रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड हाइकोर्ट का नया भवन 165 एकड़ में फैला है. इसके निर्माण पर 600 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. अगर जमीन की कीमत जोड़ ली जाये तो लगभग एक हजार करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. इसमें केंद्र सरकार की हिस्सेदारी नहीं है. श्री सोरेन ने कहा कि समय-समय पर उच्च न्यायालयों में भी अतिरिक्त आधारभूत संरचना की जरूरत पड़ती है. भारत सरकार को हाइकोर्ट के आधारभूत संरचना के लिए केंद्रीय योजना बनानी चाहिए.
इसका परिसर देश के सर्वोच्च न्यायालय से भी बड़ा है. यह झारखंड के आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों और गरीबों को सरल, सस्ता तथा जल्द न्याय दिलाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा. झारखंड में न्यायिक सेवा में उच्च पदों पर आदिवासी समुदाय की संख्या नगण्य है. यह चिंता का विषय है. इस सेवा की नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षण का प्रावधान नहीं रखा गया है. चूंकि इसी सेवा से उच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्ति किये जाते हैं, इसलिए उच्च न्यायालय में भी वही स्थिति है. अत: आदिवासी बहुल राज्य में वरीय न्याय सेवा की नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए.
सीएम ने कहा कि राष्ट्रपति ने पूरे देश में जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की बढ़ती संख्या पर चिंता जतायी है. झारखंड में भी छोटे-छोटे अपराधों के लिए बड़ी संख्या में गरीब, आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक एवं कमजोर वर्ग के लोग जेलों में बंद हैं. यह चिंता की विषय है. इस पर गंभीर मंथन की जरूरत है. राज्य में पांच साल से अधिक अवधि से लंबित मामलों की संख्या 3600 से अधिक थी. एक अभियान चलाकर सरकार ने 3400 मामलों का निष्पादन किया है.
अब चार वर्षों से अधिक अवधि के लंबित मामलों की सूची तैयार की गयी है. इसमें 3200 से अधिक मामले लंबित है. इसका निष्पादन भी छह माह में करा लिया जायेगा. लोक अभियोजकों की कमी के कारण मामलों के निष्पादन में परेशानी हो रही थी. अब सरकार ने 107 सहायक लोक अभियोजकों की नियुक्ति कर ली है. इससे मामलों के निष्पादन में तेजी आयेगी. झारखंड में सब आर्डिनेट ज्यूडिशियरी को लेकर देश में सबसे अच्छा काम हु्आ है.
राज्य में 506 न्यायिक पदाधिकारी कार्यरत हैं. इसके लिए 658 कोर्ट रूम तथा 639 आवास उपलब्ध हैं. सीएम ने कहा कि न्यायालयों का कामकाज स्थानीय भाषाओं में होना चाहिए. इससे न्याय के मंदिर और आमजनों के बीच की दूरी कम हो सकेगी. न्यायिक पदाधिकारियों को कम से कम एक स्थानीय भाषा की जानकारी होनी चाहिए. जो नहीं जानते हैं, उन्हें सीखने के लिए बाध्य किया जाना चाहिए.