भोपाल : मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए चीतों में से एक 'ज्वाला' चीता के दो और शावकों की गुरुवार को मौत हो गई. इससे पहले, उसके चार शावकों में से एक शावक की बुधवार को ही मौत हो गई थी. अब ज्वाला के चार शावकों में से एक ही जिंदा बचा है. बुधवार को ज्वाला के पहले शावक की मौत होने के बाद बाकी के तीन शावकों को वन्यप्राणी चिकित्सकों की टीम की निगरानी में रखा गया था.
अस्पताल में भर्ती कराने के बाद ही शावक की हो गई मौत
मध्य प्रदेश वन विभाग के मुख्य वन्य संरक्षक जेएस चौहान ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि निगरानी टीम आज जब शावकों को देखने के लिए गई, तब शावक काफी कमजोर दिखाई दे रहे थे. इसलिए टीम के लोगों ने वेटेनरी डॉक्टरों को बुलाया और शावकों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन 5-10 मिनट के बाद शावक की मौत हो गई. उन्होंने कहा कि शावकों की मौत के पीछे प्रथम दृष्ट्या अहम कारण उनका कमजोर होना है, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही असली कारणों का पता चल सकता है.
जिंदा बचे एक शावक की भी हालत गंभीर
इसके साथ ही, वन्य जीव अधिकारी की ओर से यह भी बताया गया है कि कूनो नेशनल पार्क में चीता 'ज्वाला' के एकमात्र जिंदा बचे शावक की हालत भी नाजुक बनी हुई है. उन्होंने बताया कि जिस शावक की हालत चिंताजनक बनी हुई है, उसे पालपुर के पशु चिकित्सालय में रखा गया है. यहां पर उसके इलाज के साथ लगातार निगरानी भी की जा रही है.
नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के डॉक्टरों से सलाह
उन्होंने बताया कि जिंदा बचे ज्वाला के एकमात्र शावक के इलाज के लिए नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के सहयोगी चीता विशेषज्ञ और डॉक्टरों से सलाह ली जा रही है. हालांकि, उनका यह भी कहना है कि मादा चीता 'ज्वाला' का स्वास्थ्य अभी ठीक है और उसे भी लगातार निगरानी में रखा गया है. मादा चीता पहली बार मां बनी है.
8-10 दिन पहले मां ज्वाला के साथ घूमना शुरू किए थे चारों शावक
कूनो नेशनल पार्क के वन्य अधिकारियों के अनुसार, मादा चीता ज्वाला के सभी शावकों का वजन सामान्य से कम था और वे अत्यधिक डिहाइड्रेटेड पाए गए हैं. इन शावकों की उम्र करीब आठ हफ्ते की है. ज्वाला के ये शावक करीब आठ-10 दिन पहले मां के साथ घूमना शुरू किया था. चता विशेषज्ञों के अनुसार, सामान्य रूप से दक्षिण अफ्रीका में चीता शावकों का जीवित हरने की संभावना बहुत ही कम होती है.