– राजेंद्र कुमार-
उत्तर प्रदेश के नये राज्यपाल राम नाइक से तालमेल बिठाना मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए चुनौती से कम नहीं होगा. 80 वर्षीय राम नाइक को सरकार और पार्टी संगठन दोनों के कामकाज का व्यापक अनुभव है. मुख्यमंत्री और राज्यपाल के दायित्व क्या हैं? किस मुद्दे को उठाने से सरकार दबाव में आती है? यह सब वह भलीभांति जानते हैं. इसीलिए उन्होंने यूपी के राज्यपाल का पदभार संभालने के पहले ही सूबे की कानून व्यवस्था पर चिंता जताकर ये संदेश दे दिया कि वह राजभवन की दीवारों में कैद होकर रहने वाले नहीं है.
उनके इस संकेत को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से लेकर सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने भलीभांति समझा है. जिसके चलते ही राम नाइक के कथन पर इन दोनों ने कोई टिप्पणी नहीं की. कहा जा रहा है कि प्रदेश सरकार और राजभवन के संबंधों में तल्खी ना आने पाये, इसी के तहत यह कदम उठाते हुए सपा सरकार की तरफ से राम नाइक के साथ तालमेल बिठाने का प्रयास किया गया है. अब देखना यह है कि राम नाइक सपा नेताओं की पहल का क्या जवाब देते हैं.
गौरतलब है कि बीते दस सालों से यूपीए सरकार को बिना मांगे समर्थन देने की वजह से पहले मायावती की सरकार और अब मौजूदा अखिलेश सरकार इत्मीनान की मुद्रा में थी. उसे इस बात का भरोसा था कि केंद्र सरकार को बिना शर्त दिए समर्थन की वजह से राजभवन का अतिरिक्त दबाव उस पर नहीं पड़ेगा. हुआ भी वही. पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में 28 जुलाई वर्ष 2009 को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बने बीएल जोशी के पूरे कार्यकाल के दौरान मायावती और वर्तमान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ उनके संबंधों में कहीं कटुता नहीं दिखी.
कुछ मामलों को लेकर जब राजभवन और सरकार के बीच विवाद की स्थिति बनी भी तो केंद्र में सत्तारूढ़ रही यूपीए के सहयोगी के नाते बातचीत करके हल निकाल लिया गया, लेकिन अब राजनीतिक हालात बदल गये हैं. सपा और भाजपा के तेवर एक दूसरे के प्रति काफी तल्ख है. ऐसे में सपा को लेकर भाजपा के रुख पर राज्यपाल के रूप में राम नाइक के आने के बाद प्रदेश सरकार के राजभवन से रिश्तों को लेकर सियासी गलियारों में तरह तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं.
कहा जा रहा है कि बीएल जोशी के साथ भले ही अखिलेश सरकार के बीच कोई गंभीर टकराव नहीं हुआ पर राम नाइक के साथ अखिलेश सरकार के बेहतर रिश्ते रहेंगे, यह कहा नहीं जा सकता. वास्तव में सपा में नरेश अग्रवाल जैसे नेता भी हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विभिन्न राज्यों में तैनात राज्यपालों को हटाने जाने संबंधी फैसले को देश में भगवाकरण की शुरुआत बताया था.
नरेश का बयान भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को बहुत अखरा और राम नाइक को जैसे ही मौका मिला उन्होंने यूपी की कानून व्यवस्था पर चिंता जताकर नरेश अग्रवाल के बयान का जवाब दे डाला. वास्तव में राम नाइक राजनीतिक व्यक्ति हैं. जबकि पूर्व राज्यपाल बीएल जोशी गैर राजनीतिक थे. इसी वजह से उनका मायावती और अखिलेश सरकार से कोई विवाद नहीं हुआ. रामपुर के अपने जौहर विश्वविद्यालय को लेकर आजम खां ने राजभवन पर जब भी निशाना साधा बीएल जोशी की तरफ से सार्वजनिक तौर पर किसी तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की गयी और गुपचुप तरीके से मुख्यमंत्री को बुलाकर उन्होंने मामले को निपटा दिया.
परन्तु राम नाइक ऐसा कुछ करने वाले नहीं हैं. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि वह प्रदेश और केंद्र सरकार के बीच सेतु का काम करेंगे. बच्चों की बेहतर शिक्षा, कानून व्यवस्था और बेरोजगारी जैसी समस्याओं पर यूपी सरकार से बात करेंगे और केंद्र सरकार को बतायेंगे कि उक्त समस्याओं का समाधान क्या है. सहजता के साथ जनता से राजभवन में मिलेंगे और उनकी समस्या का निदान कराएंगे. राम नाइक का यह रूख अखिलेश सरकार की मुश्किलें ही बढ़ाएगा. जाहिर है कि ऐसी सोच रखने वाले राम नाइक के साथ तालमेल बिठाना मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए चुनौती से कम नहीं होगा. वह भी तब जब मुख्यमंत्री तमाम तरह की मुश्किलों में घिरे हैं. जिसे देखते हुए यह कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए राम नाइक से तालमेल बिठाना ही वर्तमान में नयी चुनौती है.
राज्यपाल को जानने में जुटा प्रशासन
उत्तर प्रदेश का राजभवन तैयार हो रहा है. नये महामहिम राम नाइक के लिए. उनकी आदतों, उनकी दिनचर्या, उनकी पंसद-नापसंद जैसी तमाम छोटी बड़ी बातों की जानकारी ली जा रही है ताकि जिस रोज महामहिम राजभवन में दाखिल हों, सब कुछ उन्हीं के अनुरूप हो. नये महामहिम शुद्ध शाकाहारी हैं. मुंबई और दिल्ली में रामनाइक साथ काम कर चुके कुछ अफसरों से उनके खानपान और आदतों की जानकारी राजभवन के अधिकारी प्राप्त करने के प्रयास में जुटे हैं. इन अधिकारियों ने जो जानकारी जुटाई है, उसके मुताबिक राम नाइक को स्कूली बच्चों के साथ बातचीत करना पसंद है.
तड़के बिस्तर छोड़ना उनकी आदतों में शुमार है. मार्निग वॉक और योग उनकी दिनचर्या में शामिल है. अंग्रेजी और हिंदी के अखबार रोज नाश्ता करते हुए वह पढ़ते हैं. हर फाइल को खूब पढ़ने के बाद ही उसपर हस्ताक्षर करते हैं. उनकी हिंदी पर भी बहुत अच्छी पकड़ है. अंग्रेजी साहित्य जितना पसंद है, उतने ही वह हिंदी साहित्य के भी मुरीद हैं. दर्शनशास्त्र विषय पर पुस्तकें उनकी खास पसंद बतायी जाती हैं. नये महामहिम की दो पुत्रियां हैं. राजभवन में उनके पहुंचने को लेकर अभी तक केंद्रीय गृह मंत्रालय से कोई सूचना तक मुख्यमंत्री तक नहीं आयी है. कहा जा रहा है कि अगले सप्ताह ही उनके लखनऊ आने का कार्यक्रम तय होगा.