डॉ मोहम्मद जाकिर
My Mati: नाउज गांव में छह भाई और एक बहन साथ रहते थे. भाइयों का नाम शोभनाथ, मेघनाथ, बुधनाथ, विदयनाथ, सुखनाथ एवं छोटा का नाम सनीनाथ था. सनीनाथ एक आंख से अपाहिज था, उसे दिखाई नहीं देता था.. पांचों भाई उसे प्रताड़ित करते थे. बहन का नाम बिंदी था. भाई कंद-मूल एवं शिकार करते, बहन घर का काम करती थी. एक दिन सभी भाई शिकार की खोज में जंगल जाते हैं. घर में कच्चू साग की सब्जी काटते समय बिंदु की अंगुली कट जाती है. बिंदी बेहोश हो जाती है. खून पूरे साग में मिल जाता है. जब उसे होश आता है, तब अपने अंगुली को कपड़े से बांध लेती है. उस कच्चू की साग को ना फेंक कर उसे सब्जी बना देती है. जब सभी भाई घर पहुंचते हैं, बना हुआ सब्जी को खाते हैं.
अन्य दिनों की सब्जी से ज्यादा स्वादिष्ट उस दिन का लगता है. भाइयों ने बिंदी से कहा हर दिन ऐसे ही सब्जी बना कर देना. छोटा भाई सनीनाथ को बिंदी ने बता दिया कि साग काटते समय अंगुली कट गयी थी और खून साग मे मिल गया. इससे सब्जी स्वादिष्ट हो गयी. उसने इस बात को अन्य भाइयों को बता दिया. भाइयों को लगा कि बहन का खून इतना स्वादिष्ट है तो उसका मांस कितना स्वादिष्ट होगा. उसे मारने की योजना सभी भाई करने लगे, तभी छोटा भाई, जो अंधा था, वो इस बात पर सहमत होने से इनकार करता है. तब पांचो भाइयों ने इस राज की बात को उसे बहन को नहीं बताने को कहा और उसे मारने की पूरी योजना तैयार करने लगे. दूसरी दिन छह भाई जंगल गये. वहां उन्हें एक जूही का फूल मिला. साथ में केंद का खुटा और रस्सी लेकर आते हैं.
घर से 400 फीट दूरी में एक मचान बनाते हैं. वे जूही का फूल बहन को देते हैं, बहन खुशी से फूल स्वीकार करती है. कहती है- रोज ऐसे ही फूल ला देना. ऐसे कहकर बहन ने सबको खाना खिलाया. तीसरे दिन फूल लेने के लिए बहन को भी साथ में ले गए. पांचो भाई बिंदु टोंगरी पर चढ़ जाते है. वहां से छोटा भाई बहन को फुसला कर मचान में ले जाता है. सारा सच बता देता है. लेकिन बहन बिना हिचके अपने पांचों भाइयों के शिकार के लिए तैयार हो जाती है और मचान पर चढ़ जाती है. पांचों भाई बिंदु टोंगरी चढ़कर अपने-अपने तीर की धार तेज की. उसके निशान आज भी बिंदु टुंगरी में मौजूद हैं. फिर बारी-बारी से बहन पर वार करना शुरू किया.
अंततः पांचों भाइयों के तीर से बिंदी की मौत हो जाती है. पांचों भाई बहन का मांस खाते हैं. अंधा भाई मांस नहीं खाता. वह मांस को गाड़ देता है, जहां बांस उग आते हैं. एक दिन उधर से गुजरते एक योगी बाबा वहां पर शौच के लिए जाते हैं. उगे बांस के झुरमुट से बिंदी उसे मना करती है. सुरीली आवाज सुन बाबा उस बांस से एक वाद्ययंत्र बनातेे हैं. बाबा वाद्ययंत्र को बजाते गांव के घरों में जाते हैं. जब बाबा बिंदी के घर पहुंचते हैं, तब वहां सिर्फ अंधा भाई मौजूद था. वाद्य यंत्र बोल उठता है कि यह मेरे भाई का घर है. अंधा भाई बाबा के हाथ से वाद्य यंत्र छीन लेता है. वाद्य यंत्र से बहन निकलती है. वह घर की सफाई करती और खाना बना देती है. पांचों भाइयों ने अंधे भाई से इसका राज पूछा तो उसने सारी बात बता दी. बहन ने पांचों भाइयों के क्षमा कर दिया. सभी भाई-बहन साथ में मिलकर रहने लगे.
इस स्थल पर सात छोटे-बड़े पत्थर के स्तंभ हैं.बांस और केंद का पेड़ है. यहां पाहन के द्वारा दुर्गा पूजा के दौरान सप्तमी को विशेष पूजा की जाती है. उस दिन यहां मेला लगता है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होकर भाई-बहन के प्रेम को याद करते हैं. यहां का प्रबंधन बिंदु बसाईर पूजा समिति करती है.