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Ram Navami 2022: काशी की मुस्लिम महिलाओं ने प्रभु श्रीराम की आरती, कहा- भगवान सबके हैं

मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि भगवान सबके हैं. उनमें भेद नहीं किया जा सकता है. साम्प्रदायिक सौहार्द्र का इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है, जहां सभी धर्मों के लोग भारत की उस महान संस्कृति को एक साथ जी रहे हैं, जिसकी कल्पना हर देश अपने देश को समृद्ध बनाने के लिए करता है.

Varanasi News: प्रभु श्रीराम के अवतरण दिवस राम नवमी के पावन अवसर पर धार्मिक नगरी काशी में मुस्लिम महिला फाउंडेशन एवं विशाल भारत संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में मुस्लिम महिलाओं ने हिन्दू महिलाओं के साथ मिलकर लमही के सुभाष भवन में भगवान श्रीराम एवं मां जानकी की विधि विधान से आरती की.

श्रीराम महाआरती के मुख्य अतिथि पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर एवं काशी धर्म परिषद के अध्यक्ष महंत बालक दास जी महाराज ने मुस्लिम महिलाओं के साथ भगवान राम की स्तुति की. गंगा जमुनी तहजीब का शहर काशी में मुस्लिम महिलाओं ने प्रभु श्रीराम की आरती के माध्यम से पूरे विश्व मे शांति सद्भावना का संदेश दिया..

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इस अवसर पर मुख्य अतिथि महंत बालक दास ने कहा कि भगवान श्रीराम संस्कृति के अखण्ड ब्रह्माण्ड के नायक हैं. कोई भी उनसे अलग नहीं. बिना राम के अखण्ड भारत के रहने वालों की कोई पहचान नहीं हैं. मुस्लिम महिलाओं द्वारा किया गया प्रयास इस्लामी कट्टरपंथियों के लिए एक सबक है, वो भी नफरत छोड़कर राम के मार्ग पर चलें तो नफरत का पात्र होने से बच जाएंगे.

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डॉ राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं ने भगवान श्रीराम की आरती कर विश्व शांति और साम्प्रदायिक सौहार्द का संदेश दिया है. आज पूरे विश्व में इस्लामिक कट्टरपंथियों ने जगह- जगह जड़ जमाकर हिंदुओं के त्योहारों पर हमले कर रहे हैं. उनको इसके माध्यम से मुस्लिम महिलाओं ने करारा जवाब दिया है. जब संकट मोचन मंदिर पर इस्लामी आतंकवादियों ने बम से धमाका कर सैकड़ों लोगों की सिर्फ जान ही नहीं ली, बल्कि हिन्दू और मुसलमानों के बीच नफरत और शक की दीवार खड़ी कर दी, तब विशाल भारत संस्थान और मुस्लिम महिला फाउंडेशन की सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं ने संकट मोचन मन्दिर जाकर मन्दिर परिसर में हनुमान चालीसा का पाठ किया, तब कहीं जाकर नफरत की आग कम हुई और सद्भावना और भरोसे का वातावरण बना.

पिछले 16 वर्षों से मुस्लिम महिलाएं भगवान श्रीराम की आरती करती चली आ रही हैं. मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि भगवान सबके हैं. उनमें भेद नहीं किया जा सकता है. साम्प्रदायिक सौहार्द्र का इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है, जहां सभी धर्मों के लोग भारत की उस महान संस्कृति को एक साथ जी रहे हैं, जिसकी कल्पना हर देश अपने देश को समृद्ध बनाने के लिए करता है.

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मुस्लिम महिलाओं ने नाजनीन अंसारी द्वारा उर्दू में लिखा भजन गाया और उर्दू में लिखी आरती का गायन किया. फूलों से उर्दू में श्रीराम लिखा था, सजावटी दीपक तैयार किये गए और पूरे श्रद्धा के साथ महाआरती कर नफरत फैलाने वाले कट्टरपंथियों को जवाब दिया.

रिपोर्ट- विपिन सिंह, वाराणसी

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