लखनऊ : कचहरियों में विस्फोट करने वाला आरोपी खालिद मुजाहिद की मौत को लेकर विधि विज्ञान प्रयोग शाला लखनऊ ने रिपोर्ट जारी की है जिसके अनुसारा उसकी मौत जहर से नहीं हुई.
विधि विज्ञान प्रयोगशाला ने 16 जून को मामले में अपनी रिपोर्ट सौंप दी, लेकिन शासन स्तर पर इसे लेकर चुप्पी बनी रही. विशेष सचिव गृह राकेश चंद्रा ने कल भी इस सिलसिले में कोई जानकारी देने से इंकार कर दिया. पुलिस महानिरीक्षक कानून-व्यवस्था राजकुमार विश्वकर्मा ने बस इतना कहा कि यह रिपोर्ट सीधे विवेचक के पास पहुंची होगी. इस रिपोर्ट से सूबे के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने राहत की सांस ली है. ध्यान रहे कि 18 मई को पेशी के दौरान हुई खालिद की मौत ने सूबे की सियासत में भूचाल ला दिया. घटना में मरहूम खालिद के चाचा की तहरीर पर पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह, के साथ डीजी बृजलाल समेत 44 पुलिसकर्मियों के खिलाफ बाराबंकी कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया और सरकार ने तत्काल सीबीआइ जांच की सिफारिश कर दी. राजनीतिक दलों और स्वयंसेवी संस्थाओं ने खालिद की हत्या का आरोप लगाया और इस प्रकरण को लेकर काफी हल्ला भी मचा. आइपीएफ के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह दस दिन तक इस घटना की सीबीआइ जांच के लिए उपवास पर बैठे रहे.
खालिद के शव का पोस्टमार्टम पांच चिकित्सकों के पैनल ने किया और बिसरा सुरक्षित कर जांच के लिए भेजा गया. विधि विज्ञान प्रयोगशाला, महानगर लखनऊ में स्टमक एण्ड इट्स कंटेंस, पार्ट आफ स्माल इंटेस्टाइन एंड इट्स कंटेंट्स, लीवर का टुकड़ा पित्ताशय सहित, किडनी के टुकड़े, स्पलीन का टुकड़ा और परिरक्षी नमक का घोल (बिसरा के भाग) 22 मई को विशेष वाहक के जरिए भेजा गया.
परीक्षण के बाद उपनिदेशक विष विज्ञान ने यह स्पष्ट तौर पर लिखा कि बिसरा के भागों में कोई रासायनिक विष नहीं पाया गया. रिपोर्ट यह बताने के लिए पर्याप्त है कि खालिद को जहर नहीं दिया गया. जाहिरा तौर पर इससे उन सभी को राहत मिलेगी जो सियासी दांव-पेंच में मुकदमे की परिधि से घिरे हैं.