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Jharkhand JAC 10th Result 2020 : माता-पिता नहीं, फिर भी संतोष ने जारी रखी पढ़ाई, बना कोल्हान प्रमंडल टॉपर, जानिये कैसे

Jharkhand JAC 10th Result 2020 : कहते हैं पढ़ने का शौक हो तो रुकावटें दम तोड़ देती हैं. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है झारखंड माध्यमिक परीक्षा (Jharkhand Secondary Examination) का कोल्हान प्रमंडल और पश्चिमी सिंहभूम जिला टॉपर संतोष कोड़ा ने. मधुसूदन महतो उच्च विद्यालय आसनतलिया, चक्रधरपुर का छात्र संतोष कोड़ा के पिता का देहांत वर्ष 2011 में और मां का देहांत वर्ष 2014 में ही हो गया था. 467 अंक हासिल कर वह पूरे कोल्हान और पश्चिमी सिंहभूम जिले का टॉपर बना है. संतोष आगे इंटर विज्ञान की पढ़ाई रांची से करेगा.

Jharkhand JAC 10th Result 2020 : चक्रधरपुर (शीन अनवर ) : कहते हैं पढ़ने का शौक हो तो रुकावटें दम तोड़ देती हैं. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है झारखंड माध्यमिक परीक्षा (Jharkhand Secondary Examination) का कोल्हान प्रमंडल और पश्चिमी सिंहभूम जिला टॉपर संतोष कोड़ा ने. मधुसूदन महतो उच्च विद्यालय आसनतलिया, चक्रधरपुर का छात्र संतोष कोड़ा के पिता का देहांत वर्ष 2011 में और मां का देहांत वर्ष 2014 में ही हो गया था. 467 अंक हासिल कर वह पूरे कोल्हान और पश्चिमी सिंहभूम जिले का टॉपर बना है. संतोष आगे इंटर विज्ञान की पढ़ाई रांची से करेगा.

काफी कम उम्र में ही उसके माता-पिता नहीं रहे. उसके कांधे पर छात्रकाल में ही कई जिम्मेदारियां आ गयीं थी. लेकिन, धन्य है उसके बड़े भाई कानुराम कोड़ा, जिसने छोटे भाई की सलाहियत को बेवक्त दम तोड़ने नहीं दिया. बड़े भाई ने छोटे भाई को परिवार की जिम्मेदारियों से अलग रखा और पूरी तन्मयता से पढ़ाई जारी रखने को कहा.

जगन्नाथपुर अनुमंडल के कोटगढ़ उच्च विद्यालय में क्लर्क का काम करने वाले संतोष के बड़े भाई कानुराम कोड़ा ने भाई की परवरिस की जिम्मेदारी बखूबी निभाया. संतोष क्लास 2 से ही मधुसूदन स्कूल के हॉस्टल में रह कर पढ़ाई कर रहा था. जब वर्ष 2011 में उसके पिता का देहांत हो गया, तो स्कूल प्रबंधन ने उसकी पढ़ाई नि:शुल्क कर दी.

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किसी तरह का कोई फीस उससे नहीं लिया जाता था. छात्रावास में रहना और सभी सुविधाएं हासिल करना उसके लिए फ्री कर दिया गया था. परिवार और स्कूल से मिली आजादी का संतोष ने कभी भी गलत इस्तेमाल नहीं किया. वह हमेशा अपनी पढ़ाई को लेकर चिंतित रहा. भाई और स्कूल की तरफ से मिली आजादी को कभी भी उसने गलत जगह इस्तेमाल नहीं किया, बल्कि पढ़ाई पर ही ध्यान केंद्रित रखा.

अब जब उसे इतनी बड़ी सफलता हाथ लगी है, तो अपने माता-पिता को याद कर चिंतित हो जाता है. कहता है मेरी सफलता को देखने के लिए मेरे माता-पिता आज मेरे साथ नहीं हैं. संतोष के पिता स्वर्गीय डिकुल सिंह कोड़ा पेशे से शिक्षक थे. उसकी माता स्वर्गीय सुमित्रा कोड़ा घरेलू महिला थी. अपने परिवार के सदस्यों के साथ वह गांव लुपुंगपी प्रखंड हाटगम्हरिया में रहता है.

479 अंक हासिल कर वह पूरे कोल्हान और पश्चिमी सिंहभूम जिले का टॉपर बना है. संतोष आगे इंटर विज्ञान की पढ़ाई रांची से करेगा. फिलहाल वह किसी डिप्लोमा के चक्कर में नहीं पड़ना चाह रहा है. वर्तमान में वह रांची के ओरमांझी में है. मैट्रिक परीक्षा के बाद कोचिंग करने के लिए रांची गया था, लेकिन लॉकडाउन में फंस गया है. कोचिंग क्लासेस भी बंद है.

Posted By : Samir ranjan.

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