Prayagraj News: वाराणसी काशी विश्वनाथ (विशेश्वरनाथ) मंदिर- ज्ञानवापी मामले पर हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष ने अपनी दलील पेश की. स्वयंभू भगवान विश्वेश्वरनाथ पक्षकार की तरफ से उनके वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने बहस की. हिंदू पक्ष की बहस पूरी होने के बाद यूपी सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता ने बहस की गई. जस्टिस प्रकाश पाडिया की सिंगल बेंच ने मामले की सुनवाई की. केस में अगली सुनवाई 6 जुलाई को होगी.
अगली सुनवाई पर मुस्लिम पक्षकार की बहस
अगली सुनवाई पर मुस्लिम पक्षकार अपनी बहस जारी रखेंगे. इसके साथ ही यूपी सरकार चाहे तो अपना अपना पक्ष रख सकेगी. गौरतलब है कि इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा सर्वे को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट 1991 में दाखिल वाद पर यह तय करेगा कि हाईकोर्ट आगे इस मामले में सुनवाई करेगा या नहीं.
जानिए क्या है पूरा मामला
वाराणसी की सिविल कोर्ट में हिंदू पक्षकारों की ओर से 1991 में ज्ञानवापी में नए मंदिर निर्माण और पूजा पाठ के अधिकार को लेकर मुकदमा दाखिल किया गया था. इसके मुकदमें को लेकर 1997 में हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. हाईकोर्ट से स्टे होने के बाद कई वर्षों तक वाद लम्बित रहा.
इसके बाद 10 दिसंबर 2019 को विशेश्वर नाथ मंदिर की ओर से वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने सिविल जज सीनियर डिविजन कोर्ट में आवेदन देकर ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की अपील की और दावा किया कि, इसके नीचे काशी विश्वनाथ मंदिर के पुरातात्विक अवशेष हैं. भूतल में एक तहखाना है. जिसमें 100 फुट गहरा शिवलिंग है. मंदिर का निर्माण हजारों वर्ष पहले 2050 विक्रमी संवत में राजा विक्रमादित्य ने, फिर सतयुग में राजा हरिश्चंद्र और 1780 में अहिल्यावाई होलकर ने जीर्णोद्धार कराया था.
वहीं दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष की ओर दायर याचिका में कहा गया है कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत यह वाद नहीं चलाया जा सकता. एक्ट के तहत अयोध्या को छोड़कर अन्य किसी धार्मिक स्थल के स्वरूप में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता. मुस्लिम पक्षकारों का कहना है कि एक्ट के तहत आजादी के समय 15 अगस्त 1947 को जिस धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी वही स्थिति बरकरार रहेगी.
गौरतलब है कि काशी विश्वनाथ मंदिर (विशेश्वरनाथ मंदिर) और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड मुस्लिम पक्षकार हैं. दोनों पक्षकारों की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में कुल 6 याचिकाएं दाखिल की गई हैं.
रिपोर्ट- एसके इलाहाबादी