Jharkhand News: वेटनरी कॉलेज के डीन डॉ सुशील प्रसाद ने कहा है कि बोकारो के बाद रांची में बर्ड फ्लू से मुर्गियों की मौत की पुष्टि हुई है. इनमें एवियन इन्फ्लुएंजा (एच5एन1) की पुष्टि हुई है. ऐसे हालात में संक्रमित इलाके की निगरानी और संक्रमित पॉल्ट्री तक आम आदमी की पहुंच को प्रतिबंधित करने की जरूरत है. बर्ड फ्लू एक वायरल इंफेक्शन की तरह है, जो न सिर्फ पक्षियों, बल्कि दूसरे अन्य जानवरों और इंसानों के लिए भी उतना ही खतरनाक है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, एच5एन1 भी इंफ्लुएंजा वायरस का एक प्रकार है और पक्षियों में एवियन इंफ्लुएंजा (बर्ड फ्लू) बीमारी को जन्म देता है. इंसानों में इसके संक्रमण के मामले कभी-कभी सामने आते हैं, हालांकि इसका एक इंसान से दूसरे इंसानों में फैलना मुश्किल होता है.
क्यों होता है बर्ड फ्लू
बर्ड फ्लू कई तरह के होते हैं, लेकिन एच 5 एन वन पहला ऐसा एवियन इंफ्लूएंजा वायरस है, जो इंसानों को संक्रमित करता है. इसका पहला मामला 1997 में हांगकांग में आया था. एच 5 एन वन प्राकृतिक रूप से पक्षियों में होता है. लेकिन ये पालतू मुर्गियों में आसानी से फैल जाता है. ये बीमारी संक्रमित पक्षी के मल, नाक के स्राव, मुंह के लार या आंखों से निकलने वाली पानी के संपर्क में आने से होता है. संक्रमित मुर्गियों के 165 डिग्री फारेनहाइट पर पकाये गये मांस या अंडे के सेवन से बर्ड फ्लू नहीं फैलता है, लेकिन संक्रमित मुर्गी के अंडों को कच्चा या उबालकर नहीं खाना चाहिए. संक्रमित पक्षियों के मल और लार में ये वायरस 10 दिनों तक जिंदा रहता है.
बर्ड फ्लू के क्या हैं लक्षण
डॉ सुशील ने बताया कि बर्ड फ्लू होने पर कफ, डायरिया, बुखार, सांस से जुड़ी दिक्कत, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश, नाक बहना और बेचैनी जैसी समस्या हो सकती है. इन लक्षणों के दिखने और बर्ड फ्लू की चपेट या संपर्क में आने पर तुरंत डॉक्टर को दिखायें.
क्या है इलाज
अलग-अलग तरह के बर्ड फ्लू का अलग-अलग तरीकों से इलाज किया जाता है. लेकिन, ज्यादातर मामलों में एंटीवायरल दवाओं से इसका इलाज किया जाता है. लक्षण दिखने के 48 घंटों के भीतर इसकी दवाएं लेनी जरूरी होती हैं. बर्ड फ्लू से संक्रमित व्यक्ति के अलावा उसके संपर्क में आये घर के अन्य सदस्यों को भी ये दवाएं लेने की सलाह दी जाती है, भले ही उन लोगों में बीमारी के लक्षण न हों.
कैसे करें बचाव
इन्फ्लूएंजा से बचने के लिए डॉक्टर फ्लू की वैक्सीन लगवाने की सलाह दे सकते हैं. इसके अलावा लोग खुले बाजार में जाने, संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने और अधपका चिकन खाने से बचें. लोग हाइजीन बनाये रखें. समय-समय पर अपने हाथ धोते रहें.