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क्लाइमेंट चेंज की प्रताड़ना के बीच सौर ऊर्जा ही सबसे टिकाऊ समाधान

बेशक देश में अभी कोयले का बहुतायत में उत्पादन हो रहा है और अगले 10-20 सालों में कोयले का कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है, लेकिन उसके बाद क्या होगा?

झारखंड में इस वर्ष अप्रैल महीने में प्रचंड गर्मी पड़ रही है और इस भीषण गर्मी में देश के कोयले का लगभग 40 प्रतिशत उत्पादित करने वाला यह राज्य गंभीर बिजली संकट को झेल रहा है. झारखंड को इस गर्मी में प्रतिदिन 2600 मेगावाट बिजली की जरूरत पड़ रही है.

NHPC और विंड पावर से खरीदी जा रही है बिजली

सरकारी आंकड़ों के अनुसार अभी झारखंड में बिजली की मांग पूरी करने के लिए NPTC, NHPC और विंड पावर से खरीद कर 2100 से 2200 मेगावाट बिजली की जरूरत की जा रही है. चूंकि मांग सभी राज्यों में बढ़ी है, इसलिए झारखंड को 21 से 2200 मेगावाट तक ही बिजली मिल पा रही है. उसपर कोयले का रोना अलग ही रोया जा रहा है. बेशक देश में अभी कोयले का बहुतायत में उत्पादन हो रहा है और अगले 10-20 सालों में कोयले का कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है, लेकिन उसके बाद क्या होगा.

2030 तक 500 गीगावाट बिजली का उत्पादन गैर जीवाश्म से

यह बड़ा सवाल है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लासगो सम्मेलन में यह स्पष्ट कहा था कि 2030 तक भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ऊर्जा के केंद्र से प्राप्त करेगा. 2030 तक भारत 500 गीगावाट तक बिजलीब गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता से प्राप्त करेगा. साथ ही पीएम मोदी ने यह भी कहा है कि भारत कार्बन के उत्सर्जन को 45 प्रतिशत तक कम करेगा और 2070 तक शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करेगा.

पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी

आईपीसीसी की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि क्लाइमेंट चेंज के लिए हम सब जिम्मेदार हैं और किस तरह हम इस बदलाव को कम कर सकते हैं, ताकि पर्यावरण का संतुलन कायम रहे.

वैकल्पिक ऊर्जा ही है एकमात्र सहारा

गर्म होती धरती को बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है. ऐसा में यह जरूरी है कि हम कोयला आधारित बिजली की बजाय वैकल्पिक ऊर्जा पर बात करें. सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए झारखंड में जेरेडा जोर-शोर से जुड़ा है और यह जरूरी है कि उसकी योजनाओं का लाभ उठाया जाये.

जेरेडा द्वारा संचालित योजना

झारखंड में साल 2015 में सोलर पावर पालिसी अधिसूचित की गयी थी. पांच साल के बाद जेरेडा जिन योजनाओं पर प्रमुखता से काम कर रही है उसके तहत सरकारी भवनों पर सोर पैनल लगाना, ग्रामीण इलाकों में किसानों की बंजर भूमि पर सोलर पावर प्लांट लगाना ताकि बिजली का उत्पादन हो, किसानों को मोटर पंपसेट उपलब्ध कराना और दुर्गम ग्रामीण इलाकों में बिजली की व्यवस्था मुहैया कराना प्रमुख है. ये हैं प्रमुख योजनाएं-

1. सरकारी भवनों पर सोलर पैनल लगाना जिसे रुफ टाॅप सोलर पैनल कहते हैं.

2. बंजर भूमि पर सोलर पावर प्लांट लगाना

3. किसानों को कृषि के लिए पंपसेट उपलब्ध कराना

4. ग्रामीण इलाकों में बिजली के लिए सोलर ट्री लगवाना

5. सोलर वाट हीटर लगाना भी शामिल है.

1000 गांवों को पूर्ण सोलर विलेज बनाने का लक्ष्य

पीएम मोदी के वादे को पूरा करने के लिए हेमंत सोरेन सरकार ने राज्य में सोलर विलेज, सोलर सिटी और सोलर डिस्ट्रिक्ट को बढ़ावा देने की बात कही है. इसके तहत ग्रामीण इलाकों में मिनी और माइक्रो ग्रिड की स्थापना की जानी है. गांवों में सौर ऊर्जा आधारित कोल्ड स्टोरेज की स्थापना,कृषि उत्पादों के लिए सोलर ड्रायर, सोलर पंप, सोलर चरखा को बढ़ावा देने की बात कही गयी है. राज्य सरकार ने पहले चरण में 1000 गांवों को पूर्ण सोलर विलेज बनाने का उद्देश्य रखा है. इसमें जेएसएलपीएस का सहयोग लेकर संबंधित गांवों का चयन किया जायेगा. जहां सारा कुछ सौर ऊर्जा पर आधारित होगा.

प्रत्येक वर्ष का प्लान तैयार

सरकार ने पांच हजार मेगावाट के लक्ष्य प्राप्त करने के लिए साल दर साल का लक्ष्य निर्धारित किया है. इसके तहत वर्ष 2022 में 483 मेगावाट, वर्ष 2023 में 807 मेगावाट, 24 में 1075 मेगावाट, 25 में 1600 मेगावाट व 2026 में 1035 मेगावाट क्षमता के पावर प्लांट विभिन्न स्रोतों से लगाये जायेंगे. इसमें 1800 मेगावाट सोलर पार्क, 1200 मेगावाट नन सोलर पार्क, 800 मेगावाट फ्लोटिंग सोलर प्लांट और 200 मेगावाट कैनल टॉप सोलर प्लांट स्थापित किये जायेंगे. वहीं 250 मेगावाट रूफटॉप, 220 मेगावाट कैप्टिव सोलर प्लांट, 250 मेगावाट सोलर एग्रीकल्चर और 110 मेगावाट मिनी तथा माइक्रो ग्रिड स्थापित किये जायेंगे.

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