कैश कांड मामले में कांग्रेस से निलंबित विधायक इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोंगाड़ी को झारखंड हाइकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाइकोर्ट के जस्टिस एस चंद्रशेखर की अदालत ने अरगोड़ा थाना में दर्ज जीरो एफआइआर को कोलकाता ट्रांसफर करने और पश्चिम बंगाल के पंचला थाना में दर्ज एफआइआर (कांड संख्या-276/ 2022) को अवैध ठहराते हुए रद्द कर दिया. प्रार्थियों की क्रिमिनल रिट याचिका को अदालत ने स्वीकार करते हुए उपरोक्त शर्तों पर अनुमति दी.
अदालत ने 31 जुलाई 2022 को अरगोड़ा थाना में दर्ज जीरो एफआइआर को एक ही घटना का सेकेंड एफआइआर मानते हुए उसे अवैध ठहराया. अदालत ने कहा कि कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह ने झारखंड सरकार गिराने की साजिश को लेकर वर्ष 2021 में कोतवाली थाना में कांड संख्या-159/21 के तहत भादवि की विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करायी थी.
अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण केस जैसे बाबूभाई, अमितभाई अनिलचंद्र शाह, सी मुनियप्पन सहित विभिन्न केस में पारित आदेशों का हवाला देते हुए कोतवाली थाना में दर्ज एफआइआर को पहली एफआइआर माना है तथा अरगोड़ा थाना में दर्ज एफआइआर को उसी घटना की दूसरी एफआइआर माना है. मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता रंजीत कुमार, अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा व अधिवक्ता राहुल कमलेश ने पैरवी की,
जबकि राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार व पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने पक्ष रखा था. केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता विनोद साहू ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी विधायक राजेश कच्छप व अन्य की ओर से क्रिमिनल रिट याचिका दायर की थी.
उन्होंने अरगोड़ा थाना में दर्ज जीरो एफआइआर के साथ-साथ उसे कोलकाता ट्रांसफर करने को चुनाैती दी थी. 31 जुलाई 2022 को दर्ज जीरो एफआइआर में अनूप सिंह ने हेमंत सरकार गिराने की साजिश में विधायकों के शामिल होने का आरोप लगाया था, जबकि पश्चिम बंगाल में फॉर्चुनर गाड़ी से 49,98,300 रुपये पुलिस ने चेकिंग के दौरान जब्त किया था. इस मामले में पंचला थाना में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. झारखंड सरकार ने ई-मेल के माध्यम से जीरो एफआइअर को पंचला थाना प्रभारी को ट्रांसफर कर दिया था.
फैसले के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं
हाइकोर्ट ने विधायकों के मामले में प्रिवी काउंसिल के फैसले से लेकर बाबूभाई, अमितभाई अनिलचंद्र शाह, रितेश तिवारी, देवेंदर पाल सिंह भुल्लर आदि के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया है.
अरगोड़ा थाना में जो जीरो एफआइआर दर्ज की गयी, वह क्षेत्राधिकार के बाहर थी तथा वह एक ही घटना की सेकेंड एफआइआर थी.
जीरो एफआइआर दर्ज कर पश्चिम बंगाल के पंचला थाना में ट्रांसफर करना द्वेषपूर्ण व बिना कानूनी अधिकार के अवैध माना गया.
अरगोड़ा थाना में जीरो एफआइआर दर्ज करना सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये गाइडलाइन का उल्लंघन माना गया.
जीरो एफआइआर सीआरपीसी के प्रावधानों के विपरीत है तथा सुप्रीम कोर्ट के कई जजमेंट में दी गयी गाइडलाइन के भी विपरीत माना गया