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साक्षी महाराज का सपा चीफ पर तंज- अखिलेश यादव भी यदुवंशी, मथुरा पर क्रेडिट लेने से क्यों हिचक रहे?

साक्षी महाराज ने कहा असदुद्दीन ओवैसी कहा करते थे कि राम मंदिर के नाम पर एक ईंट भी नहीं रखी जा सकती. आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन रहा है. शिव नगरी में काशी विश्वनाथ धाम बनकर तैयार हो गया है.

UP Election 2022: यूपी की उन्नाव सीट से बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने सपा नेताओं पर पड़े छापों पर तंज कसा है. अखिलेश यादव ने छापों की टाइमिंग पर सवाल उठाए तो उन्होंने सपा सुप्रीमो को अपना प्रिय कहा और सीखने की सलाह दी. साक्षी महाराज ने एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी पर भी करारा तंज कसा. साक्षी महाराज ने कहा असदुद्दीन ओवैसी कहा करते थे कि राम मंदिर के नाम पर एक ईंट भी नहीं रखी जा सकती. आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन रहा है. शिव नगरी में काशी विश्वनाथ धाम बनकर तैयार हो गया है. जो भी हो रहा है, उससे काफी खुशी मिली है.

काम सही होना चाहिए. टाइमिंग पर विश्लेषण करने की जरुरत नहीं है. जब किसी के बारे में पता चलेगा तभी उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने भी साफ कर दिया है कि सरकार पर उनका नियंत्रण नहीं है. सरकार देश के संविधान से चलती है.

साक्षी महाराज, बीजेपी सांसद

एबीपी की रिपोर्ट के मुताबिक साक्षी महाराज ने फारूख अब्दुल्ला पर कहा कि वो कहते थे कि मोदी दस बार पीएम बन जाएं, धारा 370 को नहीं छू सकता. एक पत्ता नहीं हिला और धारा 370 हटा दिया गया. साक्षी महाराज ने राम, कृष्ण, विश्वनाथ को हिंदुत्व की आत्मा कहा. उन्होंने कहा कि ये सभी हमारी आस्था हैं.

बीजेपी सांसद के मुताबिक दूसरों को लगता है कि यह वोट बैंक की राजनीति है तो अखिलेश यादव को मथुरा जाना चाहिए. उन्हों कहना चाहिए कि मथुरा का काम वो करेंगे. वो सारे वोट लें. हमने नहीं रोका है. साक्षी महाराज ने कहा कि अखिलेश और भगवान श्रीकृष्ण दोनों यदुवंशी हैं. अखिलेश यादव कहें कि अयोध्या, काशी का काम कर दिया गया है. अब मथुरा नगरी है. मथुरा का काम भी हम ही करेंगे.

साक्षी महाराज ने सपा नेताओं पर छापे और अखिलेश यादव के आरोपों पर कहा बीजेपी वोट बैंक की राजनीति नहीं करती. हम सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास की राष्ट्रनीति पर चलते हैं. सपा चीफ ने बीजेपी पर हताश होने का आरोप लगाया जो गलत है. हकीकत में अखिलेश यादव और सपा हताश है. उन्होंने तो सभी के साथ गठबंधन कर लिया. बुआ-बबुआ की चुनावी जोड़ी फ्लॉप रही. राहुल गांधी से दोस्ती भी अखिलेश को भारी पड़ी. सारा विपक्ष एक साथ आ गया था. इसके बावजूद लोकसभा में विपक्ष का नेता नहीं बन सका. देश की जनता ने उन सभी को नकार दिया है.

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