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सूबे की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी अखिलेश सरकार

।। राजेन्द्र कुमार।। लखनऊः अपने करिश्माई व्यक्तित्व के सहारे अपार बहुमत हासिल यूपी की सत्ता पर काबिज होने वाले अखिलेश यादव की सरकार ने शनिवार को अपना दो साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है. इन दो वर्षो में अखिलेश सरकार से सूबे के लोगों की जो अपेक्षा थी उस पर उनकी सरकार भले ही […]

।। राजेन्द्र कुमार।।

लखनऊः अपने करिश्माई व्यक्तित्व के सहारे अपार बहुमत हासिल यूपी की सत्ता पर काबिज होने वाले अखिलेश यादव की सरकार ने शनिवार को अपना दो साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है. इन दो वर्षो में अखिलेश सरकार से सूबे के लोगों की जो अपेक्षा थी उस पर उनकी सरकार भले ही पूरी तरह खरी नहीं उतरी सकी है फिर भी सूबे के लोगों को अखिलेश यादव से अभी बहुत उम्मीद हैं. जनता के इस भरोसे पर खरा उतरने के लिए कुछ मोर्चो पर नाकाम रही अखिलेश सरकार चुनाव में किए वादों में से ज्यादातर को पूरा करने में लगी है. इस संबंध में गई अखिलेश की पहल उनकी सरकार की उपलब्धि भी है.

हालांकि सूबे की कानून व्यवस्था और औद्योगिक विकास के मोर्चे पर अखिलेश सरकार अभी बहुत बेहतर काम नहीं कर सकी है. जिसे लेकर अखिलेश कहते हैं कि लोकसभा चुनावों के बाद वह इस मोर्चे पर रह गई हर कमी को दूर करने में जुटेंगे. वैसे बीते दो वर्षो में कानून व्यवस्था और औद्योगिक विकास के क्षेत्र में काफी काम किया गया है. उनके इस दावे के इतर

बीते दो वर्षो में सूबे के युवा मुख्यमंत्री के सामने कानून व्यवस्था का मामला सबसे बड़ी चुनौती रहा है. इस दरमियान सूबे में छोटे बड़े सौ से अधिक साम्प्रदायिक दंगे हुए. जिनमें मुजफ्फरनगर में बीते वर्ष हुआ भीषण दंगा भी शामिल है. अखिलेश यादव इस दंगे को अपनी सरकार पर लगा दाग बताते हैं.

वास्तव में कानून व्यवस्था के मोर्चे पर अखिलेश सरकार असफल रही है. दंगे फसाद को रोकने में पुलिस की भूमिका संदिग्ध रही है. इस चुनौती से मुख्यमंत्री को खुद ही निपटना होगा, हालांकि बीते साल मुलायम सिंह यादव ने उन्हें सलाह दी थी कि वह लापरवाही बरतने वाले अफसरों पर त्वरित कार्रवाई करें तो पन्द्रह दिन में ही सूबे की कानून व्यवस्था सुधर जाएगी. सपा प्रमुख की इस सलाह को मुख्यमंत्री ने कितना अमल किया है, यह तो किसी को नहीं पता पर सूबे की नौकरशाही में मुख्यमंत्री का कोई खौफ वैसा नहीं है जैसा कि मायावती का रहता था. कहा जा रहा है कि सूबे की सरकार में सत्ता के कई केंद्र होने के नाते ही अखिलेश का खौफ नौकरशाही पर नहीं हुआ है, जिसका खामियाजा भी अखिलेश यादव भुगत रहे हैं. अब सूबे के लोग चाहते हैं कि अखिलेश सूबे में बेरोजगारी भत्ता और लैपटॉप मुहैया कराने की अपेक्षा सुशासन को लागू करने पर विशेष ध्यान दें और यूपी का दौरा करें. सिर्फ लखनऊ में बैठकर शासन ना चलाए.

जनता की इस मंशा को पूरा करने का प्रयास मुख्यमंत्री ने किया है. बीते दो सालों में वह हर हफ्ते लखनऊ से यूपी के किसी शहर या गांव में गए और वहां उन्होंने जनता की छोटी बड़ी समस्याओं का जाना. सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी मुख्यमंत्री कहते हैं कि मुख्यमंत्री ने जनता की समस्याओं को दूर करने की लगातार पहल की है. किसानों के 50 हजार तक के कर्ज माफ करने, उनकी बंधक जमीन की नीलामी पर रोक लगाने, सरकारी ट्यूबवेल व नहर से मुफ्त सिंचाई की सुविधा देने, बेरोजगारी भत्ता देने, कन्याधन की राशि पहले से बढ़ाकर देने, गर्भवती महिलाओं के लिए डॉयल 102 एंबुलेंस की शुरुआत, प्रदेश के सरकारी चिकित्सालयों में मुफ्त एक्स-रे और जांचों की सुविधा जैसी कई योजनाएं सपा प्रमुख मुलायम सिंह और मुख्यमंत्री की पहल पर शुरू हुई. जिन्हें जनता से सराहा है.

यूपी के स्थाई विकास का रास्ता खुला : अखिलेश

लखनऊः अपनी सरकार के दो वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर सपा मुख्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेस में मुख्यमंत्री मंत्री अखिलेश यादव ने दावा किया कि अब प्रदेश के स्थाई विकास का रास्ता खुला है. हमारी सरकार जल्द उत्तर प्रदेश को विकास के रास्ते पर ले जाकर सभी को खुशहाल होने का मौका देगी. उन्होंने कानून-व्यवस्था में अभी और सुधार की बात कही. बीते दो सालों में उनकी सरकार ने जनता की भलाई के लिए क्या-क्या किया और क्या करने वाली है? इस बारे में मुख्यमंत्री ने विस्तार से बताया. फिर उन्होंने कहा कि उनकी सरकार जनता का पैसा विभिन्न लोकप्रिय योजनाओं के जरिए जनता को लौटा रही है. स्मारक आदि बनाकर उनका खर्च नहीं कर रही है जैसा कि पूर्व की मायावती सरकार ने किया था.

विकास की बात कर सांप्रदायिकता फैलाते अन्य दल

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम लिए बिना ही उनका हमला बोला. मुख्यमंत्री के अनुसार तमाम विपक्षी दल विकास भी बात कर जनता को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं और ऐसे दल अपने राज्य के विकास का माडल प्रस्तुत करते हुए यूपी में सांप्रदायिकता फैलाने का प्रयास करते हैं. जबकि सपा सिर्फ विकास की बात करती है और विकास की आंड़ में सांप्रदायिकता का जहर फैलाने वालों का विरोध करती है. आने वाले चुनाव में सपा सांप्रदायिक ताकतों को रोकने का प्रयास करेगी. किसी भी कीमत पर ऐसे लोगों को सफल नहीं होने देगी.

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