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शिवसेना ने मोदी सरकार की नीतियों पर उठाए सवाल, लॉकडाउन और नोटबंदी को कहा- ‘बिना प्लानिंग का फैसला’

महाराष्ट्र में बीजेपी से नाता तोड़कर कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाने वाली शिवसेना ने मोदी सरकार पर हमला करना नहीं छोड़ा है. अब, अर्थव्यवस्था और जीएसटी के मसले पर शिवसेना ने मोदी सरकार को कठघरे में खड़े करने की कोशिश की है. शिवसेना ने शुक्रवार को पार्टी के मुखपत्र सामना में मोदी सरकार की नीतियों का विरोध करते हुए लिखा ‘कोरोना वायरस संकट के कारण राज्यों को आर्थिक नुकसान हुआ है. राज्य वित्तीय सहायता की भीख मांग रहे हैं. इस आर्थिक मंदी की जिम्मेदार केंद्र सरकार है. बिना प्लानिंग के लॉकडाउन और नोटबंदी जैसे कदमों ने अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार दिया है.’

महाराष्ट्र में बीजेपी से नाता तोड़कर कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाने वाली शिवसेना ने मोदी सरकार पर हमला करना नहीं छोड़ा है. अब, अर्थव्यवस्था और जीएसटी के मसले पर शिवसेना ने मोदी सरकार को कठघरे में खड़े करने की कोशिश की है. शिवसेना ने शुक्रवार को पार्टी के मुखपत्र सामना में मोदी सरकार की नीतियों का विरोध करते हुए लिखा कोरोना वायरस संकट के कारण राज्यों को आर्थिक नुकसान हुआ है. राज्य वित्तीय सहायता की भीख मांग रहे हैं. इस आर्थिक मंदी की जिम्मेदार केंद्र सरकार है. बिना प्लानिंग के लॉकडाउन और नोटबंदी जैसे कदमों ने अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार दिया है.

‘कोरोना से देश में अराजकता की स्थिति’ 

सामना में लिखा गया है कोरोना वायरस संकट के कारण लगाए गए लॉकडाउन के कारण देश में अनिश्चितता और अराजकता की स्थिति बनी हुई है. केंद्र सरकार राज्यों की तकलीफों को दूर करने पर ध्यान नहीं दे रही है. सामना में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का जिक्र करते हुए पीएम मोदी पर हमला बोला गया है. इसके मुताबिक पीएम रहने के दौरान मनमोहन सिंह ने गुजरात की मदद की थी. आज कोरोना और लॉकडाउन से राज्यों की स्थिति खराब हो चुकी है. राज्य केंद्र सरकार से जीएसटी के बकाए और आर्थिक पैकेज की मांग कर रहे हैं. इसके बावजूद केंद्र सरकार राज्यों की मदद करने से कतरा रही है.

पांच राज्यों को 14 लाख करोड़ का नुकसान

शिवसेना के मुखपत्र सामना के मुताबिक महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, पंजाब, आंध्रप्रदेश ने अपनी इनकम का स्रोत बढ़ाकर केंद्र को मजबूती दी. केंद्र के खजाने में करीब 22 फीसदी राशि अकेले मुंबई देती है. आज महाराष्ट्र समेत दूसरे राज्यों की मदद करने के लिए केंद्र सरकार तैयार नहीं है. इससे महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडु, गुजरात समेत उत्तर प्रदेश को कोविड-19 का बड़ा झटका लगा है. इन पांच राज्यों को ही 14 लाख करोड़ से ज्यादा का आर्थिक नुकसान हुआ है. दूसरे राज्यों के नुकसान को जोड़ने पर राशि और बढ़ जाएगी. इसके बावजूद केंद्र सरकार ने राज्यों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया है.

लॉकडाउन ने बिगाड़ी अर्थव्यवस्था की सूरत

दरअसल, कोविड-19 के बाद लगाए गए लॉकडाउन का अर्थव्यवस्था पर बहुत ही बुरा असर पड़ा है. बड़ी संख्या में लोगों की नौकरी गई है. वहीं जीडीपी में भी सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. इसको देखते हुए राज्यों ने जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटी के बकाए की मांग की है. इसके साथ ही राज्य सरकारों ने केंद्र से कोरोना संकट से होने वाले नुकसान के लिए मुआवजे की मांग भी की है. संसद के मानसून सत्र के दौरान भी कई पार्टियों के सांसदों ने सरकार से कोविड-19 संकट से होने वाले नुकसान की भरपाई की मांग की है. दूसरी तरफ शिवसेना ने भी मोदी सरकार पर हमला करके आर्थिक नीतियों पर सवाल उठा दिए हैं.

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