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कोरोना संकट काल में छऊ गुरु तपन पटनायक की अनोखी पहल, नये रूप में दिखेगा छऊ

वैश्विक महामारी कोरोना संकट काल में फैली हुई नकारात्मकता और इससे प्रभावित हुए कलाकारों के कलाकारी सफर लगभग थम से गए हैं. ऐसे में कला संस्कृति के बिना श्रीहीन हो चली समाज को फिर से मुख्यधारा में लाने के लिए राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र, सरायकेला के निदेशक गुरु तपन कुमार पटनायक ने एक बेहतर पहल प्रारंभ की है. "संकल्प: एक नई सृजन की ओर" कार्यक्रम के तहत उन्होंने छऊ कला को प्रदेश भर में एक नए स्वरूप में ले जाने की तैयारी कर रहे हैं.

सरायकेला (शचीन्द्र कुमार दाश) : वैश्विक महामारी कोरोना संकट काल में फैली हुई नकारात्मकता और इससे प्रभावित हुए कलाकारों के कलाकारी सफर लगभग थम से गए हैं. ऐसे में कला संस्कृति के बिना श्रीहीन हो चली समाज को फिर से मुख्यधारा में लाने के लिए राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र, सरायकेला के निदेशक गुरु तपन कुमार पटनायक ने एक बेहतर पहल प्रारंभ की है. “संकल्प: एक नई सृजन की ओर” कार्यक्रम के तहत उन्होंने छऊ कला को प्रदेश भर में एक नए स्वरूप में ले जाने की तैयारी कर रहे हैं.

विश्व भर की अनमोल सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण रखने और टूट चुके कलाकारों के हौसलों को बढ़ाने के उद्देश्य से उन्होंने उक्त संकल्प का शुभारंभ सरायकेला-खरसावां के सुदूर ग्रामीण कलाकारों के साथ मिलकर की. जिसके बाद सरायकेला छऊ कलाकारों के साथ उन्होंने कार्यक्रम किए. इसके तहत खरसावां, कुचाई, सरायकेला, नीमडीह आदि क्षेत्रों में कार्यक्रम का आयोजन कर चुके हैं.

छऊ गुरु तपन पटकनायक ने बताया कि कोविड-19 लॉकडाउन के सभी नियमों का पालन करते हुए कला और कलाकारों को डिप्रेशन से बचाए रखना ही कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है. कार्यक्रम को समूचे कोल्हान प्रमंडल सहित पूरे प्रदेश के कलाकारों के हौसला बढ़ाने को लेकर चलाए जाने के बाद उन्होंने कही है. लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक करने के साथ साथ लोगों में काला के माध्यम से नई ऊर्जा भी भर रहे हैं.

संकल्प : एक नई सृजन की ओर…

इस कार्यक्रम के तहत संदेश दिया जा रहा है कि “कोरोना से लड़ना है, अपनी संस्कृति को बचाना है. सामाजिक दूरी बनाकर, अपने को स्वच्छ रखकर, नृत्य संगीत करना है. अपनी परंपरा और संस्कृति को बचाना है.

कार्यक्रम में होंगे पांच भाव

कार्यक्रम के तहत छऊ कलाकारों द्वारा सामाजिक दूरी के साथ प्रदर्शन के क्रम में पांच भावों का प्रदर्शन विशेष रुप से किया जाएगा. जिसमें संघर्ष, नई चेतना, नई दिशा, नए रूप और नए विचार के भाव समाहित किए जाएंगे.

इसलिए पड़ी है जरूरत

कोविड-19 संकट के बाद लॉकडाउन से अनलॉक होने तक के सफर में सरकार और सरकारी योजनाओं द्वारा हर वर्ग का प्रायः ख्याल रखा गया है. बताया जा रहा है कि एक सच्चा कलाकार बिना अपने कला साधना के मृत समान होता है. भोजन और राशन मिलने के बावजूद भी कलाकार की कला को कलाप्रेमी का सम्मान नहीं मिल पाए तो वह हमेशा से ही डिप्रेशन का सामना करता है. बताया जा रहा है कि वर्तमान अनलॉक होने की परिस्थिति में आने वाले कुछेक वर्षों में भी कलाकारों को कला प्रदर्शन के लिए कला प्रेमियों से भरा मंच मिलना मुश्किल है.

कलाकारों को मिलेगी नयी ऊर्जा

राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र सरायकेला के निदेशक गुरु तपन कुमार पटनायक ने कहा कि सुषुप्त हो चुकी कला जगत और कलाकारों में नई ऊर्जा भरने और मंच प्रदान करने को लेकर संकल्प के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की गई है. इसे पूरे प्रदेश में कलाकारों के बीच उर्जा उत्पन्न करने एवं कला को समृद्धि प्रदान करने के लिए चलाया जाएगा

जाने कौन है तपन पट्टनायक

छऊ गुरु तपन पटनायक सरायकेला स्थित राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र के निर्देशक है. उन्होंने बचपन से ही छऊ नृत्य सीखा है. पिछले 35 सालों से कलाकारों को छऊ नृत्य की शिक्षा दे रहे है. देश विदेश में छऊ नृत्य का प्रदर्शन कर सरायकेला-खरसावां जिला का नाम रौशन किया है. इन्हें कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी सम्मानित किया जा चुका है. पिछले वर्ष भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की ओर से संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार के लिये तपन पटनायक का चयन किया गया है. उन्हों सीनियर फैलोशिप भी मिला है. पिछले वर्ष प्रभात खबर की ओर से रांची में आयोजित कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भी पुरस्कृत किया था.

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