राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थान ऐसी राह बनायें, जिससे युवा देश को निरंतर प्रगति के पथ पर ले जा सकें. उन्हें भविष्य में आनेवाली चुनौतियों के लिए तैयार करें. सही दिशा दिखायें व उन्हें प्रोत्साहित करें. राष्ट्रपति गुरुवार को ट्रिपल आइटी रांची के दूसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थीं.
उन्होंने कहा कि युवाओं को तकनीकी रूप से कुशल और शिक्षित होने के साथ-साथ सामाजिक, मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक रूप से भी स्वस्थ होना चाहिए. तकनीकी संस्थान कम सुविधा वालों के लिए भी टेक्नोलॉजी की खोज करें. ऐसी टेक्नोलॉजी का इनोवेशन हो, जो दूसरों के जीवन को बेहतर बना सके. टेक्नोलॉजी का उपयोग सामाजिक न्याय के एक साधन के रूप में हो. राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे खुशी है कि मेडल लेनेवाले 10 विद्यार्थियों में आठ छात्राएं हैं. इसमें भी एक छात्रा को तीन व एक छात्रा को दो मेडल मिले हैं.
हर क्षेत्र में लड़कियां परचम लहरा रही हैं. लेकिन, ट्रिपल आइटी में कुल विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या कम है. उन्होंने अभिभावकों से अपनी बेटियों का नामांकन ट्रिपल आइटी में कराने का आग्रह किया. श्रीमती मुर्मू ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थान गुणवत्तायुक्त अनुसंधान पर विशेष जोर दें. स्टार्टअप, टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट, रिसर्च व इनोवेशन को बढ़ावा दें. एक समय आयेगा, जब ट्रिपल आइटी इनोवेशन हब बनेगा. उन्होंने कहा कि भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इको सिस्टम है. हम पहले से ही स्मार्ट उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं, जिन्होंने हमारे जीवन को आसान बना दिया है. लेकिन, ऐसे उपकरण सामान्य लोगों की पहुंच में होने चाहिए.
राष्ट्रपति ने कहा कि 1998 में आइटी सेक्टर का जीडीपी में दो प्रतिशत से कम योगदान था. आज नौ प्रतिशत से ज्यादा योगदान है. आइटी सेक्टर रोजगार भी दे रहा है. इंटरनेट ने दुनिया बदल दी है. आज हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में हैं. यह आप जैसे तेज दिमाग वालों की जिम्मेदारी होगी कि आप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सर्वोत्तम उपयोग करके क्षमता को बढ़ायें. इससे समय और संसाधनों की बचत करके अधिक रचनात्मक और संवेदनशील कार्यों पर ज्यादा ध्यान दे सकेंगे. उन्होंने कहा कि आज भारत में एक लाख से अधिक स्टार्टअप पंजीकृत हो चुके हैं. इस अवसर पर राष्ट्रपति ने चार गोल्ड मेडल, दो सिल्वर मेडल, एक बेस्ट गर्ल, दो इंस्टीट्यूशंस मेडल व एक ओवरऑल बेस्ट विद्यार्थी को शील्ड प्रदान किया.
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (ट्रिपल आइटी) रांची का दूसरा दीक्षांत समारोह गुरुवार को आयोजित हुआ. शाम चार बजे जेयूटी सभागार नामकुम में कार्यक्रम की शुरुआत हुई. इस मौके पर 109 डिग्रियों (बीटेक सत्र 2019-23 की 102, एमटेक सत्र 2021-23 की छह और एक पीएचडी डिग्री) का वितरण होना था, लेकिन डिग्री लेने 102 विद्यार्थी ही पहुंचे.
संस्थान की बन रही अलग पहचान
निदेशक डॉ विष्णु प्रिय ने संस्था की वार्षिक रिपोर्ट पेश की. उन्होंने कहा कि देश के 25 ट्रिपल आइटी में रांची अपनी पहचान बना रही है. वर्तमान में संस्था के पास स्थायी कैंपस नहीं है, पर 2024 से सांगा, कांके में सत्र की शुरुआत संभवत: स्थायी कैंपस में शुरू की जायेगी. संस्था के विद्यार्थी साइबर डिफेंस और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. विद्यार्थियों को साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में नये प्रयोग के लिए प्रशिक्षित और प्रेरित किया जा रहा है. साइबर डिफेंस इंजीनियरिंग को बढ़ावा मिले, इसके लिए साइबर विद्यापीठ के साथ साझेदारी की गयी है.
