कोरोना संकट में सबकी चर्चा है लेकिन झारखंडी कलाकारों का जिक्र कम है. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बॉलीवुड की बड़ी फिल्में रिलीज हो रही है जाहिर है कोरोना की वजह से सिनेमाहॉल बंद है लेकिन झारखंडी फिल्म और एलबम में काम करने वालों कलाकारों की क्या स्थिति है क्या वह भी ऑनलाइन माध्यम से दर्शकों तक सीधे पहुंचने में सफल हो रहे है. कोरोना की वजह से फिल्म और टीवी इंडस्ट्री पर असर पड़ा है. यह इंडस्ट्री लाखों करोड़ों का कारोबार करती है. कई कलाकारों का रोजगार प्रभावित हुआ है लेकिन बड़ी दुकानों के नुकसान के साथ- साथ छोटी दुकानों के नुकसान का भी जिक्र जरूरी है. देश में रीजनल सिनेमा की स्थिति क्या है, स्थानीय कलाकार किस हाल में है. कोरोना का कितना असर उनके रोजगार पर पड़ा है. इन सवालों का जवाब ढूंढती पढ़ें पंकज कुमार पाठक की यह रिपोर्ट
इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए मेरी जितने लोगों से भी बात हुई सबने एक ही बात कही. कलाकार आत्मसम्मान से समझौता नहीं करता, कम में गुजारा कर लेगा, भूखो मर जायेगा लेकिन किसी के आगे हाथ नहीं फैलायेगा . सबने माना की स्थिति विकट है, समस्याएं हैं चाहे वह रंगमच हो, फिल्म हो , ऑनलाइन माध्यम हो, बाजार हाट में गाना गाकर पैसे कमाने वाले कलाकार हों. सबका रोजगार छिन गया है.
Also Read: झारखंड में कब खुलेंगे सैलून और ब्यूटी पार्लर ? सैलून वालों ने कहा- सरकार की हर बात मानने को तैयारऋषिकेश लंबे समय से रंगमंच से जुड़े हैं. कहते हैं, ऐसा नहीं है कि कोरोना से पहले रंगमंच की बहुत अच्छी स्थिति थी लेकिन पेट चल रहा था. कोरोना के बाद अब उस पर भी संकट आ गया है. कोई दूसरा काम नहीं है. पहले नुक्कड़ नाटक और रंगमंच के जरिये काम चलता था लेकिन कोविड 19 की वजह से सब बंद है. हमारे पास भी कोई दूसरा रास्ता नहीं है कला के अलावा कभी कुछ सोचा नहीं और आज रोजगार का संकट है.
कुछ जगहों पर काम है तो उसमें कई लोगों ने कमीशन लेना शुरू कर दिया है. ऐसे में आपके पास बचेगा क्या ? हालत खराब है. कुछ लोग हैं, जो ऑनलाइन काम कर रहे हैं कुछ संस्थाएं ऑनलाइन है ताकि वह अपने संस्था को जिंदा रख सकें. लगभग 95 फीसद कलाकार की स्थिति खराब है. ऋषिकेश कहते हैं पूरे झारखंड में लगभग 50 हजार लोग होंगे जो रंगमंच से जुड़े हैं आप अंदाजा लगा लीजिए कि इतने लोगों पर असर पड़ रहा है. लॉकडाउन के पहले जिसने कमाया वह खर्च कर दिया अब किसी के पास कुछ नहीं बचा है, ना कमाई है ना पैसा है.
नागपुरी में पवन और पंकज की जोड़ी किसी पहचान की मोहताज नहीं है. झारखंड की स्थानीय भाषा में लगभग 25 साल दे चुके गायक पवन कहते हैं. हम तो आम लोगों से जुड़े कलाकार हैं. हमें सबसे ज्यादा दिक्कत है. बीमारी ऐसे समय में आयी, जब कलाकारों के कमाने का वक्त होता है. सरहुल था, रामनवमी, मंडा मेला था. अब करम का त्योहार आ रहा है ऐसे में सब प्रोग्राम खत्म हो गया. कई लोगों से हमने एडवांस भी ले लिया था.
मेरे पास रोजगार के लिए कोई दूसरा साधन नहीं है. अगर व्यक्तिगत तौर पर मुझे पूछे, तो मुझे अबतक चालीस प्रोग्राम ( शो) का नकुसान हुआ है 3 लाख से ज्यादा का नुकसान हुआ. पहले जितने कमाई की थी , बचत थी सब खत्म हो गयी है. मैंने कई नागपुरी फिल्मों में अपनी आवाज दी है कई एलबम के लिए गाने गाये हैं लेकिन अब सब बंद है. कई कलाकार अपने खेतों में काम कर रहे है लेकिन लोग शर्म से मजदूरी के लिए शहर भी नहीं जा सकते.
