आगरा. नगर निगम में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. भ्रष्टाचार को लेकर निगम एक बार फिर विवादों में आ गया है. नगर निगम के एक कर्मचारी ने गुरुवार को दो आला अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया. भ्रष्टाचार और उत्पीड़न के आरोप लगाते हुए आत्म हत्या करने की कोशिश की. नगर निगम कर्मी ने सुसाइड नोट लिखकर जहर खा लिया.आत्महत्या करने वाले कर्मचारी ने सुसाइड नोट नगर आयुक्त के नाम लिखा है. दोनों अधिकारियों को आत्महत्या के लिए दोषी बताया है. कर्मचारी को नाजुक हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इससे पहले इस कर्मचारी ने नगर निगम की बिल्डिंग से कूदकर जान देने की एक बार और कोशिश की थी. आत्महत्या की कोशिश कर्मचारी की हालत गंभीर बनी हुई है.
आरोपी अधिकारियों के खिलाफ जांच, पद से हटाए
नगर निगम के लोहा मंडी जोन में तैनात लिपिक मनोज कुमार श्रीवास्तव द्वारा गुरुवार को जहर खाने के बाद नगर निगम में भ्रष्टाचार का मामला तूल पकड़ गया है. नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कर निर्धारण अधिकारी सुभाष चंद भारती और कर अधीक्षक सोबरन सिंह को उनके पद से तत्काल हटा दिया है. मुख्यालय से अटैच कर अपर नगर आयुक्त की अगुवाई में दोनों आरोपी अधिकारियों के खिलाफ जांच बैठा दी है. मनोज ने जहर खाने से पहले सुसाइड नोट में नगर आयुक्त को आत्महत्या करने के कारणों की खुलकर जानकारी दी है. पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री व पुलिस कमिश्नर आगरा को भी भेजी है
दो पेज का है सुसाइड नोट, लिपिक के खिलाफ हुई थी शिकायत

पत्र में लिखा है कि 'नगर निगम के कर निर्धारण अधिकारी सुभाषचंद्र भारती कर अधीक्षक सोबरन सिंह की कार्य पद्धति से परेशान होकर में आत्महत्या करने जा रहा हूं. यह आत्महत्या नहीं बल्कि मर्डर होगा. जिसके लिए यह दोनों अधिकारी व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे. संजय गुप्ता द्वारा जो शिकायत पत्र दिया है, जिसमें मेरे ऊपर ₹5000 की मांग किए जाने का आरोप लगाया है. संजय गुप्ता दलाली का कार्य करते हैं और सोबरन सिंह के माध्यम से नगर निगम में कार्य कराते हैं. अभी तक इनके द्वारा लगभग 20 पत्रावली मेरे माध्यम से स्वीकृत करा चुके हैं. पांच पत्रावली अभी भी मेरे पास हैं. जब हम पत्रावली तैयार करके इनके पास हस्ताक्षर के लिए ले जाते हैं तो इनके द्वारा प्रत्येक हस्ताक्षर के लिए ₹100 और कर निरीक्षण अधिकारी के द्वारा ₹2000 प्रति पत्रावली पर मांग की जाती है.
...आप न्याय करेंगे और उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई
रिश्वत न देने के कारण उसकी पटल की पत्रावली में विलंब होता है. इन दोनों लोगों की हठधर्मिता के कारण आज मुझ पर यह आरोप लगाए जो कि बिल्कुल गलत है. क्योंकि मेरी आज तक की सर्विस में मेरे पर कोई आरोप नहीं लगा.इन दोनों दोनों कर्मचारियों द्वारा मेरा बेहद शोषण किया जा रहा है. हो सकता है कि कोई कर्मचारी इनके खिलाफ ना बोले लेकिन मैं आज अपनी व्यथा आपके समक्ष रखते हुए आत्महत्या जैसा कदम उठा रहा हूं. आपसे उम्मीद है कि आप न्याय करेंगे और उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई करेंगे.