करने को नानाजी देशमुख ने की थी शोभायात्रा की शुरूआत
भगवान नृसिंह रंगोत्सव शोभायात्रा की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक नानाजी देशमुख ने 1944 में अपने गोरखपुर प्रवासकाल में की थी. हालांकि गोरखनाथ मंदिर में होलिकादहन की राख से होली मनाने की परंपरा पहले से चली आ रही थी. नानाजी का यह अभियान होली के अवसर पर फूहड़ता दूर करने के लिए था. नानाजी के अनुरोध पर गोरक्षपीठ भी इससे जुड़ गया. ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ का आदेश हुआ तो महंत अवेद्यनाथ शोभायात्रा में पीठ का प्रतिनिधित्व करने लगे. कुछ समस बाद यह गोरक्षपीठ की होली का अभिन्न अंग बन गया.
योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री से अधिक गोरक्ष पीठाधीश्वर
पूरे होलिकोत्सव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरक्ष पीठाधीश्वर ही नजर आते हैं. वे सामाजिक समरसता और समतामूलक समाज का प्रतिबिंब दो खास शोभायात्रा में शामिल होते हैं. एक शोभायात्रा होलिका दहन की शाम पांडेयहाता से होलिका दहन उत्सव समिति द्वारा निकाली जाती है. दूसरी होली के दिन श्री होलिकोत्सव समिति व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बैनर तले निकलती है. सामाजिक समरसता का स्नेह बांटने के लिए ही गोरक्षपीठाधीश्वर दशकों से होलिकोत्सव-भगवान नृसिंह शोभायात्रा में शामिल होते रहे हैं. 1996 से 12019 तक शोभायात्रा का नेतृत्व करने वाले योगी वर्ष 2020 और 2021 के होलिकोत्सव में लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए इसमें शामिल नहीं हुए थे.
रिपोर्ट - कुमार प्रदीप,गोरखपुर