रांची : केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि महिला सम्मेलन के माध्यम से देश में उद्यमिता विकास का नया अध्याय जुड़ रहा है. सरकार की मंशा महिलाओं को सशक्त करना है. बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ के मूल मंत्र के साथ काम किया जा रहा है. महिलाओं को रोजगारनोमुखी कार्यक्रमों को जोड़ने के लिए भारत सरकार सभी राज्य सरकारों के साथ मिल कर काम कर रही है.
दुरुह क्षेत्रों में जनजातीय व सामान्य वर्गों की माताओं व बहनों को अर्थव्यवस्था से जोड़ कर उनकी उन्नति का मार्ग प्रशस्त करने का प्रयास किया जा रहा है. भगवान बिरसा मुंडा की धरती से महिलाओं को साथ जोड़ने के लिए शुरू किया गया अभियान पूरे देश में आंदोलन का रूप लेगा. श्री मुंडा ने कहा कि भगवान बिरसा के आंदोलन के कारण ही अंग्रेजों को झारखंड के लोगों की मौलिक बातों को ध्यान में रख कर कानून बनाने के लिए बाध्य होना पड़ा.
सीएनटी एक्ट के माध्यम से क्षेत्र की भूमि विशेष रूप से संरक्षित करने का प्रयास किया गया. 256 गांव को खूंटकटी का दर्जा देते हुए सीएनटी में विशेष प्रावधानित भूमि के रूप में चिह्नित किया गया है. 153.7 वर्गमील क्षेत्रफल के लिए वर्ष 1950 में तत्कालीन सरकार ने सुनिश्चित किया कि जमींदारी खत्म होने के बावजूद मुंडारी खूंटकटी जमीन के लिए नियमों में बदलाव नहीं होगा. आज फिर भारत सरकार अंग्रेजों के समय बनाये गये कानून को फाॅरेस्ट राइट एक्ट के माध्यम से पुन संरक्षित करने का प्रयास कर रही है. जंगल में रहने वालों को उनका अधिकार दिया जा रहा है.
जल, जंगल व जमीन ही हमारी पहचान :
श्री मुंडा ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों की समस्याओं को दूर करने के लिए विशेष कार्ययोजना शुरू की गयी है. जनजातीय समुदाय को शिक्षित करने के लिए 71 एकलव्य विद्यालय खोले गये हैं. उनमें 32 हजार बच्चों का एडमिशन होगा. अच्छी प्रारंभिक शिक्षा के बाद जनजातीय समुदाय के बच्चों को आइआइटी तक में प्रवेश के लिए तैयार करेंगे. हमारी पहचान जल, जंगल और जमीन है. पेसा कानून को मजबूती से लागू करना है.