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Friday, March 29, 2024

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ओडिशा में ‘कबूतर’ अटैक, एक हफ्ते में दूसरी बार जासूसी करते पकड़ाया, पढ़ें पूरी खबर

पुलिस अधिकारियों ने गुरूवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि यह राज्य में लगभग एक हफ्ते में संदिग्ध जासूसी कबूतर मिलने का दूसरा मामला है. जानकारी हो कि इससे पहले, आठ मार्च को भी जगतसिंहपुर के पारादीप तट पर मछली पकड़ने वाली एक नाव से इसी तरह का एक कबूतर पकड़ा गया था. जिसके बाद से अटकले लगाए जा रहे है.

Odisha : ओडिशा के पुरी जिले में एक संदिग्ध जासूस कबूतर मिला है. पुलिस अधिकारियों ने गुरूवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि यह राज्य में लगभग एक हफ्ते में संदिग्ध जासूसी कबूतर मिलने का दूसरा मामला है. जानकारी हो कि इससे पहले, आठ मार्च को भी जगतसिंहपुर के पारादीप तट पर मछली पकड़ने वाली एक नाव से इसी तरह का एक कबूतर पकड़ा गया था. जिसके बाद से अटकले लगाए जा रहे है.

पुरी जिले के अस्तारंग प्रखंड के नानपुर गांव में मिला

अधिकारियों के मुताबिक, दूसरा संदिग्ध जासूसी कबूतर बुधवार को पुरी जिले के अस्तारंग प्रखंड के नानपुर गांव में मिला. उन्होंने बताया कि एक स्थानीय व्यक्ति ने इस कबूतर को उस समय पकड़ा, जब यह अन्य कबूतरों के साथ घुलने-मिलने के लिए आया. अधिकारियों के अनुसार, संदिग्ध जासूस कबूतर के पैरों में पीतल और प्लास्टिक के छल्लों से जुड़े ‘टैग’ लगे हुए हैं. उन्होंने बताया कि इनमें से एक ‘टैग’ पर ‘रेड्डी वीएसपी डीएन’ और दूसरे टैग पर ‘31’ अंक लिखा हुआ है.

ग्रामीणों का दावा – पिछले एक हफ्ते से उनके गांव में है कबूतर

ग्रामीणों ने दावा किया कि संदिग्ध कबूतर पिछले एक हफ्ते से उनके गांव में है. इस कबूतर को पकड़ने वाले बिक्रम पति ने कहा, “हमारे घर में पालतू कबूतर हैं. यह कबूतर हमारे पालतू कबूतरों के साथ घुलने-मिलने आया, तो हमें इसमें कुछ अलग दिखा.” बिक्रम पति ने बताया, “यह कबूतर कटा-कटा सा रहता था. यह अन्य कबूतरों के साथ ज्यादा घुलता-मिलता नहीं था. हमने इसके पैरों में कुछ ‘टैग’ भी देखे. इसलिए हमने इसे पकड़ने का फैसला किया. कबूतर को पकड़ने के लिए हमने मछली पकड़ने वाले जाल का इस्तेमाल किया.”

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दूसरे संदिग्ध कबूतर का भी जासूसी के लिए इस्तेमाल ?

पुलिस ने कहा कि वह इस बात की जांच कर रही है कि क्या दूसरे संदिग्ध कबूतर का भी जासूसी के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था. आठ मार्च को पकड़े गए कबूतर के शरीर में कुछ उपकरण मिले थे, जो एक कैमरे और माइक्रोचिप की तरह दिखते थे. बता दें कि इस कबूतर को जांच के लिए केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) भेज दिया गया था.

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