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देशभर में जनजातीय कारीगरों से 23 करोड़ के उत्पादों की होगी खरीदारी

नयी दिल्ली/खरसावां : कोविड-19 से उत्पन्न स्थिति को देखते हुए लगातार जनजातियों को आजीविका के संसाधन निरंतर उपलब्ध हों, इस दिशा में प्रयत्नशील हैं. केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय ने जनजातीय संग्रहकर्ताओं एवं कारीगरों की आजीविका और सुरक्षा के लिए एक और तात्कालिक उपाय किया है. प्रभात खबर संवाददाता शचीन्द्र कुमार दाश से बातचीत में केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने बताया कि मंत्रालय की अनुषंगी इकाई ट्राइफेड देशभर में जनजातीय कारीगरों से 23 करोड़ रुपये मूल्य के जनजातीय उत्पादों की खरीद करेगी.

नयी दिल्ली/खरसावां : कोविड-19 से उत्पन्न स्थिति को देखते हुए लगातार जनजातियों को आजीविका के संसाधन निरंतर उपलब्ध हों, इस दिशा में प्रयत्नशील हैं. केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय ने जनजातीय संग्रहकर्ताओं एवं कारीगरों की आजीविका और सुरक्षा के लिए एक और तात्कालिक उपाय किया है. प्रभात खबर संवाददाता शचीन्द्र कुमार दाश से बातचीत में केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने बताया कि मंत्रालय की अनुषंगी इकाई ट्राइफेड देशभर में जनजातीय कारीगरों से 23 करोड़ रुपये मूल्य के जनजातीय उत्पादों की खरीद करेगी.

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10 लाख जनजातीय कारीगर परिवारों को फायदा

जनजातीय कारीगरों के सामने आने वाली अभूतपूर्व कठिनाइयों के आलोक में सरकार जनजातीय संग्रहकर्ताओं और जनजातीय कारीगरों को सहायता प्रदान करने के लिए तत्काल कई पहल कर रही है. मंत्रालय ने पहले ही ‘जनजातीय उत्पादों के विकास एवं विपणन के लिए संस्थागत सहायता’ स्कीम के तहत गौण वन ऊपज के मदों की एमएसपी में बढ़ोतरी कर दी है. इस स्कीम के तहत ट्राइफेड लगभग 10 लाख जनजातीय कारीगरों के परिवारों से जुड़ी है. पिछले कुछ दिनों से राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण जनजातीय कारीगरों की सारी वाणिज्यिक गतिविधियां रुक गयी हैं. कारीगरों के समक्ष अनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न हो गयी है, जिसका असर उनकी आजीविका पर पड़ा है. उनके द्वारा बनाये गये सामान की बिक्री नाम मात्र की रह गयी है. कारीगरों के द्वारा बनाये गये वस्त्र, उपहार एवं सजावट, वन धन, प्राकृतिक वस्तुएं, धातु, आभूषण, जनजातीय चित्रकारी, पॉट्री, केन एवं बांस आदि की खरीद होगी.

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जनजातीय समुदाय को तत्काल सहायता की पहल

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने बताया कि जनजातीय समुदाय को तत्काल सहायता उपलब्ध कराने के लिए कई और कदम उठाये गए हैं. ट्राइफेड, उद्योग संघों, प्रमुख कंपनियों एवं व्यावसायिक संगठनों के पास जनजातीय कारीगरों के भंडार की खरीद के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस वेबिनारों के माध्यम से प्रोत्साहित करेगी. फ्रैंचाइजी मॉडल की खोज की जा सकती है. अनिवार्य वस्तुओं (वन धन नैचुरल्स) जैसे कि शहद, साबुन, मसाले, चावल, चाय और कॉफी की किस्मों आदि की थोक खरीद की जा सकती है और नियमित आपूर्तियों के लिए करार किया जा सकता है.

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कारीगरों को मासिक राशन का भी प्रावधान

जनजातीय कारीगरों को कुछ राहत उपलब्ध कराने के लिए Stand With Humanity अभियान के साथ जुड़ने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के साथ भी करार किया गया है. इसमें भारत के जनजातीय परिवारों को 1000 रुपये के मूल्य के राशन किटों की खरीद एवं वितरण (सोशल डिस्टेंसिंग दिशानिर्देशों का अनुपालन करते हुए) शामिल है. प्रत्येक राशन किट में 5 किलो गेहूं का आटा, 2 किलो दाल, 3 किलो चावल, 500 एमएल तेल, 100 ग्राम हल्दी का पाउडर, 100 ग्राम लाल मिर्च का पाउडर, 100 ग्राम जीरा, 100 ग्राम राई के बीज, 100 ग्राम करी मसाला, 2 साबुन जैसी मदें शामिल हैं. छोटे कारीगरों के लिए कार्यशील पूंजी का प्रावधान हो रहा है. ट्राइफेड जनजातीय कारीगरों को सॉफ्ट लोन के लिए अनुकूल वित्तपोषण शर्त उपलब्ध कराने के लिए वित्तीय संस्थानों के साथ चर्चा कर रही है, जिसका लाभ उनके भंडार को गिरवी रखने के द्वारा उठाया जा सकता है. जनजातीय कारीगरों के लिए ऐसी कार्यशील पूंजी एवं तरलता का प्रावधान उन्हें इस अभूतपूर्व कठिनाई से उबरने में सक्षम बनायेगा.

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मास्क, साबुन, दस्ताना एवं पीपीई किट का प्रावधान

कोविड-19 के कारण वर्तमान स्थिति ने देश के सबसे निर्बल लोगों, जनजातीय कारीगरों एवं संग्रहकर्ताओं सहित निर्धनों एवं सीमांत समुदायों की आजीविकाओं को गहरी चोट पहुंचाई है. कई क्षेत्रों में यह वन उत्पादों की खेती एवं संग्रह का पीक सीजन है. जनजातीय कारीगरों एवं संग्रहकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जनजातीय लाभार्थियों को क्रमशः एक मिलियन फेस मास्क, साबुन एवं दस्ताने एवं 20,000 पीपीई किट उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है. ट्राइफेड ने यूनिसे़फ के सहयोग से सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन करने और आवश्यक स्वच्छता बनाये रखने के लिए जनजातीय संग्रहकर्ताओं के बीच जागरूकता फैलाने के लिए भी काम कर रही है.

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