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MP Crisis : विधानसभा अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का प्रस्ताव ठुकराया, अदालत को बतायी राज्यपाल की शक्तियां

MP Crisis : speaker of madhya pradesh assembly refused the proposal of supreme court. भोपाल/नयी दिल्ली : मध्यप्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष एनपी त्रिपाठी ने सुप्रीम कोर्ट के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को बागी विधायकों से वीडियो लिंक के जरिये बात करने या उन्हें ‘बंधक’ बनाने के भय को दूर करने के लिए एक पर्यवेक्षक नियुक्त करने का गुरुवार (19 मार्च, 2020) को सुझाव दिया. अध्यक्ष ने शीर्ष अदालत के प्रस्ताव को स्वीकार करने से इन्कार कर दिया. MP Crisis, madhya pradesh, madhya pradesh assembly, supreme court, speaker refused proposal of supreme court, mp assembly speaker n p tripathi, madhya pradesh latest updates, madhya pradesh latest news, madhya pradesh political crisis updates, madhya pradesh political crisis latest updates, kamal nath, digvijay singh, congress, bharatiya janata party, bjp, shivraj singh chouhan, banglore, bengaluru, bhopal, karnataka

भोपाल/नयी दिल्ली : मध्यप्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष एनपी त्रिपाठी ने सुप्रीम कोर्ट के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को बागी विधायकों से वीडियो लिंक के जरिये बात करने या उन्हें ‘बंधक’ बनाने के भय को दूर करने के लिए एक पर्यवेक्षक नियुक्त करने का गुरुवार (19 मार्च, 2020) को सुझाव दिया. अध्यक्ष ने शीर्ष अदालत के प्रस्ताव को स्वीकार करने से इन्कार कर दिया.

न्यायमूर्ति डीवाइ चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की एक पीठ ने कहा कि बागी विधायक अपनी मर्जी से गये हैं या नहीं, यह सुनिश्चित करने का वह इंतजाम कर सकते हैं. पीठ ने कहा, ‘हम बेंगलुरु या कहीं और एक पर्यवेक्षक की नियुक्त भी कर सकते हैं, ताकि बागी विधायक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये अध्यक्ष से संपर्क कर सकें और उसके बाद वह निर्णय लें.’

कोर्ट ने अध्यक्ष से यह भी पूछा कि क्या बागी विधायकों के इस्तीफा देने के संबंध में कोई जांच की गयी और उन्होंने उनके (बागी विधायकों के) संबंध में क्या निर्णय किया है. अध्यक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जिस दिन अदालत अध्यक्ष को समयसीमा के तहत निर्देश देने लगेगा, यह संवैधानिक समस्या बन जायेगी.

राज्यपाल लालजी टंडन की ओर से पेश हुए वकील ने अदालत को बताया कि मुख्यमंत्री कमलनाथ आराम से बैठे हैं और अध्यक्ष अदालत में कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं. पीठ ने सभी पक्षों से पूछा कि क्या विधायकों के इस्तीफे और अयोग्यता के मामले में अध्यक्ष का निर्णय शक्ति परीक्षण को प्रभावित करेगा. उसने कहा कि संवैधानिक सिद्धांत के अनुसार इस्तीफे और अयोग्यता के मामले अध्यक्ष के समक्ष लंबित होने से शक्ति परीक्षण पर कोई राके नहीं होती.

पीठ ने कहा कि अदालत को यह देखना होगा कि क्या राज्यपाल ने उसे मिली शक्ति से आगे बढ़कर काम किया. मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने न्यायालय से कहा कि राज्यपाल के पास केवल तीन शक्तियां हैं : सदन कब बुलाना है, कब स्थगित करना है और कब सदन को भंग करना है.

उल्लेखनीय है कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा 16 मार्च, 2020 को राज्यपाल के अभिभाषण के तुरंत बाद सदन की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित किये जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के 9 विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

भाजपा ने इस याचिका में अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और विधानसभा के प्रधान सचिव पर संविधान के सिद्धांतों का उल्लंघन करने और जान-बूझकर राज्यपाल के निर्देशों की अवहेलना करने का आरोप लगाया था. राज्यपाल लालजी टंडन ने शनिवार की रात मुख्यमंत्री को संदेश भेजा था कि विधानसभा के बजट सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण के तुरंत बाद सदन में विश्वास मत हासिल किया जाये, क्योंकि उनकी सरकार अब अल्पमत में है.

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