कानपुर : सदी के महानायक अमिताभ बच्चन और पूर्व सपा नेता अमर सिंह, उनकी पत्नी पंकजा सिंह तथा अन्य के खिलाफ चल रहे धन शोधन,भ्रष्टाचार और फर्जी दस्तावेज बनाकर धोखाधड़ी करने के मामले में कानपुर की एक अदालत में चल रहे विचाराधीन मुकदमें में पुलिस की रिपोर्ट तथा मुकदमा लिखाने वाले वादी द्वारा अब मुकदमा न लड़ने की बात कहने से इन सभी को राहत मिल गयी है और अभियोजन की अंतिम आख्या रिपोर्ट स्वीकार कर ली है जिसके बाद अब यह मुकदमा बंद हो गया. गौरतलब है कि चकेरी इलाके के रहने वाले शिवाकांत त्रिपाठी ने 15 अक्टूबर 2009 को बाबूपुरवा पुलिस स्टेशन में राज्य सभा सांसद अमर सिंह उनकी पत्नी पंकजा सिंह, फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन सहित चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था.
इस मुकदमें में उन्होंने आरोप लगाया था कि अमर सिंह ने उत्तर प्रदेश राज्य विकास परिषद के अध्यक्ष होते हुये अपनी खुद की कंपनियों को करोड़ों रुपये का गलत तरीके से फायदा पहुंचाया है. उन्होंने अमर सिंह, अमिताभ बच्चन व अन्य पर करीब एक दर्जन कंपनियों के जरिये मनीलांड्रिंग का करने का आरोप लगाया था. उनका आरोप था कि अमर सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर लोकसेवक होते हुये गलत तरीके से इन कंपनियों के जरिये काफी पैसा अर्जित किया था. एफआईआर लिखाने वाले वादी शिवाकांत त्रिपाठी ने बताया कि चूंकि उनका स्वास्थ्य खराब है और अभी हाल ही में उनको दिल का दौरा पड़ा था इसलिये उन्होंने 19 दिसंबर 2013 को अदालत में प्रार्थना पत्र देकर कहा कि वह अपने मामले को अब और अदालत में नही लड़ना चाहते है इस लिये वह अपनी याचिका को और अधिक बल नही देना चाहते है.
वैसे सूत्र बताते है कि वादी त्रिपाठी पर इस मामले को बंद करने के लिये प्रदेश सरकार से काफी दबाव पड़ रहा था लेकिन जब इस बारे में त्रिपाठी से बात की गयी तो उन्होंने इस दबाव की बात को न माना और न ही मना किया. बस उन्होंने इतना कहा कि मेरी तबियत खराब है इस लिये अब मै यह मुकदमा नही लड़ना चाहता यदि कोई और लड़े तो वह पहल कर सकता है.इस मामले की जांच कर रहे बाबूपुरवा के सर्किल आफिसर डीएसपी पवित्र मोहन त्रिपाठी ने आज भाषा को बताया कि इस मामले की जांच उन्होंने की थी और जांच में कोई भी सबूत उन्हें ऐसा नही मिला था जिसमें अमर सिंह और अमिताभ बच्चन समेत अन्य लोग आरोपी साबित होते हो इस लिये पुलिस ने भी इस मामले में अंतिम रिपोर्ट अदालत में लगा दी थी. त्रिपाठी ने 15 अक्टूबर 2009 जब यह मामला दर्ज कराया था तो काफी हंगामा मचा था बाद में मामले की जांच का काम प्रवर्तन निदेशालय को सौंपी थी लेकिन प्रवर्तन निदेशालय ने 11 सितंबर 2012 को रिपोर्ट निराधार पाते हुये अंतिम रिपोर्ट लगा दी थी. बाद में आर्थिक अपराध शाखा को यह मामला सौंपा गया था वहां भी जांच के बाद मामला सही नही पाया गया जिसके बाद याची शिवाकांत त्रिपाठी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. हाईकोर्ट ने 12 अक्टूबर को आदेश दिया कि आरोपियों के खिलाफ कोई आरोप नही बनता है. इसके बाद तत्कालीन बाबू पुरवा सीओ ने मामले की जांच की.
बाबूपुरवा सीओ पवित्र मोहन त्रिपाठी ने आज बताया कि इस मामले की जांच के बाद 31 अक्टूबर 2012 को अंतिम रिपोर्ट दी थी कि आरोपियों के खिलाफ कोई गवाह नही मिला इस लिये यह मामला नही बनता. बाद में वादी त्रिपाठी ने पांच नवंबर 2012 को अदालत में प्रोटेस्ट पीटिशन दाखिल की कि बिना उन्हें सुने उनके द्वारा दायर मामले को खारिज न किया जायें. इसके बाद वादी त्रिपाठी ने 20 मई 2013 को अदालत में एक और शपथ पत्र :एफीडेविट: दिया कि उन्हें अब इस मामले में अब कुछ नही कहना है. इसके बाद वादी त्रिपाठी 19 दिसंबर 2013 को बिल्कुल ही बैकफुट पर आ गये और अदालत में शपथ पत्र देते हुये कहा कि वह खराब स्वास्थ्य के कारण अपने पूर्व में दिये गये प्रार्थना पत्र की अब पैरवी नही करना चाहते है क्योंकि उन्होंने अपेने वकीलों से सलाह मश्विरा किया तो पता चला कि प्रोटेस्ट अप्लीकेशन में अब कोई दम नही है.
त्रिपाठी ने बताया कि चूंकि उनका स्वास्थ्य खराब हो गया है और हार्ट की बीमारी के कारण अब वह अदालत के चक्कर नही काट सकते है इसलिये अब वह मुकदमा नही लड़ सकते. उन्होंने बताया इस पर कानपुर के एडीजे 2 की अदालत ने कल इस अंतिम रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया और इस तरह अमर सिंह उनकी पत्नी पंकजा सिंह तथा अमिताभ बच्चन को अदालत से राहत मिल गयी.