मथुरा. श्री रामानुज संप्रदाय के प्रसिद्ध दिव्यदेश श्री रंगनाथ मंदिर का 10 दिवसीय ब्रह्मोत्सव वैदिक परंपरा अनुसार 10 मार्च से शुरू हो रहा है. विविध धार्मिक और पारंपरिक अनुष्ठानों के साथ आयोजित उत्सव मे 10 दिन तक चलने भगवान रंगनाथ रोजाना सुबह-शाम सोने चांदी से बने रथ (विशेष वाहन) पर विराजमान होकर नगर भ्रमण करेंगे. मुख्य उत्सव 16 मार्च को रथयात्रा का रहेगा. इस दिन भगवान 60 फीट ऊंचे चंदन की लकड़ी से बने रथ में विराजमान होकर निकलेंगे. ब्रह्मोत्सव को लेकर तैयारियां शुरू हो गयी हैं.
समापन 19 मार्च को पुष्पक विमान की सवारी से होगा
महोत्सव का समापन 19 मार्च को पुष्पक विमान की सवारी से होगा. रंगनाथ मंदिर के इस खास उत्सव को लेकर मंदिर प्रबंधन द्वारा आकर्षक तैयारियां की जा रही हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार श्री रामानुज संप्रदाय के प्रसिद्ध दिव्य देश श्री वैष्णवी परंपरा के अनुसार प्रमुख विदेश में से एक श्री रंगनाथ मंदिर का अपनी विशिष्ट पूजा पद्धति के कारण उत्तर भारत के प्रमुख देवालयों में अलग स्थान है. 1851 में निर्मित दक्षिण भारतीय वास्तु शैली के दिव्य देश में भगवान रघुनाथ, श्री तिरुपति बालाजी, भगवान नरसिंह, भगवान सुदर्शन के श्री विग्रह प्रमुख रूप से विराजित हैं.
भगवान स्वर्ण निर्मित पूर्ण कोठी में विराजित, करेंगे भक्तों को कृतार्थ
ब्रह्मोत्सव का शुभारंभ अंकुरारोपण देव आवाहन, ध्वजारोहण से होता है. जिसमें दक्षिण भारतीय वेदपाठी विद्वान वेद मंत्रों से आह्वान करते हैं. इसके बाद गरुड़ स्तंभ पर ध्वजा चढ़ाई जाती है. मंदिर के पुरोहित विजय मिश्र जी ने बताया कि प्रथम दिवस 10 मार्च को प्रातः काल ठाकुर रंगनाथ भगवान स्वर्ण निर्मित पूर्ण कोठी में विराजित होकर भक्तों को कृतार्थ करेंगे. इसके बाद ठाकुर गोदा रंगमन्नार भगवान प्रतिदिन स्वर्ण रजत निर्मित वाहन सूर्यप्रभा, चंद्रप्रभा, गरुड़ जी, हनुमान जी, पालकी, सिंह, सिंह सादुल पराजित होकर दर्शन देते हैं.