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माफिया रामू द्विवेदी की गिरफ्तारी किसी और केस में, जेल भेजा किसी और में, जेल भेजते वक्त केस की अपराध संख्या ही बदल दी

देवरिया : लिस्टेड माफिया पूर्व एमएलसी रामू द्विवेदी को पुलिस ने गिरफ्तार किया किसी और केस (अपराध संख्या 2228/12 ) में और जेल भेज दिया किसी दूसरे केस (अपराध संख्या-2230/12) में. सदर कोतवाली पुलिस द्वारा इस मामले में कोर्ट में जमा किए गए दस्तावेज में यह हकीकत दर्ज है. इस हाईप्रोफाइल केस में यह बड़ी गलती हुई या बड़ा खेल, इसको लेकर ढेरों सवाल खड़े हो गए हैं.

देवरिया : लिस्टेड माफिया पूर्व एमएलसी रामू द्विवेदी को पुलिस ने गिरफ्तार किया किसी और केस (अपराध संख्या 2228/12 ) में और जेल भेज दिया किसी दूसरे केस (अपराध संख्या-2230/12) में. सदर कोतवाली पुलिस द्वारा इस मामले में कोर्ट में जमा किए गए दस्तावेज में यह हकीकत दर्ज है. इस हाईप्रोफाइल केस में यह बड़ी गलती हुई या बड़ा खेल, इसको लेकर ढेरों सवाल खड़े हो गए हैं.

पुराना रिकॉर्ड गवाह है कि वादी के अनुरोध पर इस मामले में आठ साल पहले फाइनल रिपोर्ट लगाते वक्त भी पुलिस ने कुछ ऐसा ही किया था. जानकारी के मुताबिक शहर के इंडस्ट्रियल स्टेट मेहड़ा पुरवा निवासी निकुंज अग्रवाल ने पूर्व एमएलसी के खिलाफ 6 नवंबर 2012 को सदर कोतवाली में द्विवेदी के खिलाफ केस दर्ज कराया था. इस मामले में पुलिस ने अपराध संख्या 2228/12 पर आईपीसी की धारा 386 (अवैध वसूली), 504( गाली-गलौच), 506 (जान से मारने की धमकी) , 323 (मारपीट) के तहत मुकदमा दर्ज किया था. मामले की विवेचना के दौरान वादी ने शपथ पत्र देकर मुकदमा वापस लेने की बात कही. इसके बाद पुलिस ने आनन-फानन में अंतिम रिपोर्ट लगा दी.

कमाल की बात है कि विवेचक ने अपराध संख्या 2228/12 की बजाए अपराध संख्या 2230/12 में फाइनल रिपोर्ट लगाकर न्यायालय भेज दी. अब साढ़े आठ वर्ष बाद मामला फिर से खुला तो पुलिस ने पूर्व एमएलसी के नाम दर्ज अपराध संख्या 2228/12 के बजाए उन्हें अपराध संख्या 2230/12 में गिरफ्तार किया. पुलिस ने अपराध संख्या को नजरंदाज कर फिर उसी गलती को दोहरा दिया.

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यही नहीं, पुलिस ने नकल रपट में अपराध संख्या 2228/12 दर्ज किया,जबकि कोर्ट की रिमांड शीट अपराध संख्या 2230/12 में तैयार कर पूर्व एमएलसी को जेल भेजा गया,इतना ही नहीं, अग्रिम विवेचना के लिए कोतवाल ने जो प्रार्थना पत्र न्यायालय में दिया है, उसमें भी अपराध संख्या 2230/12 लिखाहै. इस पर किसी भी पुलिस के अधिकारी की नजर नहीं पड़ी. यहां तक कि अभियोजन अधिकारी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया और कागजात न्यायालय में पेश कर दिए. अपराध संख्या 2230/12 में क्या ब्यौरा दर्ज है, फिलहाल इस पर पुलिस ने होंठ सी लिए हैं.

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