अर्थशास्त्री, हरिश्वर दयाल:
झारखंड के वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट पिछले वर्ष की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक है. कुल मिला कर बजट संतुलित है. सरकार ने इस बार खर्च व संग्रहण के बीच संतुलन रखा है. साथ ही हर सामाजिक वर्ग व वंचित वर्ग के कल्याण के लिए प्रावधान रखा गया है. बजट में इस बार सभी विभाग को शामिल कर राज्य के विकास और सामाजिक लाभ पहुंचाने का प्रयास है. संतुलित बजट रहने का फायदा सरकार द्वारा बजट बनाने से पूर्व लोगों द्वारा प्री बजट कंसलटेंट किया था.
जिसका बजट तैयार करने में बहुत ही लाभ मिला. बजट को देखा जाये, इसमें लोगों की जो अपेक्षाएं थीं, उन्हें बहुत हद तक शामिल किया गया है. शिक्षा, स्वास्थ्य व कृषि पर विशेष फोकस किया गया है. वहीं महिलाओं व युवा को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए हर संभव कोशिश की गयी है. उच्च शिक्षा पर इस बार विशेष ध्यान दिया गया है. क्वालिटी एडुकेशन व आधारभूत संरचना के लिए अलग से राशि का प्रावधान है. तकनीकी शिक्षा का विस्तार किया गया है.
सभी विवि में इनोवेशन सह स्टार्ट अप सेंटर खोलने की योजना युवाओं के लिए लाभप्रद होगा. आंगनबाड़ी सेविकाओं की मांगों सहित इसके माध्यम से महिलाओं व बच्चों के शिक्षा व पोषण के लिए विशेष प्रावधान रखे गये हैं. सस्ते स्रोत से ज्यादा लाभ प्राप्त करने के प्रावधान रखे गये हैं. टैक्स व नन टैक्स से उगाही बढ़ाने के प्रयास किये गये हैं. ऋण को नियंत्रित रखा गया है. सिंकिंग फंड पर विशेष ध्यान दिया गया है. ताकि आरबीआइ से मदद मिल सके. यह ऋण भार में मदद पहुंचायेगा. किसान के लिए बहुफसलीय कृषि की ओर ध्यान आकृष्ट किया गया है. मोटे अनाज के उत्पादन व वितरण के लिए बजट में प्रावधान हैं.
सरकार का बजट ठीक है, लेकिन कुछ सेक्टर को छोड़ दिया गया है
बजट में कुछ सेक्टर को छोड़ दिया गया है. उच्च शिक्षा में जैसे नयी शिक्षा नीति को लागू किया गया है. उसमें फंड की जरूरत है. क्योंकि आपको अधिकतर जगह उच्च शिक्षण संस्थान को खोलना है. जिससे ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों की पहुंच वहां तक हो सके. इसके अलावा नयी शिक्षा नीति का एक पार्ट है सभी तक आसानी से और सस्ते दर से शिक्षा पहुंच पहुंचाना.
वो भी इस बजट में नहीं दिखा. इसमें प्राइवेट विवि को प्राथमिकता दी जा रही है, लेकिन सरकारी विवि को नहीं खोलने की तैयारी दिख रही है. वहीं बजट में एसटी के बारे में बहुत नहीं कहा गया है. उनका एक बहुत बड़ा प्रतिशत जो गरीबी रेखा के नीचे है, उनमें रोजगार की संभावनाएं कम हैं और जो अभी काम कर रहे हैं, वो ज्यादा स्किल्ड नहीं है. इस बजट में इनके रोजगार की बात नहीं की गयी है. वहीं आपने देखा कि फूड सिक्यूरिटी में उपलब्धता की बात की गयी है, कुपोषण नहीं होना चाहिए.
उसके लिए भी बात की गयी है. लेकिन तीसरी चीज है फूड खरीदने के लिए जो सिक्यूरिटी की बात होनी चाहिए, जिसके लिए पैसा भी तो होना चाहिए. तो आय कैसे सृजन होगा और आय तब सृजन होगा, जब रोजगार का सृजन होगा. उसके बारे में बात नहीं की गयी है. ये तीन चीजें मुझे प्रमुख लगी. जिस पर विचार करना चाहिए था. वहीं ग्रामीण विकास में और पैसा देना चाहिए था. 2022-23 में जो था, उससे अधिक इस बजट में नहीं दिख रहा है. उसको और भी बढ़ाना चाहिए था. झारखंडी भाषाओं सहित अन्य मातृभाषा में शिक्षा उपलब्ध कराने की सरकार की पहल बेहतर है. इसके अलावा बाकी बजट ठीक है और इसमें कई संभावनाएं दिख रही है.