CDS Bipin Rawat Chopper Crash: तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलिकॉप्टर हादसे में सीडीएस विपिन रावत के साथ आगरा जिले का एक लाल भी शहीद हो गया. पृथ्वी सिंह चौहान भी इसी हेलिकॉप्टर में पायलट के तौर पर मौजूद थे. पृथ्वी अपनी कार्यकुशलता में परिपक्व थे. उनके कार्य से वायुसेना भी काफी प्रभावित थी. पृथ्वी ने वायुसेना की सूडान में विशेष ट्रेनिंग ली थी. दुर्घटना की सूचना मिलते ही उनके घर पर शोक की लहर दौड़ गई. साथ ही तमाम रिश्तेदार व पास पड़ोसियों का उनके घर पर जमावड़ा लग गया. हालांकि अभी तक उनके निधन की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन उनके परिजनों ने इस घटना की जानकारी दी है.
कौन हैं पृथ्वी सिंह चौहान
जिले के न्यू आगरा क्षेत्र के सरन नगर के रहने वाले पृथ्वी सिंह चौहान पुत्र सुरेंद्र सिंह चौहान 42 वर्ष के थे. वह चार बहनों में सबसे छोटे भाई थे. उनकी बड़ी बहन का नाम शकुंतला, दूसरी बहन का नाम मीना, तीसरी बहन का नाम गीता और चौथी बहन का नाम सुनीता है. पृथ्वी ने छठी कक्षा में सैनिक स्कूल रीवा में दाखिला लिया था. वहीं से वह एनडीए में सेलेक्ट हुए थे.
2007 में हुई शादी
सन 2000 में पृथ्वी ने भारतीय वायुसेना में ज्वॉइनिंग की और वर्तमान में वह विंग कमांडर थे. वहीं कोयंबटूर के पास एयरपोर्ट स्टेशन पर उनकी तैनाती थी. पृथ्वी की शादी 2007 में वृंदावन निवासी कामिनी से हुई थी. उनकी एक बेटी आराध्या (12) और बेटा अविराज (9) है.
बड़ी बेटी ने फोन पर पत्नी को दी हेलीकॉप्टर क्रैश की जानकारी
पृथ्वी सिंह चौहान के घर पर तमाम लोगों की भीड़ जुट रही है. पृथ्वी सिंह के पिता सुरेंद्र सिंह बीटा ब्रेड का उत्पादन किया करते थे. उन्होंने बताया कि पृथ्वी उनके सबसे छोटे बेटे थे और इकलौते भी थे. अभी उनके पास कहीं से भी बेटे की निधन की जानकारी नहीं आई है लेकिन मुंबई में उनकी बड़ी बेटी शकुंतला ने टीवी पर खबर देखकर पृथ्वी की पत्नी कामिनी को फोन से इस बात की जानकारी दी है.
हादसे के बाद से फोन बंद
पृथ्वी की मां सुशीला देवी ने बताया कि उनकी बड़ी बेटी शकुंतला ने दोपहर में हेलीकॉप्टर क्रैश होने की खबर देखी और अपने भाई पृथ्वी को फोन किया, लेकिन उनका फोन बंद जा रहा था. इसके बाद शकुंतला ने पृथ्वी की पत्नी कामिनी से बात की और कामिनी को इस हादसे की जानकारी दी.
तेज तर्रार और कुशल विंग कमांडर थे पृथ्वी सिंह चौहान
मिली जानकारी के अनुसार, पृथ्वी सिंह चौहान बहुत ही तेज तर्रार और कुशल विंग कमांडर थे. अपने कौशल से उन्होंने दुश्मन के कई लड़ाकू विमानों को चकमा दिया और धराशाई किया है. एयर फोर्स ज्वॉइन करने के बाद उनकी पहली पोस्टिंग हैदराबाद जिले में हुई. इसके बाद वे गोरखपुर, गुवाहाटी, उधम सिंह नगर, जामनगर और अंडमान निकोबार सहित कई एयर फोर्स स्टेशन पर तैनात रहे.
(रिपोर्ट- राघवेंद्र सिंह गहलोत, आगरा)