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Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू, इस बार बन रहा है गजलक्ष्मी राजयोग, जानें शुभ मुहूर्त

Aligarh: चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू हो रहे हैं, जो 30 मार्च तक लगातार चलेंगे. ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि पूरे नौ दिन के नवरात्रि पड़ रहे हैं. जिसमें भक्तों को पूजा, अर्चना, व्रत रखने से विशेष लाभ और उन्नति के संयोग मिलेंगे.

Aligarh: चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू हो रहे हैं, जो 30 मार्च तक लगातार चलेंगे. ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि पूरे नौ दिन के नवरात्रि पड़ रहे हैं. जिसमें भक्तों को पूजा, अर्चना, व्रत रखने से विशेष लाभ और उन्नति के संयोग मिलेंगे. इस बार पूरे नौ दिन व्रत रखने वाले भक्तों को विशेष लाभ होगा, जिन लोगों के शादी विवाह में रुकावट है. पढ़ाई लिखाई में दिक्कत आ रही है या संतान में बाधा है. वह पूरे नवरात्रि के व्रत रखें.

चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त 

पूर्ण आस्था और विश्वास के साथ कलश स्थापना करें. उन्हें विशेष लाभ होगा. उन्होंने बताया कि 22 मार्च को सुबह 6:25 से लेकर 9:25 का मुहूर्त कलश स्थापना के लिए है. इसमें जिन लोगों की सरकारी नौकरियों में बाधा है या प्राइवेट नौकरी में दिक्कत आ रही है. संतान को लेकर परेशानी है. इस समय पूजा करने से विशेष लाभ महसूस होगा. इसके बाद सुबह 10:25 से 12:30 बजे के बीच का मुहूर्त अच्छा है. जिसमें घर गृहस्थी वाले लोग मंदिरों में या घर में कलश स्थापना कर सकते हैं.

चैत्र नवरात्रि के दिन कलश स्थापना विधि

पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि घटस्थापना के लिए कलश की आवश्यकता होगी. उसमें सुपारी, हल्दी की गांठ, एक रुपये का सिक्का, रोली, डाल दें. उसके ऊपर सकोरा रखा जाएगा. जिस पर चावल, नारियल रखा जाएगा. वहीं कलश पर स्वास्तिक और शुभ लाभ चिन्ह के साथ रोली, चंदन , सिंदूर लगाया जाएगा.

पंडित ह्रदय रंजन ने बताया कि हमारे यहां दो तरीके से पूजा-अर्चना का विधान है. जिसमें पहले दिन से लेकर अष्टमी तक व्यक्ति नौ दिन व्रत रखता है. वहीं पहले दिन और आखरी दिन अष्टमी को व्रत रखा जाता है. उन्होने बताया कि नवदुर्गा देश में चार बार आती है जिसमें चैत्र नवरात्रि, क्वार के नवरात्र होते हैं. गुप्त नवरात्रि होता है. देश में नव दुर्गे को हिंदुस्तान में लोग पूरे भक्ति भाव व आस्था से पूजा अर्चना करते हैं.

चैत्र नवरात्रि के दिन कैसे करें पूजा

उन्होंने बताया कि इस बार मातारानी नौका पर सवार होकर आ रही है, और नव दुर्गे की समाप्ति पर हाथी पर सवार होकर जाएंगी. उन्होंने बताया कि जब नौका पर सवार होकर देवी मां घरों में आती है तो उस वर्ष घरों, शहरों और देश में खुशहाली रहती हैं. व्यापार में उन्नति रहती है. नौकरी, धंधे, पानी के अवसर मिलते हैं. जब माता रानी गज पर सवार होकर देव लोक को जाएंगे, तो धनवर्षा करते हुए जाती है. क्योंकि गजलक्ष्मी को सर्वोत्तम कहा गया है. वहीं उन्होंने कहा कि नौ दिन का व्रत रखने वाले लोग अपने खाने-पीने पर ध्यान दें. विशेष रूप से जो लोग डायबिटीज, बीपी की समस्या से जूझ रहे हैं. वह नौ दिन का व्रत न रखें और केवल पूजा अर्चना करें. इससे पूर्ण लाभ की प्राप्ति मिल सकेगी.

चैत्र नवरात्रि में इन राशियों की किस्मत
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उन्होंने बताया कि चैत्र नवरात्रि में शुक्र और गुरु जो मीन राशि में चल रहे थे. जिसमें शुक्र की चाल बदल गया है. मेष राशि में राहु और शुक्र का खतरनाक मिलन हो रहा है. जिसके फलस्वरूप मेष, तुला, मकर, कुंभ, मीन, राशि वालों को माता रानी की विशेष पूजा अर्चना करनी चाहिए. उन्हें अनुनय विनय मानना चाहिए कि कारोबार में अगर दिक्कत परेशानी आ रही है या शादी में दिक्कत आ रही है. वह माता के लिए अर्जी लगा सकते हैं, अपनी इच्छाशक्ति से पूजा करें. जो बच्चे सिविल सर्विस, इंजीनियर, डॉक्टर की तैयारी कर रहे हैं. उन लोगों को इस वर्ष देसी घी से भीगी लौंग का जोड़ा चढ़ाएं. विशेष लाभ प्राप्त होगा.

रिपोर्टः आलोक, अलीगढ़

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