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Varanasi News: नेपाल के पीएम शेर बहादुर देउबा वाराणसी के इन मंदिरों में करेंगे पूजा, जानें हर खास बात

दो अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे. दिल्ली में आधिकारिक मुलाकातों के अलावा नेपाली पीएम वाराणसी भी जाएंगे. ऐसे में पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ललिता घाट पर बना पशुपति नाथ का मंदिर नेपाली शैली में निर्मित होने की वजह से नेपाल और वहां के पर्यटकों को आकर्षित करता है.

Varanasi News: नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा भारत आ रहे हैं. इस दौरान वह तीन दिवसीय भारत दौरे पर एक अप्रैल को भारत आएंगे. दो अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे. दिल्ली में आधिकारिक मुलाकातों के अलावा नेपाली पीएम वाराणसी भी जाएंगे. ऐसे में पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ललिता घाट पर बना पशुपति नाथ का मंदिर नेपाली शैली में निर्मित होने की वजह से नेपाल और वहां के पर्यटकों को आकर्षित करता है.

इस लिहाजे से यह नेपाली मन्दिर भारत और नेपाल के बीच आपसी संबंधों को प्रगाढ़ करने में मददगार साबित होगा. वाराणसी में नेपाली बौद्ध भी सारनाथ आते रहते हैं. इसके अतिरिक्त भी काशी विश्वनाथ और पशुपतिनाथ के बीच प्राचीन काल से संबंध हैं. गंगा और बागमती नदी का गहरा नाता है. इस लिहाज से नेपाली पीएम का काशी दौरा दोनो देशों के आपसी सम्बन्धो को मजबूती देने में प्रगाढ़ भूमिका निभाएगा.

भारत और नेपाल के बीच रिश्ते होंगे मधुर

भारत वह देश है जो न सिर्फ सनातन, बल्कि अन्य धर्मों और जातियों के साथ-साथ दूसरे देशों की संस्कृति और सभ्यताओं को भी संभाले हुए है. वहीं, जब बात पड़ोसी मुल्क की आए तो निश्चित तौर पर भारत अपने पड़ोसी देश के साथ रिश्तों को बेहतर करने का प्रयास करता रहा है. इस बार नेपाल के साथ अपने रिश्ते को बेहतर करने का मौका भारत को मिलने जा रहा है, क्योंकि एक अप्रैल से नेपाल के प्रधानमंत्री शेर सिंह देउबा (अपने तीन दिवसीय दौरे पर भारत आ रहे हैं. उनके इस दौरे से भारत और नेपाल के बीच रिश्ते को मिठास मिलने की पूरी उम्मीद की जा रही है.

नेपाली मंदिर के नाम से भी है मशहूर

शिव की नगरी काशी में ललिता घाट पर मिनी नेपाल बसता है. विश्वनाथ कॉरिडोर के पहले पाथवे के प्रवेश द्वार जलासेन घाट के बगल में स्थित भगवान पशुपति का मंदिर नेपालियों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. नेपाल के पशुपति नाथ मंदिर का प्रतिरूप इस मंदिर में प्रवेश के बाद काशी में ही नेपाल का एहसास होगा. काशी में स्थित पशुपति नाथ का ये मंदिर नेपाली मंदिर के नाम से भी मशहूर है. मंदिर के संरक्षण का काम भी नेपाल सरकार ही करती है. काशी जहां मां गंगा के तट पर बसी है तो वहीं काठमांडू शहर बागमती नदी के किनारे विकसित हुआ. काशी में स्थित पशुपति नाथ के मंदिर की नक्काशी और नेपाल के मंदिर की नक्काशी भी बिल्कुल हूबहू है. इसके अलावा दोनों मंदिरों की भव्यता भी एक जैसी ही है. काशी और नेपाल के पशुपति नाथ के मंदिर में पूजापाठ भी नेपाली समुदाय के लोग ही करते हैं, वो भी बिल्कुल एक जैसी परंपरा के अनुसार.

मंदिर के पूरा होने में चालीस साल लगे

पशुपतिनाथ मंदिर का निर्माण नेपाल के राजा राणा बहादुर साहा ने करवाया था. वाराणसी में मंदिर निर्माण के उद्देश्य से वो काशी आए और प्रवास किया. वर्ष 1800 से 1804 तक नेपाल के राजा राणा बहादुर शाह ने काशी में प्रवास किया. प्रवास के दौरान पूजा पाठ के लिए उन्होंने काशी में शिव मंदिर बनवाने का निर्णय लिया, वो भी नेपाल के वास्तु और शिल्प के अनुसार. गंगा किनारे घाट की भूमि इस मंदिर के निर्माण के लिए चुनी और इसका निर्माण शुरू कराया इसी दौरान 1806 में उनकी मृत्यु हो गई. मृत्यु के बाद उनके बेटे राजा राजेन्द्र वीर विक्त्रस्म साहा ने इस मंदिर का निर्माण 1843 में पूरा कराया. बीच में कई वर्षों तक इस मंदिर का निर्माण रुका था. यही वजह रही कि इस मंदिर के पूरा होने में चालीस साल का समय लग गया.

एक बड़ा संदेश देने का भी प्रयास करेंगे

ऐसे में नेपाली पीएम का वाराणसी दौरे के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन- पूजन करने के अलावा बनारस में मौजूद नेपाल की उस विरासत से भी वह रूबरू होंगे, जो सैकड़ों साल पुरानी है यानी बनारस से भारत और नेपाल के रिश्तों को मजबूती देने के लिए मौजूद नेपाली विरासत एक बड़ा किरदार निभा सकती है. आज भी इस नेपाली मंदिर की देखरेख व पूजा-पाठ के साथ ही यहां रहने वाली वृद्ध माताओं का हर जिम्मा नेपाल सरकार उठाती है. बाकायदा इसके लिए यहां ट्रस्ट बनाया गया है. जिसमें अध्यक्ष से लेकर सचिव, मैनेजर सभी कोई नियुक्त है. नेपाल सरकार की तरफ से काशी के इस मंदिर को पूरा सहयोग दिया जाता है, जो अपने आप में यह स्पष्ट करता है कि भारत में मौजूद नेपाल की यह विरासत आज भी दोनों देशों के रिश्ते को मजबूत करने का काम कर रही है. वहीं, इस मजबूत सीढ़ी के बल पर भारत आ रहे नेपाली प्रधानमंत्री अपने पुराने रिश्तों में गर्माहट के साथ काशी से दोनों देशों के मजबूत रिश्ते के लिए एक बड़ा संदेश देने का भी प्रयास करेंगे.

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