बीटेक व एमटेक की चार छात्राओं को गोल्ड
बीटेक की दो छात्राएं सविता नंदन और शिवांगी सांगवान को क्रमश: कंप्यूटर साइंस व इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के लिए गोल्ड मेडल मिला. वहीं, एमटेक की विभा और अंकिता कुमारी को गोल्ड मेडल मिला. बीटेक के चार्मी आशीष मेहता व सत्यम कुमार को सिल्वर मेडल मिला.
शिवांगी को तीन, चार्मी और अंकिता को मिले दो-दो मेडल
बीटेक इन इसीइ की छात्रा रही शिवांगी सांगवान को राष्ट्रपति ने तीन मेडल- गोल्ड, बेस्ट गर्ल स्टूडेंट मेडल व इंस्टीट्यूट मेडल से सम्मानित किया. वहीं, बीटेक इन सीएसइ की छात्रा चार्मी आशीष मेहता को दो मेडल- सिल्वर व बेस्ट स्टूडेंट मेडल मिला. एमटेक इन इसीइ की छात्रा अंकिता को भी दो मेडल - गोल्ड और इंस्टीट्यूट मेडल से सम्मानित किया गया.
आध्यात्मिक और सामूहिक शिक्षा की जरूरत : अरुण
ट्रिपल आइटी रांची के चेयरपर्सन अरुण जैन ने कहा कि 40 वर्ष पूर्व उन्हें तकनीक के क्षेत्र से जुड़ कर विदेश जाने का मौका मिला. लेकिन, उन्होंने देश में कुछ खास करने की ठानी. सफर की शुरुआत करते हुए सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनी की शुरुआत की. उन्होंने बताया कि 90 के दशक में इस क्षेत्र से जुड़ा, तब प्रतिस्पर्धा की कमी थी. इससे कंपनी को फायदा मिला. ठीक ऐसे ही विद्यार्थियों को नौकरी की जगह देश में अपनी शिक्षा से रचनात्मक और नवाचार प्रयोग करने होंगे. आध्यात्मिक और सामूहिक शिक्षा इस दिशा में आगे बढ़ने में सहयोग
रिसर्च के क्षेत्र में आगे आयें युवा : राज्यपाल
राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने विद्यार्थियों से कहा कि दीक्षांत समारोह सिर्फ एक समारोह नहीं है, यह आपके जीवन में एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर का प्रतीक है. दी गयी डिग्री आपके समर्पण का एक वसीयतनामा है, जो आपके वर्षों की कड़ी मेहनत व दृढ़ता से हासिल हुई है. उन्होंने कहा कि इनोवेशन व रिसर्च के क्षेत्र में युवाओं को आगे आना चाहिए. विद्यार्थी एकेडमिक स्किल का उपयोग केवल अपने करियर को आकार देने के लिए ही नहीं, बल्कि समाज की बेहतरी के लिए भी करें.
डिजिटल स्किल विवि खोलने का प्रस्ताव : सीएम
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य में डिजिटल स्किल यूनिवर्सिटी स्थापित करने का प्रस्ताव है. इसके शुरू होने से कम पढ़े-लिखे नौजवान युवक-युवतियों को तकनीकी रूप से दक्ष बनाकर रोजगार से जोड़ा जा सकेगा. आज बहुत सी कंपनियां मानवरहित उत्पादन पर जोर दे रही हैं. मोबाइल, गाड़ी, कागज-कलम सभी चीजें अब मशीन से बन रही हैं. आज प्रत्येक क्षेत्र में प्रतियोगिता का दौर है. उन्होंने कहा कि खनिज संपदाओं को लेकर झारखंड की अलग पहचान रही है. झारखंड में उद्योग की संभावनाएं हमेशा रही हैं.
पीएचडी करनेवाले पहले छात्र बने अजीत
डॉ अजीत कुमार सिंह ट्रिपल आइटी रांची से पीएचडी डिग्री हासिल करने वाले पहले अभ्यर्थी रहे. उन्होंने मिमो एंटीना फॉर वायरलेस एप्लिकेशन पर शोध कार्य पूरा किया. मूल रूप से वाराणसी के डॉ अजीत वर्तमान में पुणे की सॉफ्टवेयर कंपनी थ्रीडी इंजीनियरिंग एप्लिकेशन एलएलपी में बतौर सीनियर स्टिम्यूलेशन इंजीनियर हैं.