साहिबगंज, अमित सिंह. भारत में हिंदू-मुस्लिम की एकता और भाईचारगी पूरी दुनिया के लिए मिसाल है. यहां सभी धर्मों के लोग एक-दूसरे के पर्व-त्योहार का हिस्सा बनकर खुशियां बांटते हैं. ऐसी ही एक मिसाल झारखंड राज्य के साहिबगंज जिला मुख्यालय में देखने को मिल रही है. साहिबगंज में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से आयी मुस्लिम समुदाय के युवकों की टोली होली पर्व में गीतों का रस घोल रहे हैं.
लखनऊ से आये हैं 20 मुस्लिम युवक
उत्तर प्रदेश से आयी इस टोली में शामिल 20 मुस्लिम युवक 3 दिनों से साहिबगंज नगर में घूम-घूमकर ढोलक और झाल बेच रहे हैं. स्थानीय लोग भी बड़े चाव से उनके वाद्य यंत्रों को खरीद रहे हैं. लखनऊ से आये मुस्लिम समुदाय के युवक शोएल अंसारी ने बताया कि हमलोग हर वर्ष होली के समय साहिबगंज आते हैं और वाद्य यंत्र ढोलक और झाल बेचते हैं.
250 से 2500 रुपये में मिल रहा ढोल
उनका कहना है कि हिंदू समुदाय के लोग हमारे वाद्य यंत्र ढोलक और झाल खरीदते हैं. ढोलक की कीमत 250 रुपये से 2,500 रुपये के बीच है. वहीं, झाल 150 रुपये से 300 रुपये के बीच मिल रहा है. उन्होंने बताया कि ढोलक व झाल बनाकर बेचना उनका पुश्तैनी धंधा है. पुश्तों से होली पर्व से पहले ढोलक व झाल बनाते हैं.
होली से पहले हर साल साहिबगंज आती है टीम
यही वजह है कि उत्तर प्रदेश के मुस्लिम समुदाय के लोग होली के कुछ दिन पहले ही वाद्य यंत्रों को बेचने के लिए अपने घर से निकल पड़ते हैं. ढोल और झाल बेचकर बहुत ज्यादा कमाई तो नहीं होती, लेकिन उन्हें खुशी मिलती है कि उनके वाद्य यंत्र होली में गाये जाने वाले फगुआ गीतों में लय और ताल बनाते हैं.