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नसबंदी के बाद भी महिला प्रेग्नेंट, निजी अस्पताल की डीएम से शिकायत, जांच के निर्देश

आरोप है निजी अस्पताल में नसबंदी फेल होने से महिला की हालत बिगड़ गई. सरकारी अस्पताल पहुंचने पर उन्हें भर्ती नहीं किया गया है. डीएम दंपत्ति के मुआवजे के लिए सीएमओ को निर्देश दे दिए हैं.

‍Bareilly News: सरकार परिवार नियोजन की योजनाओं को बढ़ावा दे रही है. दूसरी तरफ परिवार नियोजन के लिए अपनाए जा रहे साधनों की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं. इसकी पोल कलक्ट्रेट पहुंचे एक दंपत्ति ने खोल दी. आरोप है निजी अस्पताल में नसबंदी फेल होने से महिला की हालत बिगड़ गई. सरकारी अस्पताल पहुंचने पर उन्हें भर्ती नहीं किया गया है. डीएम दंपत्ति के मुआवजे के लिए सीएमओ को निर्देश दे दिए हैं.

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बिथरीचैनपुर के रहने वाले अयूब शाह की पत्नी की साल 2018 में रामपुर गार्डन के एक निजी अस्पताल में नसबंदी हुई थी. इसी बीच महिला के प्रेग्नेंट होने पर नसबंदी फेल होने की जानकारी मिली. वो दस्तावेजों के साथ निजी अस्पताल पहुंचे. इसके बावजूद उनकी सुनवाई नहीं हुई. महिला चिकित्सक ने उन्हें सीएमओ कार्यालय संपर्क करने के लिए कहा. उनका कहना था कि पत्नी की हालत बिगड़ती जा रही थी. जुलाई में प्रसव के दौरान उनका बच्चा बचाया भी नहीं जा सका. पत्नी के इलाज के लिए उसने सीएमओ कार्यालय में संपर्क किया. मदद नहीं मिलने पर डीएम कार्यालय पहुंचे. डीएम ने कार्रवाई का भरोसा दिया.

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नसबंदी फेल होने पर नियमानुसार पीड़ित परिवार को 30 हजार रुपये का मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है. डीएम नीतीश कुमार ने सीएमओ ऑफिस से जांच कराने का निर्देश दिया है. अगर जांच में मामला सही पाया जाएगा तो दंपत्ति को मुआवजा भी दिलाई जाएगी. वहीं, नसबंदी करने वाले पर कार्रवाई हो सकती है.

(इनपुट: मो. साजिद)

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