मरीजों से मिले सहयोग के सिक्कों से प्रोफेसर ने खरीदा नामांकन पत्र

चाईबासा : सिंहभूम लोकसभा सीट के लिए नामांकन शुरू हो गया है. इसके साथ ही अलग-अलग चुनावी रंग दिखने लगे हैं. ज्ञान चंद जैन कॉमर्स कॉलेज के एक प्रोफेसर करण चंद्र टुडू ने लोगों के सहयोग राशि से नामांकन पर्चा खरीदा. प्रो टुडू शनिवार दोपहर करीब 12.30 को जुटायी गयी राशि लेकर समाहरणालय पहुंचे और […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 21, 2019 2:04 AM
चाईबासा : सिंहभूम लोकसभा सीट के लिए नामांकन शुरू हो गया है. इसके साथ ही अलग-अलग चुनावी रंग दिखने लगे हैं. ज्ञान चंद जैन कॉमर्स कॉलेज के एक प्रोफेसर करण चंद्र टुडू ने लोगों के सहयोग राशि से नामांकन पर्चा खरीदा. प्रो टुडू शनिवार दोपहर करीब 12.30 को जुटायी गयी राशि लेकर समाहरणालय पहुंचे और नामांकन पर्चा खरीदा. गुट्टूसाई के टूरीटोला निवासी करण चंद्र टुडू कॉमर्स विषय के प्रोफेसर हैं. साथ ही वे इंटर संकाय के इंचार्ज का पदभार भी संभाल रहे हैं.
इसके अलावा प्रो टुडू जुड़ी-बूटियों के जानकार हैं. जड़ी-बूटियों से औषधि आविष्कारक के तौर पर प्रो टुडू को भारत सरकार की ओर से दिल्ली व भोपाल में आयोजित प्रदर्शनी में हिस्सा लेने का अवसर भी प्राप्त हो चुका है. औषधि से इलाज के लिए आने वाले मरीजों से सहयोग में मिले सिक्कों से अब प्रो टुडू समाज की दिशा बदलने के लिए चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं.
इलाज को पहुंचे मरीजों ने सिक्के किया सहयोग : प्रो करण चंद्र टुडू ने बताया कि औषधीय उपचार के लिए उनके पास आने वाले मरीजों ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया.
इसके बाद सोच-विचार कर विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ने का मन बनाया. इसके बाद चुनाव लड़ने के लिए मरीजों ने स्वेच्छा से सहयोग किया. किसी ने 10 का, किसी ने पांच का, तो किसी ने एक और दो रुपये के भी सिक्के दिये. इसी तरह कर 10 रुपये के तीन हजार सिक्के, 5 के 3.5 हजार, 2 रुपये के 2 हजार सिक्के व 1 रुपये के 4 हजार सिक्के जमा किया. इसी जमा राशि से नामांकन पर्चा खरीदा गया है.
शिक्षा, सिंचाई, स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार होगा मुद्दा : प्रो टुडू ने बताया कि उनका चुनावी मुद्दा भ्रष्टाचार को खत्म कर शिक्षा, सिंचाई व स्वास्थ्य सुविधा बढ़ावा देने हैं. उनका मानना है आज समाज में भ्रष्टाचार कैंसर की तरह फैल गया है. इसे खत्म करने के लिए विभिन्न पार्टियां सिर्फ वादे ही करते हैं, लेकिन कोई भी भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाता. वहीं शिक्षा, सिंचाई व स्वास्थ्य को सुदृढ़ समाज में मूलचूक परिवर्तन लाया जा सकता है.

Next Article

Exit mobile version