Kanpur News: महाराष्ट्र से लेकर उत्तर प्रदेश तक एक विवाद है, जो सबके जहन में बसा हुआ है. यह विवाद है लाउडस्पीकर का. सभी धर्मों के धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाए जाने के निर्देश के बाद कानपुर कमिश्नरेट और आउटर इलाकों के धार्मिक स्थलों से करीब 70 लाउडस्पीकरों को हटाया गया है. सबसे ज्यादा संख्या में लाउडस्पीकर मंदिरों और मस्जिदों से हटाए गए. शासन के आदेश को मानकर लगभग सभी जगह लोगों ने खुद ही लाउडस्पीकर उतार लिए.
बता दें कि घाटमपुर में तीन धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाए गए. कस्बा चौकी प्रभारी विजयप्रताप सिंह ने बताया कि कोर्ट के आदेश की जानकारी होने पर लोगों ने खुद ही लाउडस्पीकर उतार लिए. वहीं, कल्यानपुर स्थित आशा देवी मंदिर के पुजारी आशु महाराज का कहना है कि मंदिर में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल होता ही नहीं है.
पनकी मंदिर के महंत कृष्ण दास ने बताया कि मंदिर में घंटा घड़ियाल बजाकर ही आरती होती है. लाउडस्पीकर का प्रयोग नहीं होता है. नर्वल और महाराजपुर में करीब छह लाउडस्पीकर हटवाए गए. सलेमपुर स्थित बालाजी मंदिर और ब्रह्मदेव मंदिर से भी लाउडस्पीकर हटवाए गए.
बिल्हौर चौकी प्रभारी रवि दीक्षित ने बताया कि चार धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाए गए. वहीं, एक धार्मिक स्थल में एक लाउडस्पीकर की अनुमति दी गई है. शिवराजपुर के धार्मिक स्थल से 6 में से 2 लाउड स्पीकर को हटाने के आदेश दिए गए.
खेरेश्वर मंदिर, दूधेश्वर मंदिर और भूतेश्वर मंदिर में लगे दो लाउडस्पीकर में से एक को हटाने के निर्देश दिए गए. चौबेपुर में दो दर्जन धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर उतरवाए गए.
रिपोर्ट - आयुष तिवारी