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राहत शिविरों में कुल 34 बच्चों की मौत हुई : सरकार

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने आज दावा किया कि मुजफ्फरनगर तथा शामली में दंगा पीड़ितों के लिये बने शिविरों में गत सात सितम्बर से 20 दिसम्बर के बीच 12 साल से कम उम्र के कुल 34 बच्चों की मृत्यु हुई है. गृह विभाग के प्रमुख सचिव अनिल कुमार गुप्ता ने राहत शिविरों में बच्चों की […]

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने आज दावा किया कि मुजफ्फरनगर तथा शामली में दंगा पीड़ितों के लिये बने शिविरों में गत सात सितम्बर से 20 दिसम्बर के बीच 12 साल से कम उम्र के कुल 34 बच्चों की मृत्यु हुई है.

गृह विभाग के प्रमुख सचिव अनिल कुमार गुप्ता ने राहत शिविरों में बच्चों की मौतों की जांच के सिलसिले में सरकार द्वारा गठित उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए संवाददाताओं को बताया, ‘‘शिविरों में गत सात सितम्बर से 20 दिसम्बर के बीच 12 साल से कम उम्र के कुल 34 बच्चों की मृत्यु हुई है. इनमें से ज्यादातर वे हैं जिन्हें उनके माता-पिता इलाज के लिये शिविर से बाहर ले गये थे, या फिर जिन्हें इलाज के लिये सरकारी अस्पतालों में भेजा गया था.’’ उन्होंने बताया कि समिति ने अपनी रिपोर्ट कल सरकार को सौंप दी थी. सभी बच्चों की मौत अलग-अलग कारणों से हुई है. चार बच्चों की मृत्यु निमोनिया से, कुछ बच्चों की मौत पेचिश से जबकि एक की मृत्यु समयपूर्व जन्म होने के कारण हुई.

गुप्ता ने कहा कि शिविरों में सभी बच्चों को चिकित्सा सुविधा दी जा रही है और मौतों के लिये डाक्टरों की लापरवाही या अक्षमता को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.उन्होंने इस बताया कि इस वक्त मुजफ्फरनगर के लोई तथा शामली के मदरसा तैमुल शाह, मलकपुर, बरनवी तथा ईदगाह में कुल पांच शिविरों में 4783 लोग रह रहे हैं. गुप्ता ने बताया कि रिपोर्ट में सिफारिश की गयी है कि राहत शिविरों में दी जा रही सुविधाओं की गुणवत्ता को बढ़ाया जाए और शिविरों में रह रहे लोगों की घर वापसी के प्रयास भी किये जाएं.

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