32.1 C
Ranchi
Friday, March 29, 2024

BREAKING NEWS

Trending Tags:

खटिया बेचकर पेट पालने को मजबूर हैं पहाड़ों के बीच बसे लांजी गांव निवासी, बरसों से झेल रहे हैं बेरोजगारी की मार

Jharkhand news, West Singhbhum news : पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत चक्रधरपुर प्रखंड कार्यालय से महज 22 किलोमीटर दूर पहाड़ों में बसा लांजी गांव के ग्रामीणों को आज भी रोजगार का अभाव है. रोजगार नहीं होने से यहां के ग्रामीण जंगली पत्ता, दातुन, लकड़ी एवं खटिया बनाकर अपना जीवन- यापन करने को मजबूर हैं. इसके बावजूद अब तक किसी की नजर इस गांव के ग्रामीणों की तरफ नहीं पड़ी है.

Jharkhand news, West Singhbhum news : चक्रधरपुर (पश्चिमी सिंहभूम) : पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत चक्रधरपुर प्रखंड कार्यालय से महज 22 किलोमीटर दूर पहाड़ों में बसा लांजी गांव के ग्रामीणों को आज भी रोजगार का अभाव है. रोजगार नहीं होने से यहां के ग्रामीण जंगली पत्ता, दातुन, लकड़ी एवं खटिया बनाकर अपना जीवन- यापन करने को मजबूर हैं. इसके बावजूद अब तक किसी की नजर इस गांव के ग्रामीणों की तरफ नहीं पड़ी है.

लांजी पहाड़ में 7 टोला सरबलडीह, पकिला, रिंगउली, टुटेडीह, पातरडीह, लांजी एवं टुपुंगउली है. इसमें 750 से 800 के करीब आदिवासी रहते हैं. गांव के कुछ लोगों को छोड़ अधिकांश लोग आदिवासी हो भाषा बोलते हैं. समुद्र तल से 2000 फीट ऊंचे पहाड़ों में गांव बसने के कारण वहां के ग्रामीण सप्ताह में एक बार झरझरा बाजार करने या जंगली पत्ता, लकड़ी एवं खटिया बेचने के लिए पहाड़ों से उतरते हैं. पहाड़ों में संक्रीण पथरीला रास्ता होने की वजह से लोगों को सावधानी से नीचे उतरना पड़ता है. उसमें भी करीब 5 किलोमीटर उतरना और चढ़ना पड़ता है.

Also Read: झारखंड के हर जिले से 2 शिक्षकों को मिलेगा कोरोना शिक्षा योद्धा पुरस्कार, मांगे गये नाम
ग्रामीणों की जुबानी, उनकी कहानी

ग्रामीण सोमनाथ भूमिज कहते हैं कि पड़ाह में गांव बसने के कारण खेती भी कम होती है, जिससे महिलाएं जंगली पत्ता, दातुन बाजार में बेचती है. ग्रामीण कुदी भूमिज कहते हैं कि रोजगार के अभाव में गांव में पुरुष खटिया का निर्माण करते हैं. एक खटिया में दो दिन लगता है और उसे 350 में बेचते हैं. ग्रामीण पालो भूमिज कहते हैं कि अगर साप्ताहिक हाट झरझरा में किसी कारण से खटिया या अन्य जंगली वस्तुओं की बिक्री नहीं हुई, तो परिवार को भूखा रहना पड़ता है. ग्रामीण चालो भूमिज कहते हैं कि सप्ताह में एक बार पहाड़ से नीचे उतरते हैं. अन्य दिन खटिया बनाने में समय व्यतीत होता है. यहां के लोग काफी दिक्कत में हैं.

इस गांव की ओर भी ध्यान दे सरकार : जगन सिंह हांसदा

सामाजिक कार्यकर्ता जगन सिंह हांसदा कहते हैं कि लांजी गांव की दुदर्शा आज भी जस की तस है. यहां के ग्रामीण आदिकाल में जी रहे हैं. यहां सरकारी सुविधा नहीं मिलती है. यहां कभी सरकारी अधिकारी नहीं आये हैं. गांव में सड़क के अभाव से शौचालय योजना भी नहीं मिल सका है. जिससे यहां के ग्रामीण खुले में शौच जाते हैं. गांव के प्रति सरकार ध्यान दें.

Posted By : samir Ranjan.

You May Like

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

अन्य खबरें