रांची, राज लक्ष्मी : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को 107 सरकारी सहायक वकीलों (एपीपी) को नियुक्ति पत्र सौंपा. मुख्यमंत्री ने सहायक लोक अभियोजकों को नियुक्ति पत्र सौंपने के बाद कहा कि आपलोगों को स्थानीय भाषा सीखनी चाहिए, ताकि लोगों को न्याय दिलाने में मदद मिल सके. राजधानी रांची के धुर्वा स्थित प्रोजेक्ट भवन में एपीपी को नियुक्ति पत्र सौंपने के बाद सीएम उन्हें संबोधित कर रहे थे.
झारखंड की स्थिति अन्य राज्यों से अलग : हेमंत सोरेन
मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने कहा कि देश में 28-29 राज्य हैं. झारखंड भी उनमें से एक है. लेकिन, झारखंड का सामाजिक ताना-बाना, यहां की भौगोलिक संरचना अन्य राज्यों से अलग है. हर जिले में अलग-अलग भाषा, रहन-सहन, बोल-चाल है. बहुत से ऐसे गांव हैं, जहां लोग हिंदी भी नहीं जानते. अपनी मातृभाषा के अलावा उन्हें कोई भाषा नहीं आती.
लोगों को न्याय दिलाने के लिए स्थानीय भाषा सीखें
मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सरकारी वकील बने हैं. आपको उनके साथ संवाद स्थापित होगा. तभी आप उनको न्याय दिला पायेंगे. अगर उनसे संबंध नहीं बना पायेंगे, तो मैं स्पष्ट रूप से कहूंगा कि उन्हें न्याय दलाने में आपको कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा. हेमंत सोरेन ने यह भी कहा कि सहायक लोक अभियोजकों की ट्रेनिंग के दौरान उन्हें स्थानीय भाषा की भी जानकारी हो, इसकी व्यवस्था की जानी चाहिए.
ग्रामीण क्षेत्रों में सीखनी होगी वहां की भाषा
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने संबोधन में कहा कि झारखंड में भाषा की बहुलता को ध्यान में रखते हुए कुछ स्थानीय भाषा सीखें, ताकि लोगों को न्याय दिलाने में आपको सहूलियत हो. आमतौर पर न्यायपालिका में खासकर हाईकोर्ट में अंग्रेजी का प्रचलन अधिक है. लेकिन, झारखंड में जहां लोग हिंदी न जानते हों, वे अंग्रेजी कैसे समझेंगे.
अभियोजकों की ट्रेनिंग का हिस्सा हो स्थानीय भाषा
इसलिए आपलोग स्थानीय क्षेत्रों में जायेंगे. उस क्षेत्र के हिसाब से स्थानीय भाषा सीखें. उन्होंने कहा कि इन अधिकारियों की ट्रेनिंग में भी भाषा की जानकारी दी जाये, ताकि उन्हें काम करने में सहूलियत हो. और एपीपी नियुक्त किये जायेंगे, ताकि न्यायपालिका को पेंडिंग केस खत्म करने में सहूलियत हो.
वकीलों को ट्रेनिंग के लिए बाहर भेजने की होगी कोशिश
वहीं, कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की प्रधान सचिव वंदना डाडेल ने बताया कि राज्य में लंबे समय से नियुक्ति प्रकिया रुकी हुई थी. ऐसे में आज यहां इस नियुक्ति के साथ राज्य के कई पेंडिंग मामलों के निष्पादन का रास्ता तय हो गया है. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार प्रयास करेगी कि नियुक्ति पत्र पाने वाले सभी लोक अभियोजकों को बेहतर ट्रेनिंग के लिए अन्य राज्यों में भी भेजा जाये.
लंबे समय से लोक अभियकों के पद थे रिक्त : सुखदेव सिंह
मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने कहा कि झारखंड में लंबे समय से लोक अभियोजकों के 80 प्रतिशत पोस्ट रिक्त थे. ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में नियुक्ति प्रकिया शुरू करना बहुत बड़ी बात है. झारखंड में कई मामले ऐसे हैं, जहां गरीब और आदिवासी छोटे-छोटे मामलों में सालों से जेल में बंद हैं. ऐसे में लोक अभियोजकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है.