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राज्यसभा के लिए यूपी में सियासी गहमागहमी

।।लखनऊ से राजेन्द्र कुमार।। राज्यसभा की दस सीटों पर होने वाले चुनाव की तारीख घोषित होते ही उत्तर प्रदेश में सियासी हलचल बढ़ने लगी है. आगामी 25 नवंबर को यूपी कोटे की दस राज्यसभा दस सीटें रिक्त हो रही हैं. इन सीटों को भरने के लिए चुनावी कार्यक्रम घोषित हो गया है. सूबे की विधानसभा […]

।।लखनऊ से राजेन्द्र कुमार।।

राज्यसभा की दस सीटों पर होने वाले चुनाव की तारीख घोषित होते ही उत्तर प्रदेश में सियासी हलचल बढ़ने लगी है. आगामी 25 नवंबर को यूपी कोटे की दस राज्यसभा दस सीटें रिक्त हो रही हैं. इन सीटों को भरने के लिए चुनावी कार्यक्रम घोषित हो गया है. सूबे की विधानसभा में विभिन्न राजनीतिक दलों के मौजूदा संख्या बल के हिसाब से इस चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) को छह, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को दो तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक सीट मिलना तय है.

शेष बची एक सीट पर कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) मिलकर अपने उम्मीदवार को निर्दलीयों की मदद से जिता सकते हैं. ऐसी स्थिति में पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह, बेनी प्रसाद वर्मा, सपा से निष्कासित चल रहे अमर सिंह तथा तमाम दलों में रह चुके गंगा चरण राजपूत सरीखे कई नेता राज्यसभा में पहुंचने की जुगत लगे हैं. चोरी छिपे विभिन्न दलों के बड़े नेताओं से मिला जा रहा है. पुराने संबंधों की दुहाई दी जा रही है.जिसके चलते सूबे में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है.

गौरतलब है कि बसपा के राज्यसभा में सांसद राजाराम, अवतार सिंह करीमपुरी, बृजलाल खाबड़ी, वीरसिंह, बृजेश पाठक, अखिलेश दास तथा सपा के प्रो रामगोपाल यादव, अमर सिंह व मो अदीब और भाजपा की कुसुम राय का कार्यकाल आगामी 25 नवंबर को खत्म हो रहा है. इस वजह से यूपी कोटे की दस सीटे रिक्त होगी. इन दस सीटों के लिए आगामी 20 नवंबर को लखनऊ में चुनाव होगा. जिसमें बसपा को चार सीटों का नुकसान होगा, जबकि सपा चार सीटों के फायदे में रहेगी क्योंकि उसके समर्थन से राज्यसभा पहुंच अमर सिंह ने बाद में सपा से नाता तोड़ लिया था.
राज्यसभा की इन सीटों होने वाले चुनावों को लेकर इस बार यूपी में सियासी समीकरण बदले हुए हैं. प्रदेश की सत्ता पर सपा का कब्जा है तो केंद्र पर भाजपा का. विधानसभा के संख्या बल के आधा पर सपा जहां छह सदस्याओं को राज्यसभा में पहुंचाने में सफल होगी वही भाजपा सिर्फ एक ही सदस्य अपने विधायकों के भरोसे राज्यसभा भेज पाएगी.
सपा नेताओं के अनुसार पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रो रामगोपाल का फिर से राज्यसभा जाना तय है, पर पार्टी के राज्यसभा सदस्य मो.अदीब दोबारा उम्मीदवार बनाए जाएंगे या नहीं यह अभी तय नहीं है. पार्टी की छह नवंबर को होने वाली बैठक में राज्यसभा भेजे जाने वाले पांच अन्य उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप दिया जाएगा.
चर्चा है कि सपा प्रमुख मुलायम सिंह के समधी अरविंद सिंह बिष्ट जो राज्य सूचना आयुक्त के पद पर तैनात है तथा बीते लोकसभा में चुनाव हारे कुवंर रेवती रमन, भगवती सिंह, नीरज शेखर तथा दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री के पद से हटाए गए आशू मलिक के अलावा पार्टी के वरिष्ट नेता अशोक बाजपेयी, लोकसभा चुनावों के पहले भाजपा से सपा में अशोक प्रधान, बसपा से आए सुरेन्द्र नागर, भाजपा से निष्कासित रामबख्श वर्मा और गंगाचरण राजपूत भी मुलायम सिंह की कृपा से राज्यसभा पहुंचने की जुगत में हैं.
राज्यसभा पहुंचने के लिए अमर सिंह भी काग्रेस और सपा नेताओं के संपर्क में हैं. सपा उनकी मदद कर सकती है. यह कहा जा रहा है, पर इस मामले में अंतिम निर्णय मुलायम सिंह लेंगे और वह फैसला 6 नवंबर को होगा. लोकसभा चुनाव हार चुके रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह भी राज्यसभा पहुंचने के दावेदारों में हैं.
उन्हें लेकर दो तरह की अटकलें हैं. पहली यह कि वह कांग्रेस और रालोद के साझा प्रत्याशी हो सकते हैं और दूसरी यह कि वह रालोद प्रत्याशी के रूप में सपा के सहयोग से राज्यसभा जा सकते हैं. कांग्रेस, अजित को प्रत्याशी बनाने के लिए हरी झंडी देगी या नहीं, इस पर स्थिति साफ नहीं है. यह भी हो सकता है कि कांग्रेस अपना प्रत्याशी उतारे. हालांकि, अजित सिंह का दोनों दलों से संवाद बना हुआ है. वह मुलायम सिंह से तथा उनके पुत्र जयंत चौधरी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिल चुके हैं. इन मुलाकात से अजित का हौसला बुलंद हुआ है.
कांग्रेस से पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी वर्मा तथा सलमान खुर्शीद और प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री भी राज्यसभा पहुंचने की जोड़तोड़ में जुटे हैं. यदि कांग्रेस ने इनमें से किसी को प्रत्याशी बनाया तो 10-12 अतिरिक्त वोटों का इंतजाम करना होगा. निर्दलीय और छोटे दलों की सहायता से अतिरिक्त वोट जुटाए जा सकते हैं. सपा भी उनकी कुछ मददगार हो सकती है, पर सपा खेमे से इनमें से किसी को लेकर कोई उत्साह नहीं दिखाया गया है. भाजपा खेमे में लखनऊ से सांसद रहे लालजी टण्डन और लखनऊ के मेयर दिनेश शर्मा में से ही किसी को राज्यसभा भेजे जाने की चर्चा है.
कुसुम राय को फिर से उम्मीदवार नही बताया जाएगा. बसपा में राज्यसभा सदस्यता के लिए अखिलेश दास, बृजेश पाठक, रामराम, आरके चौधरी तथा अकबर अहमद डंपी सरीखे कई दावेदार मैदान है, पर बसपा प्रमुख मायावती ने अभी तक इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया है. 30 अक्टूबर को वह पार्टी के जिम्मेदार नेताओं के साथ विचार विमर्श करने के बाद ही इस मामले में निर्णय लेंगी. ऐसे में राज्यसभा पहुंचने के इच्छुक नेता दिल्ली और लखनऊ में विभिन्न दलों के बड़े नेताओं से मिलकर उन्हें मनाने में जुटे हैं.

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