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Friday, March 29, 2024

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Aligarh News: दो साल बाद शुरू हुआ पशुओं का खुरपका-मुंहपका टीकाकरण, ऐसे करें बीमारी से बचाव

वरिष्ठ पशु शल्य चिकित्सक डॉक्टर विराम वार्ष्णेय ने प्रभात खबर को बताया कि खुरपका और मुंहपका जैसे रोगों का पता लगते ही उस पशु को अन्य पशुओं से अलग आइसोलेटेड कर देना चाहिए. दूध निकालने वाले व्यक्ति को हाथ और मुंह साबुन से धोने चाहिए.

Aligarh News: दो साल से पशुओं को खुरपका- मुंहपका जैसी जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण नहीं हो सका था. अब टीके आने से टीकाकरण शुरू हो गया है.

आए पशुओं के टीके, शुरू हुआ टीकाकरण 

दो साल के लंबे इंतजार के बाद पशुओं के टीके आ गए हैं. लोधा ब्लॉक में ब्लॉक प्रमुख ठाकुर हरेन्द्र सिंह ने खुरपका- मुंहपका के बचाव के लिए टीकाकरण अभियान का शुभारम्भ विकास खण्ड परिसर से विभिन्न टीमों को हरी झंडी दिखाकर किया. टीकाकरण में खण्ड विकास अधिकारी राजीव कुमार वर्मा, उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, सदर डॉ. रमेश, ठाकुर बच्चू सिंह, प्रधान, ग्राम प्रधान बादवामनी डॉ ओमवीर सिंह, ग्राम प्रधान करीलिया हरेन्द्र शर्मा, ग्राम प्रधान करसुआ, पशुधन प्रसार अधिकारी उपस्थित रहे.

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2020 में हुआ था पशुओं का टीकाकरण

दो साल पहले 2020 में अलीगढ़ के 12 लाख पशुओं को खुरपका-मुंहपका जैसी जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण हुआ था. फिर कोरोना की पहली, दूसरी, तीसरी लहर के चलते लोगों के टीकाकरण के चक्कर में पशुओं को टीके की सुरक्षा नहीं मिल पाई थी.

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पशुओं का साल में दो बार होता है टीकाकरण

पशुओं को खुरपका और मुंहपका जैसी बीमारियों से बचाने के लिए साथ में दो बार यानी 6-6 माह पर टीकाकरण कराया जाता है. इस टीके की रोग प्रतिरोधक क्षमता 6 माह की है. 4 माह तक के गाय और भैंस के बच्चे को टीका नहीं लगाया जाता. आठ माह से अधिक गर्भवती गाय और भैंस को भी टीका नहीं लगाया जाता है.

यह है खुरपका-मुंहपका बीमारी

पशुओं में खुरपका और मुंहपका बीमारी अधिकतर देखी जाती है. खुर यानी पशु के नाखून में घाव हो जाना और मुंह में सूजन आ जाना ही खुरपका और मुंहपका बीमारी कहलाती है. पशु के जीभ और तलवे में छाले हो जाते हैं. छाले घाव में बदल जाते हैं. पशु भोजन करना और जुगाली करना बंद कर देते हैं. मुंह से लगातार लार टपकती रहती है.

ऐसे करें बीमारी से बचाव

वरिष्ठ पशु शल्य चिकित्सक डॉक्टर विराम वार्ष्णेय ने प्रभात खबर को बताया कि खुरपका और मुंहपका जैसे रोगों का पता लगते ही उस पशु को अन्य पशुओं से अलग आइसोलेटेड कर देना चाहिए. दूध निकालने वाले व्यक्ति को हाथ और मुंह साबुन से धोने चाहिए. पशु को दिख रहे हैं. लक्षण के हिसाब से तुरंत पशु चिकित्सक को दिखाना चाहिए.

रिपोर्ट- चमन शर्मा

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