झारखंड हाईकोर्ट की FSL में मैनपावर की कमी पर सख्त टिप्पणी, JPSC और JSSC को शपथ पत्र दायर करने का निर्देश

झारखंड हाईकोर्ट ने फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी में मैनपावर की कमी पर नाराजगी जतायी, वहीं आउटसोर्स कर्मियों की नियुक्ति पर सवाल उठाये. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने JPSC व JSSC को शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 2, 2021 7:05 PM

Jharkhand News (रांची) : झारखंड हाइकोर्ट ने फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (Forensic Science Laboratory – FSL) में संसाधनों की कमी और स्वीकृत पदों पर नियुक्ति मामले में सख्त टिप्पणी की. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई करते हुए कहा कि FSL में सारे काम गोपनीय होते हैं. वहां रिक्त पदों पर आउटसोर्स कर्मियों की नियुक्ति कैसे हो सकती है. वैसी स्थिति में जांच की गोपनीयता भंग होने का हमेशा खतरा रहेगा. रिक्त पदों पर नियुक्ति क्यों नहीं हो रही है.

अधियाचना (Requisition) भेजे जाने के एक साल के बाद भी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं होने पर खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) में कोई काम नहीं हो रहा है. माैखिक रूप से कहा कि JPSC को बंद कर देना चाहिए, लेकिन यह संवैधानिक संस्था है, इसलिए हम ऐसा आदेश नहीं दे सकते हैं.

खंडपीठ ने JPSC के अधिवक्ता को तुरंत वर्चुअल उपस्थित होने को कहा. अधिवक्ता के उपस्थित होने पर खंडपीठ ने फटकार लगाते हुए पूछा कि FSL में रिक्त पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होने में क्यों देरी हो रही है. राज्य का महत्वपूर्ण संस्थान FSL है, जहां 40 प्रतिशत से कम मैनपावर पर काम हो रहा है, यह शर्म की बात है.

Also Read: जेपीएससी 7वीं-10वीं की पीटी परीक्षा की तैयारी तेज, परीक्षार्थियों के लिए ये है अनिवार्य

खंडपीठ ने नियुक्ति प्रक्रिया से संबंधित JPSC व JSSC को शपथ पत्र दायर कर पूरी जानकारी देने का निर्देश दिया. इससे पूर्व राज्य सरकार की अोर से बताया गया कि FSL में वर्ष 2011 में पद सृजित कर दिया गया था.

राजपत्रित व गैर राजपत्रित (तकनीकी पद सहित) रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए अधियाचना झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) व झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) को पिछले वर्ष में भेजा गया है. JPSC व JSSC की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि रांची एफएसएल लैब में जांच से संबंधित संसाधनों की कमी को हाइकोर्ट ने गंभीरता से लिया है.

Posted By : Samir Ranjan.

Next Article

Exit mobile version