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Gyanvapi Masid Case: ज्ञानवापी मामले में आज का दिन अहम, दोपहर तीन बजे से सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले की सुनवाई आज दोपहर तीन बजे से सुप्रीम कोर्ट में होनी है. इस पूरे मामले में अब तक 6 और 7 मई और 14 से 16 मई के बीच हुई सर्वे की रिपोर्ट सिविल जज की कोर्ट में पेश कर दी गई है.

Gyanvapi Masid Case: वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज, 20 मई को सुनवाई होनी है. कोर्ट में दोपहर तीन बजे से ज्ञानवापी मस्जिद में हुए सर्वे पर सुनवाई होगी. इस पूरे मामले में अब तक 6 और 7 मई के अलावा 14 से 16 मई के बीच हुई सर्वे की रिपोर्ट सिविल जज की कोर्ट में पेश कर दी गई है. सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद 23 मई को वाराणसी कोर्ट में सुनवाई होनी है.

सर्वे रिपोर्ट में हाथी, त्रिशूल, घंटियां डमरू और स्वास्तिक का जिक्र

सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी में ट्रायल कोर्ट से शुक्रवार, 20 मई तक ज्ञानवापी मस्जिद मामले की सुनवाई नहीं करने को कहा है. ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट आज दोपहर 3 बजे सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद ही वाराणसी कोर्ट मामले की सुनवाई हो सकेगी. ज्ञानवापी मामले में 14 से 16 मई के बीच की सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में पेश होते ही सोशल मीडिया पर वायरल भी हो गई. रिपोर्ट के मुताबिक, मस्जिद में हाथी, त्रिशूल, घंटियां डमरू और स्वास्तिक के चिन्ह मिले हैं.

वाराणसी कोर्ट में 23 मई को सुनवाई

ज्ञानवापी मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद ही वाराणसी कोर्ट मामले की सुनवाई हो सकेगी. ज्ञानवापी मामले में सु्प्रीम कोर्ट में आज शाम 3 बजे सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने तब तक के लिए वाराणसी कोर्ट में भी सुनवाई पर रोक लगा दी है. इसके बाद वाराणसी कोर्ट ने अगली तारीख 23 मई तय कर दी है.

ज्ञानवापी के वजू में मिले शिलिंग को लेकर अलग-अलग दावे

दरअसल, ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में 12 मई के बाद 14 से 16 मई तक की गई कमीशन की कार्यवाही के दौरान अंतिम दिन परिसर के अंदर वजू के लिए बनाए गए तालाब में एक शिवलिंग मिला. इस शिवलिंग को लेकर के अलग अलग मत सामने आ रहे हैं. कोई इसे भगवान विश्वेशर बता रहा तो कोई तारकेश्वर महादेव, मुस्लिम पक्ष इसे फव्वारा बता रहा. मगर हिन्दू पक्ष के वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने दावा किया है कि तालाब के अंदर मिलने वाला शिवलिंग भगवान विश्वेश्वर का नहीं बल्कि तारकेश्वर महादेव का है. ज्ञानवापी के पुराने नक्शे में साफ तौर पर देखा जा सकता है. फिलहाल दावे की हकीकत अभी साबित होना बाकी है.

सीनियर एडवोकेट ने खोले कई राज

सीनियर एडवोकेट विजय शंकर रस्तोगी वादमित्र ने बताया कि जिस स्थान विशेष पर शिवलिंग निकला है. पुराने नक्शे के अनुसार वह स्थान तारकेश्वर महादेव के मन्दिर का था. यह नक्शा 15वीं शताब्दी में नारायण भट्ट द्वारा बनवाया गया. इस नक्शे को जेम्स प्रिंसेज जो कि अंग्रेजों के समय यहां के डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट हुआ करते थे. उन्होंने स्थल निरीक्षण कर के पुराने दस्तावेज के आधार पर बनाया था. ये सारी बातें हिस्टोरिकल बुक में यथावत हैं.

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