प्रतिबंधित संगठन भाकपा माओवादी का 20.65 करोड़ रुपये नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआइए) ने जब्त किया है. इसके अलावा 153 से अधिक बैंक खाते, एफडी व म्युचुअल फंड से जुड़े कागजात भी जब्त किये गये हैं. देश में किसी नक्सली या उग्रवादी संगठन के खिलाफ अब तक की यह सबसे बड़ी कार्रवाई है, जिसमें कुल 20,65,20,496 राशि किसी एजेंसी द्वारा जब्त की गयी है. उक्त पैसा मेसर्स संतोष कंस्ट्रक्शन और इसके विभिन्न भागीदारों के खाते से जब्त किया गया है.
एजेंसी ने यूए (पी) अधिनियम की धारा 25(1) के तहत यह कार्रवाई की है. जांच के दौरान उक्त बैंक खातों को फरवरी 2021 व फरवरी 2023 के बीच एनआइए ने फ्रीज करा दिया था. एजेंसी ने यह कार्रवाई तब की, जब जांच में यह साबित हो गया कि उक्त पैसा भाकपा माओवादियों का है. एनआइए ने जांच में पाया कि मेसर्स संतोष कंस्ट्रक्शन के भागीदारों में से एक व मामले के आरोपी मृत्युंजय कुमार सिंह उर्फ सोनू सिंह का शीर्ष सीपीआई (माओवादी) कैडर के साथ घनिष्ठ संबंध थे.
इन्होंने माओवादी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए माओवादी कैडर रवींद्र गंझू व भाकपा (माओवादी) की क्षेत्रीय समिति के सदस्य को धन राशि उपलब्ध करायी थी. 22 नवंबर 2019 को लातेहार के लुकैया मोड़ पर चंदवा थाना के पीसीआर वाहन पर हमला कर चार पुलिसकर्मियों की हत्या व उनके हथियार, गोला-बारुद आदि लूट से संबंधित मामले की जांच के दौरान एनआइए को उक्त सबूत हाथ लगे थे.
इस घटना के एक दिन पहले बीरजंघा जंगल में मृत्युंजय कुमार सिंह ने भाकपा माओवादी के 15 लाख के इनामी रवींद्र गंझू से मुलाकात कर उसे दो लाख रुपये दिये थे. इस पैसे का उपयोग लुकैया मोड़ के हमले की तैयारी और घटना को अंजाम देने में इस्तेमाल किया गया था. एनआइए ने लातेहार के चंदवा पुलिस से जून 2020 में मामले की जांच अपने हाथ में ली थी. अक्तूबर 2020 में एनआइए ने मृत्युंजय के घर से 2.5 लाख रुपये से अधिक की राशि जब्त की थी. जांच में यह राशि भी नक्सलियों के निकले थे.
इसके बाद अप्रैल 2022 में आरोपी के घर की कुर्की एनआइए ने की थी. जांच में यह बात भी सामने आयी कि मृत्युंजय कुमार सिंह उर्फ सोनू सिंह ने लुकैया मोड़ की घटना के बाद भी भाकपा माओवादियों को उनकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए फंड देना जारी रखा. जनवरी 2020 में रवींद्र गंझू के कोरियर बैजनाथ गंझू, राजेश गंझू और कुंवर गंझू को भी पांच लाख रुपये दिये थे. इस पैसे के साथ कोरियर को रोका गया और चंदवा थाने में मामला दर्ज किया गया था. इस मामले की जांच भी एनआइए को ट्रांसफर कर दिया गया था.
आरोपियों को कोर्ट से नहीं मिली राहत
मेसर्स संतोष कंस्ट्रक्शन ने शुरू में झारखंड हाइकोर्ट में एक रिट याचिका के माध्यम से याचिका दायर की थी. इसमें कहा था कि उसके छह प्रमुख बैंक खातों को अनफ्रिज किया जाये, जिसे एनआइए ने फ्रिज कर दिया है. लेकिन कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरोपी पक्ष की याचिका अगस्त 2022 में खारिज कर दी थी. इसके बाद आरोपी पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गयी थी, जिसे तीन जनवरी 2023 को खारिज कर दिया गया था.