नागपुरी फिल्म और एलबम में काम करने वाले रॉकी से जब हमने यूट्यूब के मार्केट पर सवाल किया तो कहने लगे यहां भी अब काम बिल्कुल नहीं है. यूट्यूब पर कुछ गाने रिलीज हो रहे हैं लेकिन पता नहीं क्यों प्रोड्यूसर भी पैसा नहीं लगाना चाहते. सावन में कई एलबम आते थे लेकिन इस बार देवघर में सावन का मेला नहीं लगा तो उन्हें लगता है कि गाना बजेगा कहां, मेले में ही गाना बजता है इस वजह से एलबम बने ही नहीं . कोरोना से पहले कलाकार अपने घर की, गाड़ी की ईएमआई भर रहे थे लेकिन इस कोरोना की वजह से कलाकारों की हालत बहुत खराब है. काम बिल्कुल नहीं है.
नागपुरी एलबम में काम करने वाले मोनू कहते हैं, मुझ जैसे कलाकारों को काफी नुकसान हुआ है मैं इतने दिनो में 2 से 3 लाख रुपये कमा लेता लेकिन काम ठप है. सरकार ने भी शुटिंग की इजाजत नहीं दी है लेकिन कई लोग चोरी छूपे काम कर रहे हैं. वहीं कई राज्यों में इस क्षेत्र के लोगों को एक जगह दिया गया है जहां नियमों का पालन करते हुए गाने फिल्माये जा सकते हैं जिससे इनका रोजगार चलता रहे.
आयूष नागपुरी फिल्म के नाम से यूट्यूब पर गाना रिलीज करने वाले राजेश जी बताते हैं कि काम कम होने के पीछे का पूरा गणित समझिये. हमारे दर्शक कौन है,नागपुरी सुनने वाले कौन है? मजदूर वर्ग के लोग है. बाहरी मजदूर देखते हैं. अब मजदूरों की स्थिति क्या है ? क्या इनके पास अब मोबाइल में इंटरनेट है, नहीं है ना.. जो दर्शक यूट्यूब पर 10 लाख थे. अब घटकर आधे से भी कम हो गये हैं. हमारी कमाई पर इतना असर पड़ा है कि पहले 40 से 50 हजार रुपये आता था, अब घटकर 6 से 7 हजार रुपये हो गये है. आप ही बताइये इतने पैसे में नया गाना कैसे अपलोड करें. हिम्मत ही नहीं हो रही है कि कोई गाना यूट्यूब पर अपलोड करें.
मैं हर शुक्रवार को एक गाना रिलीज करता था लेकिन लॉकडाउन की वजह से सिर्फ तीन गाने अपलोड कर पाया हूं और तीनो गाने फ्लॉप हो गये. हमें डर है कि हमारे दर्शक भी कहीं और ना चले जायें. कुल मिलाकर समझिये कि स्थिति बहुत खराब है इंडस्ट्री को हर दिन नुकसान ही हो रहा है.
नागपुरी गायक कहते हैं सरकार को हमारी तरफ ध्यान देना चाहिए. यहां की संस्कृति को हमने ही अपनी कला से जिंदा रखा है. कलाकारों की तरफ सरकार ध्यान दें. खेलकूद एवं कला संस्कृति विभाग सिर्फ खेलकूद पर ध्यान देता है, कला और यहां की संस्कृति पर भी ध्यान दें. कलाकार रॉकी कहते है, सरकार शायद यह भूल गयी है कि यह भी एक पेशा है हमारा रोजगार है. सभी की तरफ ध्यान है लेकिन कलाकारों की तरफ सरकार देख ही नहीं रही है. रंगमच से जुड़े ऋषि कहते हैं सरकार हमें प्रत्साहित करती, तो बेहतर होता कलाकार की कला इस लॉकडाउन में मर रही है.
कलाकारों का संगठन इस महामारी में अपने कलाकारों की मदद कर रहा है. गायक पवन ने बताया कि हमारे संगठन ने अबतक 600 से ज्यादा कलाकारों की मदद की है. हम सबके घरों में राशन पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन पाचं किलो चावल से कलाकारों का पेट हम कबतक भर पायेंगे. संगठन भी इतना मजबूत नहीं है कि इससे जुड़े हजारों लोगों का खर्च उठा सके.
मुकुंद नायक फांउडेशन के अध्यक्ष नंदलाल नायक ने कहा, हमने कलाकारों तक पहुंचने की कोशिश की 24 जिलों में 270 अखरा 7800 कलाकार हैं. इस लॉकडाउन में इन सबकी मदद जरूरी है कलाकारों की आर्थिक स्थिति खराब है . ऐसी स्थिति में कलाकारों की मदद करना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है.
Posted By – pankaj Kumar Pathak