झारखंड आंदोलनकारी घोषित किये गये शिबू सोरेन, जानिये अलग राज्य दिलाने में क्या थी उनकी भूमिका

Shibu Soren :झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन झारखंड आंदोलनकारी घोषित किये गये. झारखंड आंदोलनकारी चिह्नितीकरण आयोग के 75वीं औपबंधिक सूची रामगढ़ के लिए जारी की. इस सूचि में शिबू सोरेन का नाम दिया गया है. यहां जानिये अलग राज्य दिलाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में.

By Dipali Kumari | June 19, 2025 8:40 AM

Shibu Soren : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री सह राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन झारखंड आंदोलनकारी घोषित किये गये. झारखंड आंदोलनकारी चिह्नितीकरण आयोग ने 75वीं औपबंधिक सूची रामगढ़ जिले के लिए जारी की. इस सूचि में शिबू सोरेन का नाम दिया गया है. आयोग की विवरणी में शिबू सोरेन, पिता स्व सोबरन सोरेन, उम्म्र 81 वर्ष, ग्राम नेमरा, प्रखंड गोला, जिला रामगढ़ नाम दिया गया है. शिबू सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पिता हैं.

झारखंड के लिए निर्णायक लड़ाई का किया आह्वान

आयोग ने शिबू सोरेन को आंदोलनकारी घोषित करने के कारणों का विवरण देते हुए बताया है कि छोटानागपुर संताल परगना के विधायकों और सांसदों ने राज्यपाल और राष्ट्रपति से केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग की थी. 22 सितंबर 1987 को झामुमो की विशाल जनसभा में झारखंड के लिए निर्णायक लड़ाई का आह्वान किया गया. इसमें बताया गया है कि शिबू सोरेन झारखंड मामलों की समिति में शामिल रहे. झारखंड क्षेत्र स्वशासी परिषद के 180 सदस्यों में से 89 ने परिषद की सदस्यता ली, जिनमें वह भी शामिल थे.

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अलग झारखंड राज्य देने का दिया अल्टीमेटम

शिबू सोरेन ने 14 मई, 1989 को विधायक पद से इस्तीफा दिया और 30 मई तक अलग झारखंड राज्य देने का अल्टीमेटम दिया. 1969-70 में नशाबंदी, साहूकार तथा जमीन बेदखली के खिलाफ जनांदोलन किया. बिनोद बिहारी महतो एवं अन्य के साथ मिलकर झामुमो की स्थापना की. 31 मई 1989 को तत्कालीन बिहार सरकार के साथ झारखंडी नेताओं की बैठक करायी. छोटानागपुर अलग संघर्ष समिति के सदस्य रहे. साहूकारों एवं सूदखोरों के खिलाफ झारखंड के कई इलाकों में आंदोलन किया.

आंदोलनकारी चिह्नितीकरण के लिए तय की गयी प्रक्रिया

आंदोलनकारी चिह्नितीकरण आयोग के अध्यक्ष दुर्गा सोरेन ने बताया कि आंदोलनकारी चिह्नितीकरण के लिए सरकार द्वारा प्रक्रिया तय की गयी है. जब तक आवेदन नहीं आता है, तब तक उस पर विचार नहीं होता है. शिबू सोरेन जी की ओर से आवेदन आया और उनके आंदोलन से जुड़े कार्यों की जांच-पड़ताल हुई, इसके बाद उन्हें आंदोनकारी घोषित किया गया.

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