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Friday, March 29, 2024

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UP News: आज काशी आएंगे नेपाल के पीएम, 150 साल से काशी में पंडा समाज कर रहा नेपाल का प्रतिनिधित्व

Uttar Pradesh News: नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा आज बनारस आएंगे. नेपाल के पीएम वाराणसी में काशी विश्वनाथ दर्शन पूजन के साथ ही पशुपतिनाथ मंदिर में भी दर्शन पूजन करेंगे.

Uttar Pradesh News: नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा आज बनारस आएंगे. नेपाल के पीएम वाराणसी में काशी विश्वनाथ दर्शन पूजन के साथ ही पशुपतिनाथ मंदिर में भी दर्शन पूजन करेंगे. नेपाल के पीएम ही नहीं बल्कि नेपाली यात्रियों की भी धार्मिक आस्था वाराणसी से जुड़ी हुई है. यहाँ पशुपतिनाथ के दर्शन के अलावा भी काशी विश्वनाथ, काल भैरव, गंगा स्नान के साथ ही नेपाली यात्री अपने पितरों के श्राद्ध व तर्पण के लिए मणिकर्णिका घाट नेपाली सरकार द्वारा नियुक्त पुरोहितों से पूजन कराते हैं.

नेपाल सरकार द्वारा इन पुरोहितों को ही अधिकार प्राप्त है नेपाली यात्रियों का पूजन कराने का, लगभग डेढ़ सौ साल से यह प्रक्रिया चलती आ रही है. मणिकर्णिका घाट पर उपस्थित लाल मोहरिया पर पूजा कराने नेपाल से आये सुखवेन्द्र राजवीर ने बताया कि वाराणसी में हम पितृ उद्धार पूजा के लिए आये हैं. यहाँ के पण्डित मुकेश दुबे ने इसकी विधिवत पुजा कराई है. इसके साथ ही वाराणसी आ रहे नेपाल के पीएम का भी स्वागत हम करेंगे.

नेपाली लाल मोहरिया तीर्थ पुरोहित मुकेश दुबे ने मणिकर्णिका घाट पर पूजा कराने के लिए आने वाले लोगो के लिए बताया कि यहाँ लोग पिंड- श्राद्ध- तर्पण की पूजा अपने पितरों के लिए कराने आते हैं. यहाँ आने वाले लोग इस पुजा के साथ ही काशी विश्वनाथ, माता अन्नपूर्णा, माता विशालाक्षी, मणिकर्णिका कुंड , बाबा कालभैरव के दर्शन कर के गंगा स्नान का भी पुण्य प्राप्त करने आते हैं.

पितरों के लिए श्राद्ध कर्मकांड तो क़ई घाटों पर होते हैं किंतु मणिकर्णिका घाट 84 घाट के मध्य आता है. इसे शरीर के बीच में स्थित नाभिस्थल के रूप में समझा जाता है। इसे भगवान विष्णु का नाभि कहा जाता है. पिंड दान पूजा के लिए तीन जगह अनिवार्य है, प्रयाग- काशी- गया , इसमे काशी में नेपाली यात्री अपने पितरों के तर्पण और श्राद्ध के लिए बहुतायत मात्रा में आते हैं. कृपाशंकर द्विवेदी नेपाली लाल मोहरिया नेपाल सरकार ने बताया कि हमलोगो को नेपाली सरकार द्वारा लाल मोहरिया नाम का यह मोनोग्राम दिया गया है.

नेपाल में जब जंग बहादुर राणा का शासन था उस वक्त उन्होंने काशी- गया- प्रयाग में हर एक तीर्थ में अपना मोनोग्राम नियुक्त किया. यह प्रक्रिया डेढ़ सौ साल से चली आ रही हैं. नेपाली पीएम के आने की बात पर नेपाली पुरोहित ने कहा कि पहले जब नेपाल में राष्ट्रतन्त्र था तब 1993 में राजा वीरेंद्र आये थे उनकी पूजा काशी विश्वनाथ और काल भैरव मंदिर में हमारे पिता-चाचा ने की थी. मगर अब जब से नेपाल लोकतंत्र हो गया है तबसे हम लोगो को कोई सूचना नहीं मिलती. दिल्ली दूतावास से हमे मीडिया द्वारा ही बस सूचना प्राप्त होती हैं.

नेपाल के राजा जंग बहादुर राणा के बारे में एक कहानी सुनाते हुए कृपाशंकर द्विवेदी ने बताया कि एकबार राजा जंग बहादुर राणा भिखारी के भेष में काशी आये और यहां के घाटों पर उपस्थित पुरोहितो से कहा कि मेरे पास एक मुठी जौ है इसी से हमारे पितरों का श्राद्ध करा दो, मगर वहाँ उपस्थित पुरोहितों ने बिना पैसा लिए करने से मना कर दिया। उस वक्त मेरे परिवार के पिता- चाचा ने उन्हें गरीब आदमी समझकर एक मुठी जौ से ही श्राद्ध करवा दिया। इसके बाद नेपाल नरेश ने खुश होकर अपना परिचय देते हुए कहा कि अबसे यहां नेपाल के जो भी लोग पूजा कराने आएंगे उनका अधिकार पूजा कराने का आपके परिवार को मैं देता हूँ और उसी वक्त लाल मोहरिया पट्टा हमारे परिवार को मिला.

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