पूजा सिंघल केस : बड़े विभागों में विशाल चौधरी की बोलती थी तूती, बड़‍े फैसलों में करता था हस्तक्षेप

पूजा सिंघल प्रकरण में फंसे विशाल चौधरी की कई मत्वपूर्ण विभागों में पैठ थी, जिसमें श्रम विभाग, ऊर्जा विभाग समेत कई कई विभागों तो वो खुद बड़े फैसले लेता था. यहां तक कि बड़े अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग भी खुद मैनेज करता था

By Prabhat Khabar | May 25, 2022 10:57 AM

रांची : विशाल चौधरी की राज्य के अहम विभागों में तूती बोलती थी. गृह विभाग, श्रम विभाग, ऊर्जा विभाग के महत्वपूर्ण फैसलों में विशाल की अच्छी पैठ थी. वर्ष 2016-17 में विशाल चौधरी ने झारखंड राज्य स्किल डेवलमेंट मिशन में फ्रंटलाइन ग्लोबल सर्विसेज के नाम से कंप्यूटर प्रशिक्षण देने का काम लिया. यह लगभग एक करोड़ रुपये का काम था.

पहाड़ी मंदिर के ठीक सामनेवाली सड़क में कार्यालय खोला गया था. जहां कंप्यूटर प्रशिक्षण के नाम पर फर्जी छात्रों का दाखिला लिया गया. नगर प्रशासन विभाग द्वारा स्किल डेवलपमेंट का काम दिया गया. बाद में फर्जी छात्रों का मामला खुलने पर यह कार्यालय बंद कर दिया गया. फिर अरगोड़ा चौक में फ्रंटलाइन ग्लोबल सर्विसेज और विनायका का ऑफिस खुला.

विनायका के जरिये विशाल सप्लाई आदि का काम करता था. कुछ विभागों के टेंडर में भी हिस्सा लेता रहा. स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिलों में कोरोना किट बांटने का काम भी विनायका को मिला था. विशाल चौधरी पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स झारखंड का अध्यक्ष भी था. उसके द्वारा कई कार्यक्रम यहां आयोजित किये गये हैं. खबर है कि खेलगांव में अभिनेत्री महिमा चौधरी को भी उसने बुलवाया था. जिसमें पूरा भुगतान नहीं किये जाने का मामला अभी चल रहा है.

महत्वपूर्ण टेंडर भी मैनेज करता था विशाल

विशाल की वर्ष 2019-20 में झारखंड ऊर्जा विकास निगम में भी खूब चलती थी. बिजली कंपनियों के अधिकारियों के अनुसार उस दौरान कोई भी अहम फैसला हो या ट्रांसफर-पोस्टिंग का काम हो, संचिका पहले अरगोड़ा चौक स्थित विशाल चौधरी के कार्यालय में जाती थी. फिर, विशाल डील करता था.

अंतिम रूप से नाम भेजे जाने के बाद ही किसी पदाधिकारी का पदस्थापन हो पाता था. महत्वपूर्ण टेंडर भी मैनेज करने का काम विशाल करता था. इसी तरह हाल तक गृह विभाग की ट्रांसफर-पोस्टिंग में भी विशाल की चलती थी. उसके कार्यालय में तमाम आइपीएस, आइएएस अधिकारियों के नंबर, रिटायरमेंट की तिथि, वर्तमान पदस्थापन स्थल आदि की जानकारी थी.

जो कार्यालय के कचरे के ढेर में मिला. बताया गया कि कर्मचारियों ने आनन-फानन में कई कागजात भी इधर-उधर फेंक दिये. उसमें भी कुछ दस्तावेज मिले हैं, जिससे पता चलता है कि किसी ट्रैक मेन्यूफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को रांची के आवासीय विद्यालय में बेड सप्लाई करने का काम मिला है. बताया जाता है कि इस काम को भी विशाल ही मैनेज कर रहा था. इसके अलावा भी विभिन्न कंपनियों को काम दिलाने में बिचौलिये की भूमिका निभाता था.

Posted By: Sameer Oraon

Next Article

Exit mobile version