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कोरोना की अफरा-तफरी में सामान्य मरीजों के इलाज पर संकट

बलिया : देशव्यापी लॉकडाउन के बीच जिला अस्पताल की स्वास्थ्य सुविधा कोरोना की भेंट चढ़ गयी है. ओपीडी बंद रहने के कारण विभिन्न रोगों से पीड़ित मरीज या तो मायूस होकर वापस घर जाने को विवश हैं या फिर 300 रुपये शुल्क देकर डॉक्टर साहब के पर्सनल चेंबर पर जाकर दिखाने को मजबूर. जिला अस्पताल […]

बलिया : देशव्यापी लॉकडाउन के बीच जिला अस्पताल की स्वास्थ्य सुविधा कोरोना की भेंट चढ़ गयी है. ओपीडी बंद रहने के कारण विभिन्न रोगों से पीड़ित मरीज या तो मायूस होकर वापस घर जाने को विवश हैं या फिर 300 रुपये शुल्क देकर डॉक्टर साहब के पर्सनल चेंबर पर जाकर दिखाने को मजबूर. जिला अस्पताल का हाल इन दिनों कुछ ऐसा है कि ओपीडी बंद होने के कारण बिचौलिये सक्रिय हो गये हैं. वे निजी या सरकारी डॉक्टर के प्राइवेट चेंबर तक मरीजों को फुसलाकर ले जाते हैं, जहां फीस देकर इलाज मिलता है. 175 बेड वाले जिला अस्पताल में आम दिनों में औसतन 1200 से 1300 मरीज आते हैं. किसी मरीज को नाक की समस्या रहती है तो किसी को कान या फिर किसी को आंख की समस्या. इसके अलावा 200 से 300 चर्मरोग के मरीज आते हैं. लेकिन इन दिनों ओपीडी बंद होने के कारण आम मरीज अपना इलाज कराने से वंचित रह जा रहे हैं.

जो सक्षम है वह तो चिकित्सक के पर्सनल चेंबर पर जाकर अपना उपचार करा ले रहे हैं, लेकिन गरीब तबके के मरीज स्वास्थ्य लाभ पाने से वंचित रह जा रहे हैं. सीएमएस बीपी सिंह के अनुसार आम मरीजों के लिए कमरा नंबर दो और पांच में चिकित्सक तैनात किए गए हैं, लेकिन अफसोस वहां जाने पर मरीज या फिर तीमारदार को कोई नहीं मिल रहा है. ऐसे में जिला अस्पताल में सामान्य मरीजों के इलाज पर संकट आ गया है. फोटो संख्या: 23- अपने बच्चों को लेकर खड़े रामनारायण रामकेस: 1. कान के दर्द की पीड़ा लेकर अस्पताल से लौटा बच्चाफेफना थाना क्षेत्र मिठवार निवासी रामनारायण राम अपने आठ साल लड़के को लेकर शनिवार की सुबह लगभग 11 बजे जिला अस्पताल पहुंचा था, जहां उसने देखा कि ओपीडी बंद है. रामनारायण राम से उसकी परेशानी के बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि मेरे लड़के के कान में तीन दिन से असहनीय दर्द हो रहा है. दुकान से दवा खरीदकर उसे खिलाई गयी, लेकिन राहत नहीं है. मजबूरन आज उसे जिला अस्पताल आना पड़ा, जहां आने के बाद उसने देखा कि ओपीडी बंद है. इसके बाद उसने सीएमएस के पास गुहार लगाई, जहां से उसे दो नंबर कमरे में भेजा गया, लेकिन यहां भी उसे चिकित्सक नहीं मिले. इसबीच एक आदमी ने उसे डाक्टर साहब के चेंबर पर जाने की सलाह दी, लेकिन उसके एवज में 300 रुपये की मांग कर डाली. रामनारायण ने बताया कि इतना पैसा उसके पास है नहीं और यही कहते हुए वापस घर के लिए चल दिया.

तीन साल के मासूम का नहीं हो सका इलाजबांसडीहरोड थाना क्षेत्र के पटखौली निवासी दीनबंधु यादव अपने तीन वर्षीय मासूम बच्चे को लेकर ओपीड में चाइल्ड स्पेशलिस्ट को दिखाने आया था, जहां उसे पता चला कि लॉकडाउन के कारण ओपीडी बंद है. इस पर उसने अपनी गरीबी का हवाला देते हुए सीएमएस बीपी सिंह से गुहार लगायी. उसे दो नंबर कमरे में जाने की सलाह दी गयी. सीएमएस की बात सुनकर दीनबंधु जब अपने मासूम बच्चे को लेकर दो नंबर कमरे में गया, तो वहां उसे चिकित्सक नहीं मिले. उसका कहना था कि उसे किसी ने बताया कि डाक्टर साहब घर पर देख रहे हैं, उसे वहीं ले जाऊंगा. भले कितना ही पैसा क्यों न लगे. बर्न वॉर्ड में सुबह से ही बंद रहा एसीजिला अस्पताल के बर्न वार्ड शनिवार को सुबह से एसी बंद रही, जिससे मरीजों को काफी परेशानी हुई. इस दौरान मरीज के तीमारदार वार्ड में तैनात नर्स से जब एसी चलाने की बात कही तो नर्सेस सुनकर भी अनसुना कर दे रही थी, सुबह सात बजे से दोपहर 12 बजे तक यही सिलसिला चलता रहा, इसके बाद एक तीमारदार ने सीएमएस से जाकर इसकी शिकायत की, तब जाकर एसी चालू हुई और मरीजों को राहत मिली. वर्जन:सोशल डिस्टेंसिंग के कारण ओपीडी बंद है, फिर भी कमरा नंबर दो व पांच में चिकित्सक तैनात किये गये है. अन्य रोगों से संबंधित मरीज वहां जाकर अपना इलाज करा सकते हैं.

बीपी सिंह, सीएमएस

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