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जनसंख्या नियंत्रण नीति : मुस्लिम समुदायों व संगठनों ने शिक्षा और जागरूकता पर जोर देने की कही बात, बोले…

Government of Uttar Pradesh, Population control policy, Education and awareness : लखनऊ : उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण नीति की घोषणा के बाद मुस्लिम समुदायों-संगठनों से जुड़े लोग, मुफ्ती, इमाम, मौलाना, उलेमा बेहद सधी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. वहीं, प्रदेश सरकार से जुड़े लोगों ने समर्थन दिया है. उनका कहना है कि किसी तबके को टारगेट नहीं कर रहे हैं, बल्कि देश को आगे ले जाना चाहते हैं.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण नीति की घोषणा के बाद मुस्लिम समुदायों-संगठनों से जुड़े लोग, मुफ्ती, इमाम, मौलाना, उलेमा बेहद सधी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. वहीं, प्रदेश सरकार से जुड़े लोगों ने समर्थन दिया है. उनका कहना है कि किसी तबके को टारगेट नहीं कर रहे हैं, बल्कि देश को आगे ले जाना चाहते हैं.

फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने जनसंख्या नियंत्रण कानून को सियासी खेल करार देते हुए कहा है कि इसमें मुसलमान नहीं फंसेगा. उन्होंने कानून को बहुसंख्यक वर्ग को लामबंद करने की कोशिश करार दिया है. उनका कहना है कि वे ना तो इस कानून का विरोध करेंगे और ना ही स्वागत. उन्हों कहा कि पूरे देश के लिए भी अगर कानून आता है, तो इसमें कोई गलत नहीं है.

अंजुमन मोहब्बताने वतन के जमील अंजुम देहलवी ने जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा है कि इस कानून से समाज के एक वर्ग को दूसरे से बांटने की कोशिश की जा रही है. उनका कहना कि इस्लाम में जनसंख्या नियंत्रण पर स्पष्ट है कि अगर पति-पत्नी दोनों की सहमति बच्चा पैदा नहीं करने की हैं, तो बच्चा ना पैदा करने पर रोक नहीं है. लेकिन, दोनों में से कोई एक भी बच्चा पैदा करना चाहता है, तो दूसरा उसे रोक नहीं सकता.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मुफ्ती अतीक बस्तावी के मुताबिक, जनसंख्या नियंत्रण कानून का अंतिम प्रारूप सामने आने पर अध्ययन के बाद रणनीति बनायी जायेगी. बोर्ड की बैठक में इस मुद्दे पर फैसला किया जायेगा. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में देखा गया है कि शिक्षित होने पर लोगों ने स्वयं बच्चे कम पैदा करने लगे. कोई जबरदस्ती नहीं करनी पड़ी. सरकार को शिक्षित करने को लेकर गंभीरता से काम करना चाहिए.

लखनऊ के मौलाना सुफियान निजामी ने जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर कहा कि यह सही वक्त नहीं है. इससे नया विवाद पैदा होगा. यह सिर्फ एक चुनावी स्टंट है. अगले साल होनेवाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने इसे पेश किया है. यह राज्य का नहीं, देश का मामला है. वहीं, जमीयत उलमा ए हिंद के मेरठ इकाई के कारी सलमान कासमी का कहना है कि समान नागरिक संहिता और दो बच्चों का कानून इस्लाम के मुताबिक गलत है. सभी धर्मों में लोगों को जीने के अधिकार दिये गये हैं. मजहबी कानून में बदलाव करना संभव नहीं है. सरकार को फैसले पर विचार करना चाहिए.

वहीं, प्रदेश सरकार के मंत्री मोहसिन रजा ने कहा है कि जनता की सिफारिशों के बाद कानून लाया जायेगा. उन्होंने कहा है कि दो बच्चे होने पर उन्हें हम डॉक्टर-इंजीनियर बना सकते हैं. लेकिन, ज्यादा बच्चे होने पर वे पंचर ही बनायेंगे. कानून को लेकर किसी मजहब और तबके को लक्षित नहीं किया गया है. हम देश को आगे ले जाना चाहते हैं.

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