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आरएसएस का तो अब भी हूं, मगर भाजपा कार्यकर्ता नहीं रहा: राम नाईक

लखनउ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने उन पर राजभवन को भाजपा कार्यालय बना देने के आरोप को खारिज करते हुए आज यहां कहा कि वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक के तो हैं, पर यह पद स्वीकार करने के बाद न तो भाजपा के हैं और न ही राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप में दखल देते हैं. […]

लखनउ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने उन पर राजभवन को भाजपा कार्यालय बना देने के आरोप को खारिज करते हुए आज यहां कहा कि वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक के तो हैं, पर यह पद स्वीकार करने के बाद न तो भाजपा के हैं और न ही राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप में दखल देते हैं.

नाईक ने सरकार के वरिष्ठ मंत्री आजम खां द्वारा उन पर राजभवन को भाजपा कार्यालय बना देने के आरोप के जिक्र से पूछे गये एक सवाल के जवाब में कहा, आजम खां सरकार के वरिष्ठ मंत्री हैं, पर मैं उन्हें अपवाद के रुप में रखता हूं और उनके बारे में कोई वक्तव्य नहीं देना चाहता.

उन्होंने आजम द्वारा उन्हें आरएसएस कार्यकर्ता कहे जाने पर कहा, आरएसएस का हूं, पर यह पद स्वीकार करने के बाद अब भाजपा का नहीं हूं…इसलिए राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप में दखल नहीं देता. नाईक आज राजभवन में एक साल पूरे होने पर एक संवादता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे, जिसमें उन्होंने अपने एक साल के कामकाज पर राजभवन में राम नाईक 2014-15 शीर्षक से एक पुस्तक भी जारी की.

उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लोकायुक्त की नियुक्ति की तीन सदस्यीय चयन समिति में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के स्थान पर विधानसभा अध्यक्ष को रखे जाने के लिए संबंधित कानून में संशोधन के किसी प्रस्ताव की आधिकारिक जानकारी से इंकार किया.

इस संबंध मे सवाल पूछे जाने पर कहा, मीडिया से पता चला है बाइसर्कुलेशन कैबिनेट ने ऐसा कोई फैसला किया है, पर ऐसा होने पर भी उसकी कापी राजभवन को आती है, जो अब तक नहीं आयी है.

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