27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

टीबी और एड्स के मरीजों को घर पहुंचायी जा रही दवाएं

कोरोना वायरस (कोविड-19) के खतरे को देखते हुए टीबी व एड्स मरीजों को जरूरी दवाएं उनके घर तक पहुंचायी जा रही हैं. टीबी मरीजाें को एक से दो माह और एड्स संक्रमितों को तीन माह की दवा दी जा रही है. साथ ही उन्हें घर से बाहर नहीं निकलने, मास्क लगाने और लगातार हाथ धोने की सलाह भी दी जा रही है.

रांची : कोरोना वायरस (कोविड-19) के खतरे को देखते हुए टीबी व एड्स मरीजों को जरूरी दवाएं उनके घर तक पहुंचायी जा रही हैं. टीबी मरीजाें को एक से दो माह और एड्स संक्रमितों को तीन माह की दवा दी जा रही है. साथ ही उन्हें घर से बाहर नहीं निकलने, मास्क लगाने और लगातार हाथ धोने की सलाह भी दी जा रही है.

दरअसल, कोरोना वायरस का सबसे आसान शिकार कमजोर इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) वाले लोग ही होते हैं. टीबी और एड्स संक्रमित लोगों का इम्युन सिस्टम पहले से ही कमजोर होता है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग इन मरीजों को दवा देने के लिए अस्पताल बुलाकर इन्हें खतरा में नहीं डालना चाह रहा है. इसलिए उक्त दोनों ही तरह के मरीजों को उनकी जरूरत के अनुसार दवाएं घर पहुंचायी जा रही हैं. टीबी के मरीजों को दवा पहुंचाने की व्यवस्था राज्य यक्ष्मा विभाग कर रहा है, जबकि एड्स के मरीजों की दवांए एड्स कंट्रोल सोसाइटी द्वारा पहुंचयी जा रही हैं.56,632 मरीजों तक पहुंची टीबी की दवाराज्य में 56,632 टीबी के मरीज हैं.

इनमें मल्टी ड्रग रजिस्टेंट टीबी (एमडीआर टीबी) के 705 मरीज हैं. इन मरीजों की कमजोर इम्युनिटी को देखते हुए राज्य यक्ष्मा विभाग ने इनके घर तक दवा पहुंचाने की व्यवस्था की है. इसके लिए एक मॉनेटरिंग कमेटी गठित की गयी है. विभाग के स्वास्थ्य कर्मी मरीजों को उनके घर तक एक से दो महीने के दवा पहुंचा रहे हैं. इस दौरान मरीजों को कोरोना से बचाव के लिए जागरूक भी किया जा रहा है. उन्हें घर में रहने, हाथों की सफाई करने और मास्क लगाने की सलाह दे रही है. मरीजों को मास्क भी उपलब्ध कराया जा रहा है.

साथ ही उन्हें पौष्टिक भोजन मुहैया कराने के लिए आंगनबाड़ी का सहयोग लिया जा रहा है. 12,000 एड्स संक्रमितों तक दवा पहुंचाने का लक्ष्य राज्य में करीब 12,000 एड्स संक्रमिता हैं. कोरोना संकट के दौरान इन्हें इनके घर के पास के आइसीपीसी सेंटर के अलावा घर पर भी दवा देने की सुविधा रखी गयी है. सूत्रों की मानें तो कुछ एड्स संक्रमित पहचान छुपाने केे लिए आइसीपीसी में दवा लेना चाहते हैं, जबकि कुछ पहचान बचाते हुए घर पर ही दवा लेना चाहते हैं. अब तक आइसीपीसी सेंटर से 2200 मरीजों ने तीन माह की दवा ली है. वहीं, 1100 को घर पर दवा पहुंचायी गयी है. कमजोर इम्युनिटी वालों एड्स संक्रमितों को टीबी होने की संभावना भी रहती है. जानकारी के अनुसार राज्य में अभी तक 300 एड्स संक्रमित टीबी की बीमारी से पीड़ित हैं. ऐसे मरीजों को एड्स के अलावा टीबी की दवा भी पहुंचायी जा रही है.

कोरोना संकट को देखते हुए टीबी के मरीजों को एक से दो माह तक की दवा उनके घर पहुंचायी जा रही है. मरीजों को जागरूक भी किया जा रहा है. साथ ही फोन कर उनके स्वाथ्य का फॉलोअप भी किया जा रहा है.

– डॉ राकेश दयाल, स्टेट टीबी अफसर

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

अन्य खबरें