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बाल मजदूरों का भविष्य गढ़ने वाले स्कूलों में लटक रहे ताले

सिलफोड़ी पंचायत: ताला लटका रहा महीने में सिर्फ 4-5 दिन ही खुलता है सिर्फ फाइलों में ढोये जा रहे चक्रधरपुर में संचालित तीन विशेष विद्यालय चक्रधरपुर : सिलफोड़ी पंचायत में संचालित बाल श्रमिक विशेष विद्यालय महीने में 4-5 दिन ही खुलता है. वो भी महज 2-3 घंटे के लिए. शुक्रवार को सिलफोड़ी विशेष विद्यालय का […]

सिलफोड़ी पंचायत: ताला लटका रहा महीने में सिर्फ 4-5 दिन ही खुलता है

सिर्फ फाइलों में ढोये जा रहे चक्रधरपुर में संचालित तीन विशेष विद्यालय
चक्रधरपुर : सिलफोड़ी पंचायत में संचालित बाल श्रमिक विशेष विद्यालय महीने में 4-5 दिन ही खुलता है. वो भी महज 2-3 घंटे के लिए. शुक्रवार को सिलफोड़ी विशेष विद्यालय का औचक निरीक्षण किया गया. विद्यालय में ताला लटका था. न तो शिक्षिका यमुना जोंको मौजूद थीं और न ही सेविका. ग्रामीणों ने बताया कि विशेष विद्यालय कभी-कभी खुलता है. 4-5 बच्चों को खाना खिला कर सेविका चली जाती है. स्कूल में न तो पढ़ाई होती है और न ही बच्चे आते हैं. विद्यालय का भवन भी खंडहर की तरह है. दरवाजा-खिड़की टूटा-फूटा है. दूरभाष पर शिक्षिका यमुना जोंको से विद्यालय के बंद होने का कारण पूछा गया, तो कुछ भी बोलने से इन्कार कर दिया.
पुसालोटा विद्यालय: दो बजे खाना खिला कर दी जाती है छुट्टी
पुसालोटा विशेष विद्यालय में हर दोपहर दो बजे बच्चों को खाना खिलाकर छुट्टी कर दी जाती है. दो बजे पहुंचने पर विशेष विद्यालय बंद पाया गया. सूचना मिलने पर सेविका मुक्ता देवगम सवा दो स्कूल पहुंचीं. बताया कि 35 बच्चे आये थे. खाना खिला कर छुट्टी कर दी गयी. शिक्षक राजेंद्र जोंको बच्चों को छुट्टी देने से पहले ही चले गये. खाना भी मेनू के आधार पर नहीं दिया जाता. दूरभाष पर शिक्षक राजेंद्र जोंको ने बताया कि वे अपने बच्चे को स्कूल से लाने गये थे. इस कारण वे स्कूल में नहीं थे. बताया कि स्कूल में अध्ययनरत बच्चों को छात्रवृत्ति व ड्रेस नहीं मिला है. भवन भी काफी छोटा है.
श्यामरायडीह विशेष विद्यालय : जर्जर भवन में चलता है
चक्रधरपुर के श्यामरायडीह बाल श्रमिक विशेष विद्यालय जर्जर भवन में संचालित है. यहां दो शिक्षक सुशांत प्रधान व बाबू विचित्र बेरा, एक व्यवसायी शिक्षक रेणुका प्रधान व एक सेविका उर्मिला टोप्पो कार्यरत हैं. शुक्रवार को 25 बच्चे ही उपस्थित थे. प्रधानाध्यापक सुशांत प्रधान ने बताया कि बच्चों को मेनू के आधार पर प्रत्येक दिन भोजन दिया जाता है. जर्जर भवन में बच्चों को शिक्षा देने में काफी परेशानी हो रही है. दो वर्षों से बच्चों को छात्रवृत्ति व ड्रेस नहीं मिला है. वहीं विद्यालय में न तो शौचालय है और न ही चापाकल. शिक्षकों को आठ माह से वेतन भी नहीं मिला है. बच्चों सिलाई, कढ़ाई अन्य व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है. शिक्षक की प्रतिनियुक्ति की गयी है, लेकिन व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए आवश्यक सामग्री का घोर अभाव है.

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